Ad

Tag: प्रियंका गाँधी

नसबंदी के राजनीतिक दुष्प्रभाव की एल पी जी के रूप में पुनरावर्ती की संभावना दिखने लग गई है


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक कांग्रेसी
ओये झाल्लेया देखा हसाडी अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी की लीडरशिप का कमाल ।सूरज कुण्ड में संवाद बैठक का आयोजन करके उन्होंने कांग्रेसी मंत्रियों को जनता से संवाद स्थापित करके 2014 के मार्ग को आसान करने को कह दिया है । ऍफ़ डी आई को इंडिया में लाकर जहाँ सड़े गले देसी उद्योगों में जान डाली जा रही हैं वहीं अमेरिका में डेमोक्रेट बराक ओबामा को भी जितवा दिया है और तो और सूरज कुण्ड तक बस में सफ़र किया और मित्वियतता के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है ।ओये अब तो 2014 में हसाडी सरकार फिर बने ही बने।

नसबंदी के राजनीतिक दुष्प्रभाव एल पी जी के रूप में

झल्ला
मेरे चतुर सुजान जी यह ठीक है कि आपजी की लीडर वाकई लोह महिला की छवि बनाने में लगी है मगर इनकी सरकार की नीतियाँ कुछ उलटा ही सन्देश दे रही है। उदहारण के तौर पर इसी संवाद बैठक में कांग्रेसियों ने एल पी जी कैपिंग के विरुद्ध चेतावनी दे दी है।इससे पहले एन सी पी भी आप की सरकार को आम आदमी की रसोई से दूर रहने की सलाह दे चुकी है। और तो और राय बरेली में श्रीमती प्रियंका गाँधी को भी रसोई गैस से होने वाले राजनितिक नुक्सान के विषय में बताया जा रहा है।मुझे याद आता है कि इमरजेंसी के दौरान देश की आबादी कम करने के लिए नस बंदी का अभियान चलाया गया था बेशक यह देश हित में था मगर जिस प्रकार जबरदस्ती से यह अभियान चलाया गया उसके नकारात्मक नतीजे मिले और अच्छे अच्छों की कुर्सियां खिसक गई।अब ये एल पी जी की कैपिंग कर दी गई है| महंगी करने के बावजूद भी आम आदमी की पहुँच से दूर की जा रही है| संयुक्त परिवार को कई टुकड़ों में दिखाने को विवश किया जा रहा है| इस विशेष शाक थेरेपी नीति से आम परिवार त्रस्त हैं ।ऐसे में एतिहासिक नसबंदी के राजनीतिक दुस्प्रभाव की २०१४ में पुनरावर्ती की संभावना तो दिखने लग गई है।

अमिताभ बच्चन के जन्म दिन पर नए आए तो बहुत मगर कुछ पुराने अनुपस्थित भी रहे

एक साथ तीन पिडिओं के चहेते अमिताभ बच्चन ने अपना ७० वाँ जन्म दिन मनाया धूम धाम से मनाया सो हमारी तरफ से भी ढेरों बधाईयाँ | ४० साल के फ़िल्मी सफ़र में अमिताभ ने अनेकों बदलावों का सामना किया है| सफलता की अनेक उठती गिरती लहरों में अपना वजूद बनाया है |इस सफ़र में अनेक रिश्ते बने +दोस्त बने तो कई रिश्ते या दोस्त बिगड़ भी गए |जो कभी अमिताभ से खफा थे आज अमिताभ की पार्टी में सपरिवार उपस्थित थे लेकिन जिन लोगों ने कभी अमिताभ को सहयोग दिया सहारा दिया सफलता के लिए सीडी प्रदान की ऐसे लोग पार्टी से नदारद थे अनुपस्थित थे या फिर बुलाये ही नहीं गए थे|
सबसे पहले अमिताभ और गांधी परिवार के रिश्तों की बात की जाये |यह जग जाहिर है कि फिल्मो में करियर शुरू करने और अमिताभ को ऊपर उठाने में कांग्रेस का बहुत बड़ा हाथ रहा है|इमरजेंसी के दौर में तो इनके कहने पर फिल्मो को बैन करके इनकी फिल्मो को रिलीज करवाया जाता था|शोले इसका एक उदहारण हो सकता है|विद्याचरण शुक्ल और संजय गाँधी ने सभी रुकावटों को दर किनार करते हुए अपराध प्रधान मार धाड़ वाली शोले रिलीज करवाई | बाद में यह फिल्म सफलता का इतिहास लिख गई| इसके बाद देश में अपराध प्रधान फिल्मो की लाईन ही लग गई| इनके कांग्रेस से रिश्तों के सम्मोहन में उस समय के सहयोगी कलाकार धर्मेन्द्र+राजेश खन्ना +विनोद खन्ना+शशि कपूर+शत्रुघन सिन्हा+आदि के मुकाबिले इनके रोल्स में जान डाली जाने लगी बड़े बड़े निर्देशक और निर्माता इन पर दावं लगाने लग गए |मल्टी स्टारर फिल्मो की सफलता से लगातार बुलंदियों को छूते चले गए| कांग्रेस के टिकट पर सांसद बनने का अवसर भी मिला |इलाहाबाद से एच एन बहुगुणा को हरा कर कर राजीव गांधी के हाथ भी मजबूत किये|
लेकिन आश्चर्यजनक रूप से जब राजीव और बाद में उनकी विधवा को सहायता की जरुरत थी तब अमिताभ का कंधा शायद कहीं दिखाई नहीं दिया|बोफोर्स के समय तो अमिताभ स्वयम ही पोलिटिक्स छोड़ कर अलग जा खड़े हुए |राजीव की शहादत के बाद उनकी अंत्येष्टि पर दिखाई जरुर दिए मगर प्रियंका गांधी की शादी के बाद दूरी बड़ती गई आज गांधी परिवार का कोई सदस्य [यदि में गलत नहीं हूँ तो]जन्म दिन के जश्न में शामिल नहीं था|

अमिताभ बच्चन के जन्म दिन पर नए आए तो बहुत मगर कुछ पुराने अनुपस्थित भी रहे


दूसरे नंबर पर ठाकुर अमर सिंह की अनुपस्थिति भी खलने वाली है|विशेष तौर पर जब मुह बौले छोटे भाई अमर सिंह अपने बड़े भाई को उनके जन्म दिन पर उपेक्षित करने का तंज़ मीडिया के माध्यम से उपहारमें दें तब यह चौंकाने वाला बन जाता है|सर्व विदित है कि अमिताभ के जीवन में एक दौर ऐसा आया जब उनकी कम्पनी ऐ बी सी फ्लाप हो गई बुरी तरह से कर्ज़ में डूब गए तब अमर सिंह उनकी डूबती नैय्या के खेवन हार बने और उसे पार लगाया |यह स्वयम अमिताभ ने स्वीकार भी किया है कि यदि अमर सिंह नहीं होते तब महानायक मुम्बई में टैक्सी चला रहा होता|
कल तक शत्रुघन सिन्हा जो पानी पी पी कर अमिताभ के प्रति अपनी भडास निकाला करते थे आज इस जन्म दिन के जश्न में शामिल थे|संभवत अमर सिंह के कारण नज़दीक आये मुलायम सिंह यादव भी परिवार के साथ दिखाई दिए|
वैसे तो युवा पीड़ी के र्हितिक रोशन+सलमान खान+आमिर खान+विवेक ओबेरॉय+बिपाशा आदि भी दिखाई नहीं दिए लेकिन इनके लिए अमिताभ से ज्यादा उनके बच्चो के रिश्ते के विषय में चर्चा की जाने चाहिए|गांधी परिवार तो अमिताभ के लिए राजा था सो रिश्ते बनाने के लिए इन्होने स्वयम को रंक कहा था मगर अमर सिंह के केस में तो ये स्वयम राजा है सो रिश्ते या सम्बन्ध बनाने में इनकी पहल ही देखी जायेगी|