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कांग्रेस और भाजपा ने २०१४ के अश्वमेघ के लिए पारंपरिक मुस्लिम और हिन्दू वोट बैंक को मोहित करने का प्रयास शुरू किया

राहुल गाँधी को कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाये जाने के बाद केंद्र में सत्ता रूड कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने २०१४ के अश्वमेघ की तैय्यारी शुरू कर दी है तभी दोनों पार्टियों ने अपने विश्वस्त +भरोसे मंद अश्वों को तबेले से निकाल लिया है अब इनके भरोसे पारंपरिक मुस्लिम और हिन्दू वोट बैंक को मोहित करने का प्रयास शुरू हो गया है| |कांग्रेस का अश्व है हिन्दू आतंकवाद [सेफ़्रोन टेरोरिस्म] और भाजपा के लिए कांग्रेस के वंश वाद के साथ हिन्दू वोट बैंक रहा है|
रविवार को कांग्रेस के चिंतन शिविर में देश के गृह मंत्री सुशिल कुमार शिंदे ने अपने भाषण में पार्टी की वैचारिक धरोहर को आगे लाते हुए भगवा आतंकवाद के लिए भाजपा और आर एस एस को निशाना बनाया|इसके बाद कांग्रेस के नेताओं के बयाँ आने शुरू हो गए इससे साफ जाहिर हो गया कि विकास के मुद्दे पर गुजरात चुनाव हार चुकी कांग्रेस अब २०१४ में कोई नया रिस्क नही लेना चाह रही | इसीलिए सपा बसपा आदि में बंटे उनके अल्प संख्यक वोट बैंक के लिए एक पुराना जांचा परखा भगवा आतंकवाद रूपी चुम्बक का प्रयोग शुरू हो गया है|भाजपा ने इसके लिए कांग्रेस को घेरने में कोई देर नहीं की और कांग्रेस को वंशवाद और आतंक के सरंक्षक बता दिया |इसके अलावा तमाम टी वी चेनलों पर शिंदे और दिग्विजय सिंह के डायलाग्स रिपीट किया जा रहे हैं जिनमे उन्होंने ओसामा बिन लादेन के लिए श्री और हाफ़िज़ सईद को साहब कहा है|भाजपा इसे मुस्लिम तुष्टिकरण बता रही है|

Congress V/S B.J.P.

भाजपा ने भी अपने पत्ते फेंटने शुरू कर दिए

पूर्व मुख्य मंत्री लोध नेता कल्याण सिंह

को भाजपा में पुनः शामिल कर लिया |गौर तलब है कि कल्याण सिंह ने एतिहासिक अयोध्या काण्ड के कारण अपनी गद्दी छोड़ी थी और उनकी छवी एक कट्टर हिंदूवादी की रही है|
कांग्रेस और भाजपा में एक जुबानी जंग भी शुरू हो गई है जिसमे बढत लेने के लिए भाजपा ने २४ जनवरी को देश में आन्दोलन छेड़ने की चेतावनी दे डाली है|इनकी आपसी तू तू में में पाकिस्तान में बैठे हाफ़िज़ सईद ने फायदा उठाते हुए भारत में सेकुलरिज्म की खिल्ली उडाई | भारत को एक आतां वादी राष्ट्र घोषित करने में देर नहीं लगाई और शिंदे की तारीफों के पुल बांध दिए|जिस हाफ़िज़ को पूरा देश आतंकवादी कह रहा है और उस के सहारे पाकिस्तान में चल रहे दहशत गर्दी के कैम्पों को उजागर किया जा रहा था अब उसी हाफ़िज़ को भारत के गृह मंत्री के एक ब्यान मात्र से भारत पर लांछन लगाने का अवसर मिल गया| इस विषय में अनेकों चिंतकों से पूछने पर एक स्वर में जवाब आया कि देश के गृह मंत्रीके पास अगर आर एस एस और भाजपा के कैम्पों में चल रहे आतंकवादी गतिविधिओं की जानकारी है तो उस पर तत्काल कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए उसे देश के सामने लाना चाहिए|अपनी पार्टी के शिविर में उसे नेताओं के मार्ग दर्शन के रूप प्रस्तुत करके इसे पब्लिसिटी का आधार नहें बनाया जाना चाहिए

मायावती के पूर्व केबिनेट सचिव शशांक शेखर पर भी ३००० करोड़ रुपयों के गबन का केस :लो कर लो बात


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक दुखी बसपाई

ओये झल्लेया देखो उत्तर प्रदेश में कैसा जुल्म हो रहा है इस सपाई अखिलेशी सरकार से क्राईम तो रुक नहीं रहा |हसाडी लोक प्रिय नेत्री बहन माया वती की मूर्ती तुड़वा कर भी इनका दिल नहीं भरा कि उलटे हसाड़े निर्दोष नेता और बेचारे अफसरों के खिलाफ ही मुकद्दमें दर्ज़ होने लग गए हैं | अब तो हद ही हो गई बेचारे पूर्व केबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह जी पर भी ३००० करोड़ रुपयों के गबन का केस दर्ज़ किया जा रहा है ओये i इतना पैसा इन्होने कभी देखा भी है?

पूर्व केबिनेट सचिव शशांक शेखर पर भी ३००० करोड़ रुपयों के गबन का केस

झल्ला

भोले राम जी पंजाबी में एक पुरानी कहावत है जिन्ना ने खाईयां चुपड़ी ठिड पीड उन्हा दे अर्थार्त जिन्होंने चुपड़ी -चोपड़ी खाई हैं पेट में दर्द तो उनके होना ही है |हाँ न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता जरूरी है

मेरठ के विशाल और भव्य मायावती स्टाईल पार्कों से सुरक्षा कर्मी नदारद

चलती चार्टर्ड बस में एक फ़िजिओथेरेपिस्त महिला के साथ किये गए जघन्य सामूहिक बलात्कार के विरुद्ध पूरे देश में आक्रोश की सुनामी आई हुई है| मेरठ से लेकर अमेरिकी मीडिया तक कानून और सुरक्षा व्यवस्था में लचरता पर चिंता व्यक्त की जा रही है और लचरता के इस अभिशाप को समाप्त करने के लिए सर्वत्र मांग की जा रहे है प्रदेश के युवा मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने भे ब्लाताकार की भर्त्सना करके पांच लाख रुपयों की मदद पीडिता को देने कीघोषणा कर दी है सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कवायाद शुरू करने के आदेश दे दिए गए हैं|स्कूली बसों में सुरक्षा व्यवस्था की जाँच चल रही है मगर चिराग के नीचे के अँधेरे को नज़रंदाज़ किया जा रहा है|
सुरक्षा के इंतज़ाम देखने को आज गंगानगर और रक्षा पुरम के पार्कों को देखने पर यहीइ अन्धेरा दिखाई दिया|

AKHILESH YADAV V/S MAYAVATI

मवाना रोड स्थित गंगानगर में तीन और रक्षापुरम में भी तीन विशाल भव्य मायावती स्टाईल पार्क है|इनकी सुरक्षा के लिए प्रति पार्क चार सुरक्षा कर्मी की तैनाती की जाती है अर्थार्त २४ सुरक्षा कर्मी लगाए जाते है|इन्हें प्रति कर्मी ३७५०/=दिए जाते हैं|यानि ९००००/=रुपये प्रति माह का खर्च है|आज सुबह यहाँ एक भी सुरक्षा कर्मी दिखाई नहीं दिया| घने कोहरे में भी स्वास्थ्य लाभ लेने आये मार्निंग वाकर्स को गंगानगर के पार्क से यह कह कर जाने को कहा गया की कोई गार्ड नहीं है ताला लगाना है |
गौरतलब है कीइन पार्क का निर्माण मुलायम सिंह यादव की सरकार ने कार्या था और इसका जीर्णोधार मायावती की सरकार में किया गया है|कहने का अभिप्राय है के इस पार्क में दो दो मुख्य मंत्रियों के प्रतिष्ठा जुडी है और आज कल सुरक्षा के लिए इंतज़ाम किये जा रहे हैं मगर सरकारी तंत्र में यह अन्धकार वाकई चिंता और जांच का विषय है|
ताला लगाने वाले से जब इसका कारण पूछा तो उसने बताया की साहब में तो केवल माली हूँ और यहाँ सुरक्षा कर्मी आउट सोर्सिंग से आते हैं इनके लिए अभी एम् डी ऐ से टेंडर पास नहीं हुए हैं|

सोणी मनमोहनी सरकार ठाठ से कभी साईकिल और कभी हाथी की सवारी का आनंद लेती जा रही है


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

भाजपाई चीयर लीडर

ओये झल्लेया ये क्या लोक तंत्र का संसद में खुले आम मखौल उड़ाया जा रहा है ? एक तरफ तो ऍफ़ डी आई के विरोध में बंद कराते हैं|संसद में गला फाड़ते हैं और वोट देने के नाम पर ऍफ़ डी आई को जितवा देते हैं| पहले लोक सभा में बहस करने के बावजूद वोटिंग के टाईम पर बेहद बचकाना बहाना बना कर बाहर निकल गए फिर राज्यसभा में तो हद ही हो गई | इन्होने उच्च सदन में सी बी आई बनाम भाजपा बनाने का प्रयास कर दिया| यहाँ तक की उच्च सदन की मर्याद को तार तार करते हुए सदन की कार्यवाही को बेशक दस दस मिनट्स के लिए ही सही मगर दो बार स्थगित करवा दिया| एन सी पी ने भी ऍफ़ डी आई का विरोध का संकेत देकर महाराष्ट्र में दोबारा अपना उप मुख्यमंत्री बनवा लिया| इन सभी ने साबित कर दिया है दिया है की सारी बातें मत्थे मगर पतनाला वहीं गिरेगा|खैर ये डाल डाल तो हम भी पात पात|हमने भी इन्हें यूं पी में बेनकाब करके इन्हें कांग्रेस की गोद में बैठा साबित कर ही दिया |अबदेखेंगे की ये चुनावों में कांग्रेस की मुखालफत कैसे करते हैं|

सोणी मनमोहनी सरकार कभी साईकिल और कभी हाथी की सवारी का आनंद लेती जा रही है

झल्ला

ओ भोले सेठ जी बड़ी पुराणी कहावत है की रब्ब नेड़े[नजदीक]या घुसन्न[घूँसा]|जिस बेचारे को हर समय घूंसा दिखाई देता हो तो उसको रब्ब की परवाह नहीं रहती|एक पार्टी के मुख्यमंत्री ने तो सरे आम यह स्वीकार भी कर लिया की उनकी पार्टी ने हमेशा यूं पी ऐ को बचाया है मगर वक्त पड़ने पर उन्हें कौन बचाएगा?इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी सी बी आई को फटकार लगाई जा चुकी है| सेठ जी वास्तव इन दोनों संकट मौचक पार्टियों की गर्दन सरकार के हाथ में हैं| इसीलिए हसाड़ी सोणी मनमोहनी सरकार ठाठ से घड़ी घड़ी साईकिल और हाथी की सवारी का आनंद लेती जा रही है|

रिटेल में ऍफ़ डी आई पर लोक सभा में हुए मतदान में आज फिर भरोसेमंद तीन एम् ने आज सरकार की साख सजाई

भरोसेमंद तीन एम् ने [मायावती+मुलायम सिंह यादव और एम् करूणानिधि ]आज रिटेल में ऍफ़ डी आई पर हुए मतदान में सरकार की साख लोक सभा में सजा कर विपक्ष के प्रस्ताव को वोट आउट करा दिया |अब खुदरा में ५१% ऍफ़ डी आई के लिए रास्ते खुल गए हैं| आज लंबी बहस के बाद रिटेल में एफडीआइ पर विपक्ष का प्रस्ताव संसद में खारिज हो गया। एफडीआइ के समर्थन में 253 तथा विरोध में 218 मत पड़े। जबकि ७० सांसदों ने मतदान में भाग नहीं लिया| बहस के दौरान ही सपा, बसपा और तेलंगाना राष्ट्रीय समिति ने सदन से वॉकआउट कर दिया था।

Indian Parliament


आज लोक सभा में ११८ राजनीतिक दलों ने चर्चा में भाग लिया इनमे से १४ दलों ने ऍफ़ डी आई का विरोध कियाइनमे सपा और बसपा भी शामिल थी | इन दलों के सांसदों की संख्या २८२ और सरकार के पक्ष में बोलने वाले चार दलों की संख्या २२४ ही थी मगर मतदान के दौरान सपा और बसपा ने बड़े नाटकीय अंदाज़ में सदन से वाक् आउट कर दियाइनके साथ तेलंगाना के सांसद भी थे| इसी के फलस्वरूप केवल ४७१ सांसदों ने मतदान में भाग लिया|इनमे से जीत के लिए केवल २३६ वोट जरूरी तह जबकि सरकार के पक्ष में १७ वोट अधिक मिले|यह बहस नियम १८४ के अंतर्गत हुई थी इसमें अगर सरकार हर भी जाती तो भी गिरने का खतरा नहीं था हाँ नैतिक हार अवश्य हो जाती|
इससे पूर्व बहस के दौरान लोकसभा में भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने एफडीआइ का विरोध किया और कहा कि केंद्र सरकार अपनी गर्दन कटवाएं, देश का नहीं। इससे पहले लालू प्रसाद यादव ने इस मुद्दे पर बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने नरेंद्र मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा कि बीजेपी किस मुंह से एफडीआइ का विरोध कर रही है। उनके होने वाले पीएम तो दुनिया भर की कंपनियों को देश में बुलाते हैं।
, फेमा संशोधन बिल रद्द करने का भी प्रस्ताव खारिज हुआ है।
वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने पहले ही साफ कर दिया कि एफडीआई लागू किया जाए या नहीं ये राज्य सरकारों पर निर्भर होगा। सिंगलब्रैंड रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई की इजाजत है।जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि केंद्र सरकार को एफडीआइ पर जनता के हितों की चिंता नहीं है, वह बस अपनी सत्ता बचाए रखने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार एफडीआइ पर सदन के भीतर तो जीत जाएगी, परंतु विपक्ष का संघर्ष जारी रहेगा।यदि सरकार एफडीआइ रिटेल पर रोलबैक नहीं करेगी तो वह जनता के बीच जाकर सरकार का रोलबैक करेंगेपृथक तेलंगाना राज्य की माग को लेकर आध्र प्रदेश से आने वाले काग्रेसी सांसदों ने भी वोटिंग के दौरान मतदान का बहिष्कार किया।

संसद के शीतकालीन सत्र के प्राम्भिक घंटों को ऍफ़ डी आई की गर्मी लगी

संसद का शीतकालीन सत्र चलने देने के लिए पी एम् की डिनर डिप्लोमेसी सत्र के पहले दिन के पहले घंटों में ही फीकी नजर आई| आज गुरुवार को विपक्ष के जोरदार हंगामे के साथ संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हुई. एफडीआआई मुद्दे पर इस हंगामे के चलते दोनों सदनों को 12 बजे तक स्थगित कर दिया गयाइसके पश्चात भी जब हंगामा बंद नहीं हुआ तो लोक सभा साड़े बारह बजे तक और राज्य सभा शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है| साड़े बारह बजे पुनः दो बजे तक के लिए लोक सभा स्थगित कर दी गई|
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संसद के शीतकालीन सत्र के प्राम्भिक घंटों को ऍफ़ डी आई की गर्मी लगी


संसद की कार्यवाही आज प्रात शुरू होते ही दिवंगत नेताओं को श्रधान्जली दी गई| राज्यसभा में प्रधान मंत्री ने अपने नए मंत्रियों का परिचय कराया| तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया. साथ ही लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता और वरिष्ठ बीजेपी नेता सुषमा स्वराज ने लोकसभा में स्पीकर को एफडीआई पर चर्चा और वोटिंग के लिए नोटिस दिया|बसपा आरक्षण के मुद्दे के लिए प्राथमिकता की इच्छुक दिखी| प्रथक तेलंगाना के लिए प्ले कार्ड्स का प्रदर्शन हुआ|
संसद में जाने के पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संसद चलाने के लिए सबसे सहयोग माँगा और कहा की देश की अर्थव्यवस्था को बल चाहिए ताकि खूब नौकरियां पैदा की जा सकें.
हालांकि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को फिलहाल व्यापक समर्थन नहीं मिल पाया है. इस बात पर भी सवाल उठ रहे हैं कि 19 सदस्यों वाली तृणमूल कांग्रेस प्रस्ताव के लिए ज़रूरी 50 सांसदों का समर्थन भी हासिल कर पाएगी या नहीं|
लेकिन सरकार के लिए अविश्वास प्रस्ताव से बड़ा मसला ख़ुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का है.
खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश की अनुमति देने के फैसले पर विपक्ष के अधिकतर दल ऐसी संसदीय बहस चाह रहे हैं जिसमें वोटिंग का प्रावधान हो, जब कि सरकार की पूरी कोशिश है कि इस मुद्दे पर मतदान के पक्ष में नज़र नहीं आ रही|
विपक्ष की नाराजगी इस बात पर है कि सरकार तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा दिए गए उस आश्वासन से मुकर गई है जिसमें यह कहा गया था कि खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश के बारे में सभी संबंधित पक्षों से सलाह मशविरा करने के बाद ही अंतिम फैसला किया जाएगा.
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने ज़ोर देकर कहा है,”हम चाहते हैं कि सदन चले. कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी है लेकिन हमारी शर्त यही है कि सबसे पहले वह मुद्दा उठाया जाए जिसके बारे में सरकार ने सदन को आश्वासन दिया था और वह भी उस नियम के तहत [१८४]जिस पर मतदान हो सके”
भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के गुरुदास गुप्ता का भी कहना था कि वह सुषमा स्वराज की खुदरा क्षेत्र में निवेश पर नियम 184 के तहत बहस कराए जाने की माँग का समर्थन करते हैं.
कांग्रेस के प्रवक्ता पीसी चाको ने पार्टी और सरकार के उस तर्क का समर्थन करते हुए कहा कि खुदरा क्षेत्र में निवेश का फैसला पूरी तरह से कार्यपालिका द्वारा लिया गया फैसला है जिस पर संसद में मतदान नहीं कराया जा सकता.
उन्होंने यह भी कहा कि अगर विपक्ष सही समझता है तो उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है. उनके अनुसार सरकार को संसद में बहुमत हासिल है और वह इसे संसद में सिद्ध भी कर सकती है.|साड़े बारह बजे पुनः लोक सभा में नारे गूंजते रहे इसी शोर गुल में भाजपा नेत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने नियम १८४ के अंतर्गत बहस करा कर वोटिंग कराने की मांग को दोहराया|इसके पश्चात लोक सभा फिर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई|

सुरक्षा व्यवस्था के चेक करने के लिए माक ड्रिल

आज सुबह संसद परिसर में उस समय अफरातफरी मच गई जब कुछ सुरक्षा बालों ने एक्शन पोजीशन ले ली लेकिन कुछ समय पश्चात जब बताया गया की यह माक ड्रिल है तब लोगों की जान में जान आई

मेरठ में एयर पोर्ट को लेकर सपा, रालोद बसपा और भाजपा में राजनीतिक धमासान

बचपन से एक कहावत सुनते आ रहे हैं कि झोतटों की लड़ाई में झुंडों का नाश होता है यह कहावत आज कल यूं पी और ख़ास कर मेरठ की राजनीती में अक्षरह प्रासंगिक है| यहाँ में एक बात साफ़ कर देना चाहता हूँ कि झोतटों का अर्थ बिजार नहीं बल्कि शक्तिशाली और झुण्ड का अर्थ निरीह लिया जा रहा है|शक्ति शाली हैं सिविल एविएशन मंत्री चौधरी अजित सिंह और यूं पी के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव|जबकि निरीह हैं मेरठ में एयरपोर्ट का मामला|
बेहद क्षमा के साथ यह कहना चाहता हूँ कि मेरा इरादा किसी का अपमान करने या उनकी तुलना जानवरों से करने कि नहीं है मगर आज कल राजनीति में आये दिन मच्छर+ नाली के कीड़े+डेंगू मच्छर +घोड़ा+बैल और ना जाने किस किस जानवर के रूप में नेताओं को देखा जा रहा है| अब चूंकि कलम समाज के रूप को ही उजागर करती है सो समाज में प्रचलित भाषा का ही प्रयोग का ही चलन है|

मेरठ में एयर पोर्ट को लेकर सपा, रालोद बसपा और भाजपा में राजनीतिक धमासान


मेरठ में विकास की गंगा बहाने के लिए अखिलेश यादव और अजित सिंह दोनों ही आये दिन दावे करते नज़र आ रहे हैं|लेकिन वास्तव में दोनों ही अपने सियासी अहम में फंसे दिखाई दे रहे हैं| चौधरी अजित सिंह जहां मेरठ में एयर पोर्ट के लिए फ्री में जमीन चाहते हैं तो मुख्य मंत्री ऐसी किसी परिपाटी से इनकार करते हुए आगरा या वाराणसी में एयरपोर्ट का विकास करने की सलाह दे रहे है।अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इस बयान पर राजनीति में भूचाल आ गया है,
विपक्षी दलों का कहना है कि जब अजित सिंह मेरठ में एयरपोर्ट की स्थापना के लिए देश के 37 एयरपोर्ट की तर्ज पर मुफ्त में जमीन मांग रहे हैं तो मुख्यमंत्री को तत्काल जमीन देकर उनका आग्रह स्वीकार कर लेना चाहिए। इस तरह के बयान देकर उन्होंने यह साबित कर दिया है कि वह मेरठ मंडल की उपेक्षा कर रहे हैं। वह भी तब जब राजस्व वसूली के मामले में प्रदेश में यह क्षेत्र अव्वल है। उद्यमियों व व्यापारियों ने भी इन विपक्षी दलों की बात का समर्थन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र प्लानिंग बोर्ड (एनसीआरपीबी) की सिफारिश लागू हुए छह साल बीत गए हैं पर उप्र सरकार की उपेक्षा के चलते एनसीआरपीबी की महायोजना-2021 के तहत एक भी प्रोजेक्ट मेरठ मंडल में लांच नहीं हुआ है। यानि मेरठ मंडल के लिए एनसीआर में शामिल होने का अनुभव भी अच्छा नहीं है।मेरठ में एयर पोर्ट के प्रति उपेक्षा या राजनीती को लेकर बसपा और भाजपा विधान सभा में आवाज उठाने जा रही है जबकि भाजपा इसे लोक सभा में भी उठाने की बात करने लगे हैं|

चौधरी अजित सिंह

केंद्रीय टीम के निरीक्षण के बाद भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के चेयरमैन के अलावा खुद केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री चौधरी अजित सिंह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिख चुके हैं। मेरठ एयरपोर्ट के लिए उन्होंने 133 एकड़ में फैली हवाई पट्टी मुफ्त में एएआइ को हस्तांतरित करने का आग्रह किया है। मुफ्त में जमीन देने की बाबत उन्होंने देश के 18 राज्यों में स्थापित उन 37 एयरपोर्ट की सूची भेजी है, जहां एएआइ को मुफ्त में जमीन मिली है। उप्र के वाराणसी में ही 64.73 एकड़ व लखनऊ में 77 एकड़ जमीन एएआइ को लीज पर मिली है, जिसमें एएआइ के अधीन एयरपोर्ट संचालित है। उन्होंने कहा है कि यदि यह जमीन मिल जाए तो शीघ्र ही इस हवाई पट्टी पर कुछ व्यवस्था कर लखनऊ व इलाहाबाद के लिए उड़ान शुरू की जा सकती है। 7500 वर्ग फीट का रन-वे, समानांतर में टैक्सी ट्रैक, टर्मिनल बिल्डिंग, एटीसी टॉवर, फायर स्टेशन, हैंगर्स, कारगो के साथ-साथ सिविल शेड्यूल प्रचालनों के लिए सी श्रेणी के विमान हेतु विकसित तथा उन्नत करने के लिए अतिरिक्त 433 एकड़ भूमि का अधिग्रहण तथा हस्तांतरण का कार्य एएआइ बाद में कराएगी। इस प्रोजेक्ट पर खर्च होने वाला करीब 250 करोड़ रुपये एएआइ के पास है।
अजित सिंह के अनुसार मेरठ में ही वह हैदराबाद व तमिलनाडु की तरह 600 करोड़ की लागत से विमान रखरखाव, मरम्मत एवं ओवर हॉल (एमआरओ) सेवा शुरू कराने के इच्छुक है, ताकि देश-विदेश से विमान यहां ठीक होने के लिए आएं। इस प्रोजेक्ट के लांच होने पर मेरठ ही नहीं आसपास में न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि औद्योगिक विकास भी होगा।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव

मेरठ की हवाई पट्टी छोटी है, फिर भी केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री चौधरी अजित सिंह उप्र में एयरपोर्ट का विकास करना चाहते हैं तो वह अपना ध्यान मेरठ के बजाए आगरा व वाराणसी पर लगाएं। यह दुनिया भर के पर्यटकों के लिए बेहतर होगा।

एयरपोर्ट निर्माण के लिए शर्तें

[१]एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मानकों के अनुसार राष्ट्रीय स्तरपर हवाई अड्डे के लिए चाहिए- रनवे 18045 फुट यानि करीब 5552.615 मीटर लंबा व 296 मीटर चौड़ा[२]वर्तमान में मेरठ हवाई पट्टी पर 47 एकड़ जमीन पर रनवे- 1736 मीटर लंबा व 80 मीटर चौड़ा।[३]86 एकड़ जमीन विस्तारीकरण के बाद रनवे- 2700 मीटर लंबा और 200 मीटर चौड़ा[४] 433 एकड़ जमीन और अधिग्रहण करने के बाद रनवे- 7200 मीटर लंबा व 310 मीटर चौड़ा

विपक्षी दलों की दलीलें

बसपा द्वारा यह मामला राज्यसभा में उठाया जाएगा|
बसपा सरकार में यह हवाई पट्टी विकसित हुई। विस्तारीकरण को 86 एकड़ जमीन अधिग्रहण की गई और चारदीवारी कराई गयी। प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप अन्तर्गत मेरठ एयरपोर्ट के लिए परामर्शी का चयन कर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर), संभावना तलाशने के लिए प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट भी तैयार हुई और मेरठ विकास प्राधिकरण की महायोजना-2021 में 1350 एकड़ जमीन का संशोधन प्रस्ताव भी पारित किया गया। मेट्रो सिटी होने के कारण मेरठ में एयरपोर्ट जरूरी है। अजित सिंह की पहल भी सही है। ऐसे में यदि मुख्यमंत्री मेरठ हवाई पट्टी को छोटी बताकर कहीं और एयरपोर्ट की वकालत कर रहे हैं तो वह गलत है। ।
भाजपा इसे लोक सभा में उठायेगी| भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल, के अनुसार वर्ष 2006 में बनी एनसीआरपीबी की महायोजना-2021 में मेरठ में एयरपोर्ट की बात की गई है। एमडीए की महायोजना में भी यह प्रस्ताव शामिल है। ऐसे में अजित सिंह की पहल स्वागत योग्य है, पर मुख्यमंत्री ने मेरठ एयरपोर्ट को लेकर जो बयान दिया है, उसे लोस में उठाया जाएगा।
अजित सिंह की पार्टी – रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान, के अनुसार उनके नेता मेरठ ही नहीं प्रदेश के छह शहरों में एयरपोर्ट बनवाना चाहते हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री ने जिस तरह केवल आगरा में एयरपोर्ट की बात की है, उससे लगता है कि वह सपा के गढ़ वाले क्षेत्र की पैरवी कर रहे हैं। अजित सिंह ने मेरठ के साथ ही आगरा, मुरादाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर में भी एयरपोर्ट विकसित करने की बात की है।
मेरठ के व्यापारियों और उधमियों ने आरोप लगाया है के मेरठ एयरपोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री का बयान इस बात का प्रमाण है कि वह इस क्षेत्र का विकास नहीं चाहते हैं। दस नवम्बर को मुख्यमंत्री मेरठ आए तो उन्होंने उद्यमियों व व्यापारियों से मिलने का समय देने के बाद भी उनसे बात नहीं की। पिछले 15 साल से मेरठ मंडल में उद्योग के लिए एक इंच जमीन का अधिग्रहण नहीं हुआ है। इन्फ्रास्ट्रक्चर बदहाल है। ऐसे में यदि मेरठ से हवाई यात्रा का सपना पूरा हो जाता तो उद्यमियों व व्यापारियों को राहत मिलती। मेरठ से रोज 250 लोग विभिन्न स्थानों के लिए दिल्ली से हवाई उड़ान भरते हैं। यदि एयरपोर्ट मेरठ में होगा तो इनकी संख्या दस गुणा तक होगी। हर वर्ष करीब 1200 करोड़ से अधिक का खेल उत्पाद, सोने के आभूषण, दवाई, मीट, आदि उत्पाद विदेशों में यहां से जाते है, वह भी मेरठ एयरपोर्ट से जा सकेगा। इन इकाइयों में तैयार माल मुंबई या कोलकाता बंदरगाह से विदेशों में जाता है। बंदरगाह तक पहुंचने में काफी समय लगता है, लेकिन यहां माल वायुयान से जाने के बाद कुछ हीं घंटों में बंदरगाह पर पहुंच जाएगा।
इतिहास गवाह है मेरठ शुरू से ही उपेक्षा का शिकार रहा है|एन सी आर के लाभ से लेकर हाई कोर्ट की बेंच और रेलवे के लिए डबल लाईन और अब ये एयर पोर्ट का मुद्दा जिस तरह से राजनीती का शिकार हो रहा है उसे देखते हुए कहा जा सकता है के झोत्टों की लड़ाई में झुंडों का नाश हो रहा है|

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मायावती के खिलाफ ताज कोरिडोर मामले पर नहीं बनता कोई मुकद्दमा: इलाहाबाद उच्च न्यायालय

बसपा सुप्रीमो मायावती को बड़ी राहत प्रदान करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को ताज कॉरिडोर मामले में उनके खिलाफ याचिकाएं खारिज कर दीं।
अदालत की लखनऊ पीठ ने उनके कैबिनेट सहयोगी नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ भी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
अदालत द्वारा 74 पन्नों का फैसला दिए जाने के बाद वरिष्ठ वकील सतीश चन्द्र मिश्र ने कहा कि कोर्ट ने मैरिट पर इस केस को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए फैसलों की भी जानकारी ली और इसके बाद यह फैसला सुनाया है। उन्होंने इस फैसले को मायावती के लिए बड़ी राहत बताया।मिश्र ने बताया कि गवर्नर द्वारा पूर्व में ही इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ मामला चलाए जाने की अनुमति नहीं दी गई थी यह इस बात का प्रमाण था कि इस मामले में उनका कोई कसूर नहीं है। इस मामले से जुड़ी फाइलों को कभी भी मायावती के सामने स्वीकृति के लिए लाया ही नहीं गया था, क्योंकि यह एक रुटिन मैटर था जिसको मुख्यमंत्री की स्वीकृति की जरुरत महसूस नहीं की गई।

Wah Maya Wah Taj

उन्होंने कहा कि मिशन मैनेजमेंट बोर्ड ने बीजेपी की सरकार में ताज कॉरिडोर के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। उस वक्त प्रदेश में राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे। लिहाजा इस मामले में यदि कोई आरोपी बनता है तो वह उस वक्त के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। गौरतलब है कि इस मामले में सीबीआई की स्थानीय विशेष अदालत ने मायावती तथा नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ तत्कालीन राज्यपाल द्वारा मुकदमा चलाने की स्वीकृति नहीं दिए जाने के कारण अभियोजन की कार्यवाही समाप्त कर दी थी। इसके खिलाफ वर्ष 2009 में छह जनहित याचिकाएं दायर कर इस फैसले को चुनौती दी गई थी। इन सभी छह याचिकाओं पर सुनवाई 12 सितंबर को सुनवाई की गई थी, जिसके बाद आज इस मामले में मायावती को बड़ी राहत प्रदान कर दी गई है । 12 सितम्बर को लखनऊ खंड पीठ ने मायावती एवं नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर आपराधिक मामले की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देने हेतु दायर जनहित याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच में न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा और न्यायमूर्ति अनी कुमार सिंह की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार 11 सितंबर को इस मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से उच्चतम न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने बहस की थी वहीं, मायावती तथा अन्य पक्षकारों की तरफ से वरिष्ठ वकील सतीश चन्द्र मिश्र अधिवक्ताओं की टीम के साथ पेश हुए। न्यायाधीश इम्तियाज मुर्तजा और अश्विनी कुमार सिंह की इस पीठ ने आदेश जारी करते हुए कहा कि याचिकाओं में कोई दम नहीं है और इसीलिए उन्हें खारिज किया जाता हैं।

केस हिस्टरी

बताते चलें कि
साल 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने ताज की खूबसूरती बढ़ाने के नाम पर 175 करोड़ रुपए की परियोजनाएं लॉन्‍च कर दी. आरोप लगा कि पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी मिले बगैर ही सरकारी खज़ाने से 17 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए गए.2003 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पड़ताल करने के आदेश दिए. 2007 में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी.सीबीआई की चार्जशीट में मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप लगाए गए लेकिन जैसे ही मायावती सत्ता में वापस आईं, तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर ने इस केस में मुकदमा चलाने की इजाजत देने से मना कर दिया और सीबीआई की विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही ठप्प हो गई.|