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Tag: माया से इश्वर दूर होते हैं

माया के सुखों का उपयोग करने से परमात्मा दूर होता है

भारत वर्ष आदि काल से संत+मुनि+ऋषियों का देश है |मानव मात्र के कल्याण के लिए समर्पित ये संत जन समय समय पर मानव का मार्ग दर्शन करते रहते हैं ऐसी ही प्रस्तुत है एक संत वाणी
संत महापुरुष समझाते हुए कहते हैं कि परमात्मा ही सुख का स्वरुप है। जगत भोगों में इन्द्रियों को जो सुख जान पड़ता है, वह क्षण भंगुर, परिणामों में दुखदाई , मन बुद्धि को मलिन एवं चंचल करने वाला है। अतः परमात्मा की प्राप्ति के लिए भरसक कोशिश करनी चाहिए।
माया के सुख वास्तव में उस परमात्मा की खोज करने के लिए साधनमात्र हैं इस के अतिरिक्त इनका उपयोग करने से परमात्मा से दूर होना है।
संत वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना