Ad

Tag: रतन टाटा

अमेरिकी आव्रजन नीति में सुधार की कवायद , क्या भारत पर दबाब की राजनीती है?

नई आव्रजन नीति क्या भारत पर अमेरिकी दबाब की राजनीती है?भारतीय वित्त मंत्री पी चिन्द्रम +वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा रतन टाटा आदि ने आज कल अमेरिका में डेरा डाला हुआ है।
इन्होने बेहद आशावान होकर अपने काउंटर पार्ट्स से मांग की है कि इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी और हाइली स्किल्ड प्रोफेशनल को नई आव्रजन नीति से अलग रखा जाये वर्ना इससे भारतीय प्रतिभाओं को हानि होगी ।
इसके ठीक विरुद्ध अमेरिका के प्रेजिडेंट बराक ओबामा ने आज फिर कांग्रेस से आग्रह किया है कि उनकी नई महत्त्व कांक्षी आव्रजन नीति को तत्काल मंजूरी दे दी जाये ताकि इसे कानून की शक्ल दी जा सके ।
अमेरिकन व्हाईट हाउस और भारतीय सूचना विभाग द्वारा जारी दो प्रेस रिलीज इस प्रकार निम्न है :

AMERICAN PRESIDENT BARACK OBAMA

AMERICAN PRESIDENT BARACK OBAMA

[१]राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आज फिर कांग्रेस से आग्रह किया है कि राष्ट्र हित में अप्रावासन [BrokenImmigration ] नीति को शीघ्र मंजूरी दे दी जाये
अपने साप्ताहिक संबोधन में बराक ओबामा ने कहा कि दो सप्ताह पूर्व द्विदलीय सीनेट ने बड़ी संख्या में अप्रवासन नीति[ commonsense imm igration reform, ] को मजूरी देकर इसे कांग्रेस को भेजा थाi इस नीति से देश की आर्थिक स्थिति +सामाजिक सुरक्षा में सुधर तो आयेगा ही इसके साथ ही अप्रवासन कानून को हमारे सिद्धांतों के अनुरूप आधुनिक जामा पहनाया जा सकेगा| इसीलिए ब्रोकन अप्रवासन नीति के सुधारों के लिए कांग्रेस को भी अब तत्काल अपनी मंजूरी दे देनी चाहिए| यह अमेरिका के उज्जवल भविष्य के लिए जरुरी भी है|
उन्होंने बताया कि अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले अप्रवासियों की संख्या ११ मिलियन पर पहुँच गई है|इन्हें राष्ट्र की मुख्य धारा में लाने से चौमुखी विकास होगा| राष्टपति ने बीते दिनों जारी एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यदि सीनेट का यह प्लान कानून बन जाता है तो देश कि इकोनोमी में ५% की वृद्धि होगी और मात्र दो दशकों में ही १.४ ट्रिलियन डॉलर्स की अतिरिक्त आय होगी |उन्होंने स्मरण करते हुए कहा कि अमेरिका हमेशा से ही आप्रवासियों का देश रहा है| इन सब ने मिल कर अमेरिका को विश्व का सिरमौर देश बनाया है लेकिन वर्तमान में ऐसी अनेको प्रतिभाओं को राष्ट्र की मुख्य धारा से दूर रखा जा रहा है|इन्हें कानूनी अधिकार देने से ये लोग भी देश के विकास में यौग्दान दे सकेंगे|उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि जब पूर्व प्रेजिडेंट बुश और वोह[बराक ओबामा ] इस मसले पर सहमत हो सकते हैं तब कांग्रेस के डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स को एक जुट होकर राष्ट्र हित में अप्रवासन बिल को मंजूरी दे देनी चाहिए ताकि इसे कानून बनाने के लिए उन्हें [ओबामा]को हस्ताक्षर करने का सुअवसर मिल सके|
The Union Minister for Commerce & Industry, Shri Anand Sharma with the US Commerce Secretary, Ms. Penny Pritzker, in Washington DC on July 12, 2013.

The Union Minister for Commerce & Industry, Shri Anand Sharma with the US Commerce Secretary, Ms. Penny Pritzker, in Washington DC on July 12, 2013.

[२]भारत के केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री से प्रस्तावित अमरीकी आव्रजन कानून के प्रतिबंधात्मक प्रावधानों पर चिंता प्रकट कीहै
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री शर्मा ने बीते दिन अमरीका की वाणिज्य मंत्री से वाशिंगटन में मुलाकात की। श्री शर्मा ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री सुश्री पैनी प्रित्ज्कर[ Ms. Penny Pritzker] को अमरीकी वाणिज्य मंत्री नियुक्त होने के लिए बधाई दी। इस बैठक के दौरान श्री आनंद ने सुश्री प्रित्ज्कर से कहा कि प्रौद्योगिकीय सेवाएं देने वाले अत्यधिक प्रशिक्षित प्रोफेशनल को आव्रजक नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने अमरीकी कांग्रेस में फिलहाल विचाराधीन अमरीकी आव्रजन कानून में कुशल प्रोफेशनल के आवागमन पर प्रतिबंधात्मक प्रावधान शामिल करने संबंधी भारतीय आईटी उद्योग की चिंताएं प्रकट की।
श्री शर्मा ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री को भारत की पेटेंट व्यवस्था की भी जानकारी दी जो पूरी तरह टीआरआइपीएस के अनुकूल कानून पर आधारित है तथा उसे लागू करने की ठोस व्यवस्था है।
श्री शर्मा ने विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर उदार रवैया अपनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने भारत-अमरीकी व्यापार एवं आर्थिक सहयोग में वृद्धि के परिप्रेक्ष्य में इन मुद्दों पर विचार करने पर बल दिया।
श्री शर्मा ने भारतीय राष्ट्रीय विनिर्माण नीति में अमरीकी कारोबारियों के लिए अवसरों की भी जानकारी दी। उन्होंने अमरीकी वाणिज्य मंत्री से कहा कि भारत ने राष्ट्रीय निवेश एवं विनिर्माण के 13 क्षेत्रों की स्थापना को मंजूरी दे दी है जिनमें से आठ को दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे के पास अनुमोदित किया गया है।
श्री शर्मा और अमरीकी वाणिज्य मंत्री ने दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय संवाद बनाए रखने पर भी सहमति प्रकट की। सुश्री प्रित्ज्कर ने भारत आने का श्री शर्मा का निमंत्रण भी स्वीकार कर लिया।श्री शर्मा ने वॉलमार्ट एशिया के सीइओ श्री स्कॉट प्राइस से भी मुलाकात की तथा मल्टी-ब्रैंड खुदरा व्यापार संबंधी विभिन्न
मुद्दों पर चर्चा की। श्री शर्मा ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी के लिए अमेज़न डॉट कॉम के उपाध्यक्ष श्री पॉल मिजेनर से भी मिले तथा ई-कॉमर्स सेंबंधी मुद्दों पर चर्चा की
उपरोक्त के मध्य नजर अब सवाल यह उठाया जा रहा है कि बेशक अमेरिका द्वारा अपने हित में यह कार्यवाही की जा रही हैइससे वहां मात्र दो दशकों में ही १.४ ट्रिलियन डालर की अतिरिक्त आय होगी अवैध अप्रवासी मुख्य धारा में आ जायेंगे लेकिन इसके साथ ही भारत की प्रतिभाओं को वहां अप्रवासी की तरह ट्रीट किया जाएगा, जिसके फलस्वरूप भारतीय हाईली स्किल्ड प्रतिभाओं को भी हानि होगी |इससे अनेकों प्रश्न उठ रहे हैं
।[१]पहला प्रश्न यह उठता है कि अमेरिका में कार्यरत भारतीय कंपनियों और उनके प्रोफेशनल्स का क्या होगा ?
[२]क्या यह भारत पर अपनी बहु राष्ट्रीय कम्पनियों के लिए अमेरिकी दबाब की राजनीती है?
[३] वाल मार्ट जैसी अमेरिकन कंपनियों को भारत में व्यापार की इजाजत देने से क्या अमेरिका के रुख में कुछ सकारात्मक परिवर्तन हो पायेगा ?अमेरिका के उज्जवल भविष्य के लिए अप्रवासन बिल पर कांग्रेस को तत्काल मंजूरी दे देनी चाहिए:बराक ओबामा|
पाठक मित्र कृपया मार्ग दर्शन करें

साइरस पी. मिस्त्री को सौ अरब डॉलर्स की व्यवसाई टाटा समूह का चेयरमैन बनाया:रतन टाटा को मानद पद:Tata Group

१०० अरब डॉलर्स की व्यवसाई टाटा समूह की कंपनियों की प्रवर्तक टाटा संस ने साइरस पी. मिस्त्री को टाटा समूह का चेयरमैन बनाया:रतन टाटा को मानद पद की घोषणा की गई| टाटा समूह के मालिकाना हक वाली कंपनी टाटा संस के निदेशक मंडल ने सेवानिवृत्त होने जा रहे अध्यक्ष रतन टाटा को सेवामुक्त चेयरमैन का मानद पद देने के फैसले पर भी मुहर लगा दी गई है। सेवामुक्त चेयरमैन के तौर पर टाटा कंपनी के निदेशक मंडल की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे और न ही उन पर रोजाना के काम का कोई बोझ होगा।
मिस्त्री की नियुक्ति 28 दिसंबर से प्रभावी होगी। टाटा संस के निवर्तमान चेयरमैन रतन टाटा 28 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं|रतन टाटा समूह से जुड़े सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट जैसे ट्रस्टों की कमान संभालते रहेंगे। ये ट्रस्ट टाटा संस में 66 फीसदी के हिस्सेदार हैं।टाटा संस ने एक बयान में कहा कि टाटा संस के निदेशक बोर्ड ने 28 दिसंबर, 2012 को रतन टाटा के सेवानिवृत्त होने के बाद साइरस पी. मिस्त्री को अपना चेयरमैन नियुक्त करने की आज घोषणा की है । बोर्ड ने रतन टाटा को चेयरमैन एमेरिटस का मानद दर्जा देने का निर्णय किया है
श्री मिस्त्री 2006 से टाटा संस के निदेशक रहे हैं और पिछले साल नवंबर में उन्हें डिप्टी चेयरमैन नियुक्त किया गया। इस महीने के शुरु में टाटा मोटर्स ने भी मिस्त्री को 28 दिसंबर से अपना चेयरमैन नियुक्त कर दिया था।
पारंपरिक औद्योगिक घराने को टाटा ने अपनी सूझबूझ से आईटी, सॉफ्टवेयर, टेलीकॉम और सोलर एनर्जी जैसे नए क्षेत्रों में लाते हुए और कोरस, नेट स्टील, मिलेनियम स्टील, हिस्पैनो, टेटली, देवू कॉमर्शियल जगुआर व लैंडरोवर सहित दो दर्जन से ज्यादा बहुराष्ट्रीय कंपनियों को खरीद कर एक ग्लोबल हैसियत दी है, मिस्त्री 2006 से टाटा संस के निदेशक रहे हैं और पिछले साल नवंबर में उन्हें डिप्टी चेयरमैन नियुक्त किया गया।
उल्लेखनीय है कि 44 वर्षीय मिस्त्री शपूरजी पलोनजी एंड कंपनी से हैं जो कि एक अग्रणी निर्माण कंपनी है। उनका परिवार टाटा संस में 18 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ी एकल हिस्सदार है।

किंग फिशर एयर लाईन्स को पूरी तरह डुबोने के लिए कंपनी के विमान जब्त

गले तक कर्ज़ में फंसी किंगफिशर एयरलाइंस को उबारने के बजाय पूरी तरह से डुबोने के लिए आज मंगलवार को सरकार ने सर्विस टैक्‍स न चुकाने के चलते एयरलाइंस के खिलाफ कार्रवाई की और उसका विमान जब्‍त कर लिया। सूत्रों के अनुसार, किंगफिशर एयर लाईन्स सर्विस टैक्‍स चुकाने में नाकाम रही है। कम्पनी पर करोड़ों रुपये के टैक्स बकाया है। सूत्रों के अनुसार इसकी भरपाई के लिए आने वाले दिनों में एयरलाइंस के सात और विमानों को जब्‍त करने की प्रकिया जारी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार एयरलाइंस के अधिकारयों ने उच्‍च अधिकारियों से संपर्क करके विमान के खिलाफ की गई कार्रवाई पर स्‍थगन आदेश के लिए कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। गौरतलब है कि कंपनी को 7000 करोड़ रुपये के ऋण का भुगतान करना है। यह उसकी वित्तीय हेसियत कही अधिक है|
सरकार पहले ही कह चुकी है कि किंगफिशर एय़रलाइंस का उबरना मुश्किल है. और इसीलिए घाटे में चल रही किंगफिशर एयर लाईन्स की उड़ानों पर पहले ही से रोक लगी हुई है. एयरलाइंस का लायसेंस भी निलंबित है और अब फिर से उड़ान भरने के लिए नए सिरे से लाइसेंस के लिए आवेदन करना जरूरी बना दिया गया है|
मुंबई में किंगफिशर एयर लाईन्स का विमान जब्त हुआ है इससे लगता है कि बात चीत के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं और अब किंगफिशर एयरलाइंस की संपत्तियां जब्त होना शुरू हो गई है,| किंगफिशर के कर्मचारियों के भविष्य को लेकर अब भी सस्पेंस बना हुआ है|शायद किंग फिशर एयर लाईन्स के इस प्रकार के पतन और इसे उबारने में सरकार की उपेक्षा के चलते ही विदेशी निवेशक इस दुधारू व्यवसाय में रूचि दिखने में हिचक रहे हैं|

Vijay Malya The King Fisher


यहाँ तक कि विश्व में १०० अरब डालर्स के व्यवसाई रतन टाटा भी इस व्यवसाय से जुड़े उद्योग को भारत के बजाय चीन में लगाने की बात कह चुके हैं|
कहना अनुचित नहीं होगा कि सरकर की नीतियों के चलते ही किंग फिशर एयर लाईन्स का पतन हुआ है और इसका फायदा दूसरी कम्पनियाँ उठा रही है |इस एक कम्पनी के मैदान से हटने के फलस्वरूप अब इंडिगो+ स्पाईस जेट या जेट ऐरवेज आदि पर टिकट्स की दरें सीमित रखने में सरकार भी असहाय दिख रही है|

रतन टाटा ने अब देश में नागरिक विमानन व्यवसाय से भी तौबा की

भारत में कभी नागर विमानन सेवा की शुरुआत करने वाले टाटा समूह के निवर्तमान चेयरमैन रतन टाटा ने छेत्र में विनाशकारी अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा’के चलते इस क्षेत्र में दोबारा कदम नहीं रखने के संकेत दिए हैं| रतन टाटा के अनुसार इस क्षेत्र में ‘विनाशकारी प्रतिस्पर्धा’ घर कर गयी है।
टाटा समूह की ओर से 1990 के दशक के मध्य में भारत में सिंगापुर इंटरनेशनल एयरलाइंस (एसआईए) के साथ मिल कर एयरलाइन शुरू करने के प्रस्ताव को याद करते हुए टाटा ने कहा, ‘उस समय की तुलना में आज यह क्षेत्र पूरी तरह अलग है.’
टाटा ने समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में

रतन टाटा

कहा, ‘यह बहुत कुछ दूरसंचार क्षेत्र की तरह बन गया है. इसमें कंपननियों की बाढ़ आ गयी और इनमें से कुछ ऑपरेटर वित्तीय संकट में हैं. आज की तारीख में मैं इस क्षेत्र में कदम रखने से हिचकूंगा, क्योंकि इस बात की संभावना रहेगी कि आपको इसमें बहुत हद तक ऐसी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा जो अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी.’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह ‘गला काट’ प्रतिस्पर्धा को लेकर चिंतित हैं, तो टाटा ने इसका न में जवाब दिया पर कहा, ‘गलाकाट प्रतिस्पर्धा आपको बाहर रखने के लिए हो तो वह विनाशकारी प्रतिस्पर्धा है.’ । घाटे में आने पर भी कुछ लोग आपको खत्म करने के लिए परिचालन कर रहे हैं।’ इंटरव्यू के दौरान टाटा से जब यह पूछा गया कि क्या यह सही है कि किसी ने टाटा-सिंगापुर एयरलाइन के प्रस्ताव को मंजूर करने के लिए उनसे 15 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी। इस पर टाटा ने कहा कि यह कहानी सही है, लेकिन उस समय के नागर विमानन मंत्री ने सीधे उनसे यह राशि नहीं मांगी थी।
टाटा ने कहा, ‘एक कारोबारी ने मुझसे कहा था कि आप पैसा क्यों नहीं दे देते हैं। मंत्री यही चाहते हैं’ कारोबारी को इस पर उन्होंने क्या जवाब दिया था, इस पर टाटा ने कहा, ‘मैंने उनसे कहा कि आप नहीं समझते हैं। हम इस तरह का काम नहीं करते हैं। उन्होंने मुझसे यही कहा था कि यदि आप एयरलाइन शुरू करना चाहते हैं तो आपको पैसा देना होगा। आप जानते हैं कि मंत्री यह चाहते हैं..15 करोड़ रुपये।’
टाटा ने कहा कि 1991 में समूह का चेयरमैन बनने के बाद उन्होंने रणनीतिक योजना बनाई थी। इसके तहत उनकी निगाह विमानन तथा रक्षा जैसे नए क्षेत्रों पर थी जिनमें निजी क्षेत्र बड़े तरीके से प्रवेश कर सकता है।
उन्होंने कहा, ‘तथ्य यह है कि कई वर्षों तक हम पर कई तरह के प्रतिबंध लगे थे और प्रौद्योगिकी नहीं मिल पा रही थी यह अपने आप में बड़ी चुनौती थी।’ लेकिन यह चुनौती देश के निजी क्षेत्र के सामने कभी नहीं रखी गयी जो ‘मेरे लिए कुछ निराशा की बात है।’
टाटा ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र और सरकारी प्रयोगशालाओं के निहित स्वार्थी तत्व इन क्षेत्रों में निजी कंपनियों का प्रवेश नहीं होने देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि आज इन क्षेत्रों को खोल तो दिया गया पर अब भी इनमें निजी क्षेत्र की भागीदारी काफी सीमित है।
गौरतलब है कि रतन टाटा ने पिछले दिनों इंग्लैण्ड के एक फायनेंशियल पत्रिका में दिए एक इंटरव्यू में भारतीय आर्थिक नीतियों पर असंतोष जताया था और कहा था कि इसी निराशा जनक माहौल के चलते उन्होंने भारत के बजाय चीन में विमानन सम्बन्धी फेक्ट्री लगाने को मजबूर होनी पडा है|

रतन टाटा ने अपनी सेवा निवृति से पहले सरकार की व्यापारिक नीति के नीचे के अँधेरे से अवगत कराया

Ratan Tata & Building Of Financial Times

भारतीय अर्थव्यवस्था के दीपक में विदेशी निवेशकों के धन तेल के भरोसे विकास की रौशनी दिखाने वाली यूं पी ऐ सरकार को अपने ही दीपक के नीचे के अँधेरे से अवगत कराते हुए दश के सर्वोच्च उद्योगपति रतन टाटा ने देश में उद्योगों की उपेक्षा का आरोप लगाया है| निकट भविष्य[इसी माह] में सेवा निवृत होने जा रहे रतन टाटा का यह आरोप बहेड महत्वपूर्ण माना जा रहा है|
बीते दिन रतन टाटा ने केंद्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा के केंद्र सरकर की दोषी नीतियों के कारण देश में व्यापारिक माहौल नहीं बन पाया|सुविधाएं चीन में दी जा रही है इसीलिए वहां तरक्की हो रही है मगर हमारे देश में उद्योगों को किसी प्रकार की सहायता नहीं दी जा रही|इसीलिए हम दूसरे देशों के साथ कम्पटीशन में पीछे रह जाते हैं| गौरतलब है की टाटा ग्रुप ने देश में नमक से लेकर अति आधुनिक साफ्ट वयरतक बना कर विदेशों में भी देश की शान बडाई है और विकसित देशों में अपनी सेवायें देकर बाह्र्तीय युवाओं के लिए वहां नौकरियों के द्वार खोले हैं| सौ अरब डालर के इस वैश्विक व्यापारी ने छोटी जनता कार नैनो सड़क पर लाकर पूरे विश्व को अचम्भित किया है|
लन्दन से प्रकाशित फायनेंशियल टाईम्स को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने सरकार की महत्वपूर्ण ऍफ़ डी आई यौजना की हवा निकालते हुए कहा की देश की बेलगाम नौकर शाही के डर से व्यापारी भारत में आने से कतराता है|इसीलिए टाटा ने भी चीन में एक फेक्ट्री लगाई है| उन्होंने संदेह व्यक्त किया की सरकार की असहयोगी नीतियों के कारण आज उद्योगपति भारत के बजे चीन में जाना पसंद करने लगा है|

मोदी जोगने को विदेशों से मान्यता मिल रही है अब देश में जोगी का रूतबा भी मिल ही जाएगा

भारत में कहा जाता है घर का जोगी जब तक बाहर प्रसिधी नहीं पाता तब तक जोगना ही रहता है शायद इसीलिए गुजरात के मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी भी केंद्र सरकार के लिए जोगना ही हैं|एन डी ऐ और यूं पी ऐ के अनेकों घटकों ने मोदी को अछूत भी घोषित किया हुआ है|मोदी के नाम पर नितीश कुमार और मुलायम सिंह का बिदकना जग जाहिर है लेकिन अभी हाल ही में ग्रेट ब्रिटेन ने जिस तरह मोदी के विकास को मान्यता दे दी है और एक और समाचार के अनुसार अब अमेरिका भी गुजरात के विकास में अपने यहाँ की मंदी का पाप धो लेना चाह रहा है इससे लगता है कि जोगना मोदी भी जल्दी ही देश में जोगी का रुतबा+मुकाम+सम्मान पाने जा रहा है|
लोक कल्याण मामलों के सहायक विदेश मंत्री माइक हैमर ने कहा है कि अमेरिका किसी भी वीजा आवेदन का मूल्यांकन योग्यता और अमेरिकी नियमों के मुताबिक करेगा।
संवाददाता सम्मेलन के दौरान बताया गया कि आप जानते हैं कि हम किसी व्यक्ति विशेष के वीजा मामले से जुड़े सवालों में नहीं पड़ते।
नरेंद्र मोदी के बारे में ब्रिटेन के हालिया सकारात्मक फैसले के संदर्भ में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में मोदी के प्रति अमेरिका की एक दशक पुरानी नीति बदलने का संकेत दिया गया है|
गौरतलब है कि ब्रिटेन और अमेरिका समेत कुछ देशों ने गुजरात में २००२ के दंगों के बाद मोदी से संपर्क न रखने की नीति अपनाई थी।ब्रिटेन ने गुजरात के साथ विदेशी निवेश पर कोई साझेदारी भी नहीं की थी ब्रिटिश फैसले पर अमेरिका की बड़ी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि विश्व में तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था के उद्यम प्रिय सरकारी अधिकारी बहुत सी राजनीतिक बाधाएं हटा सकते हैं। भारत मामलों के नए ब्रिटिश मंत्री ह्यूगो स्वायर ने एक बयान में कहा कि मैंने नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायुक्त को मोदी से मिलाने को कह दिया गया है| ब्रिटेन के इस रुख को पश्चिमी देशों में मोदी की बदलती छवि के तौर पर भी देखा जा रहा है। ब्रिटेन के इस कदम का स्वागत करते हुए मोदी ने भी कहा है कि गाड इज ग्रेट |देर आए दुरुस्त आए।
मोदी ने इस बदलाव को राजनीयिक परिपेक्ष्य में भुनाते हुए तत्काल केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि गुजरात का महत्व सात संमदर दूर बैठे लोग समझते हैं लेकिन दिल्ली में बैठे लोगों को समझ में नहीं आता है। केन्द्र सरकार की ओर से कभी भी गुजरात को शाबाशी नही दी गयी, हमेशा उससे दोहरा बर्ताव किया गया।मोदी ने कहा, कि दिल्ली में सौ देशों के नेता एक मंच पर एक साथ नहीं आए। लेकिन ‘वाइब्रेंट गुजरात समिट’ में 120 से ज्यादा देशों के नेता एक साथ आए हैं। मोदी ने साफ कही कि अगर केन्द्र सरकार हमारे साथ होती तो भारत का नाम बहुत ऊंचा होता और गुजरात की जनता को वोह सारी दिक्कतें नहीं सहनी पड़ती जो आज सहनी पड़ रही हैं|
अब दस साल बाद इन विकसित देशों का नरेन्द्र मोदी के प्रति ह्रदय परिवर्तन एक दम या अचानक नहीं हो गया है|दरअसल वहां रहने वाले गुजरात मूल के व्यापारिओं की लाबी बेहद शक्तिशाली है और राजनीतिक दान में भी विशवास रखती है इन लोगों में नरेन्द्र मोदी अच्छे खासे प्रसिद्ध हैं| मोदी ने अपने देश में भी तमाम अपमान जनक स्थितिओं को झेलते हुए भी प्रदेश का विकास कार्यक्रम जारी रखा यहाँ तक कि
रतन टाटा से नैनो की फेक्ट्री लगवाई +

मोदी जोगने को विदेशों से मान्यता मिल रही है अब देश में जोगी का रूतबा भी मिल ही जाएगा

अमिताभ बच्चन को गुजरात का ब्रांड अम्बेसडर बनाया + अजय देवगन के साथ इंटर नेट पर छाए इसीलिए अब गुजरात में विकास की धाराएँ देखी जाने लगी है| |उधर आर्थिक मंदी की मार झेल रहे इन विकसित देशों को नया बाज़ार चाहिए जो उन्हें अब गुजरात में दिखाई दे रहा है|यहाँ यह कहना भी अतिशियोक्ति नहीं होगा की गुजरात में चुनावी प्रक्रिया चल रही है और चुनावी हवा कुछ हद तक गुजरात के विकास पुरुष कहे जा रहे नरेन्द्र मोदी के पक्ष में बह रही प्रतीत होती है| ऐसे में अक्लमंद व्यापारी के लिए अपना पैसा इन्वेस्ट करने के लिए फिलहाल गुजरात ही फायदे मंद साबित हो सकता है|