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Tag: रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू

संजय दत्त तो सुधर गया है अब तो उसे माफ़ कर दो


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

संजय दत्त का एक दुखी चाहने वाला

ओये झल्लेया ये तो हसाडे बड़ा अनर्थ हो गया हसाडे लोक प्रिय अभिनेता संजय दत्त को १९९३ के बम धमाकों के लिए ना तो आरोपी और नाही षड्यंत्रकारी ही माना गया है फिर भी देश की सुप्रीम कोर्ट ने आर्म्स एक्ट की धारा २५[ऐ]के अंतर्गत [न्यूनतम] पांच साल की सजा सुना दी |ओये ऐसे हथियार तो बड़े बड़ों के घरों में सजाये जाते हैं लेकिन माननीय सुनील दत्त के ऊपर राजनितिक बन्दूक चलाने के लिए पहले तो इस बेचारे संजय के कन्धों का इस्तेमाल किया गया | आग्नेय अस्त्र रखने के विषय में सच्चाई दिखाने वाले संजय दत्त को डेड़ साल तक जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया |अब जब वोह सुधर गया है तो फिर से साडे तीन साल की सजा सुना दी गई है|माननीय सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को तो उम्र कैद में तब्दील कर दिया मगर इस बेचारे को अभी भी सादे तीन साल जेल में काटने होंगे| बम ब्लास्ट के मुख्य आरोपियों को अभी भी पकड़ा नहीं जा सका है | तीन तीन सांसदों वाले परिवार से जुड़े इस बेचारे को अपनी सच्चाई की कीमत चुकानी पड़ रही है| ओये यार इस जेल की घरेड से निकलने की कोई सूरत है या नहीं

 संजय दत्त तो सुधर गया है अब तो उसे माफ़ कर दो

संजय दत्त तो सुधर गया है अब तो उसे माफ़ कर दो

झल्ला

बाऊ जी वड्डे कह गए हैं के पीछे से बेशक हाथी निकल जाये मगर सामने से चींटी भी नहीं निकलनी चाहिए |सामने आने का खिमयाज़ा तो इस मुंजाल ब्राह्मण संजय दत्त को भुगतना ही पडेगा|इससे पूर्व इनके पूर्वजों ने भी एक बड़े युद्ध में पैगम्बर साहेब के परिवार का साथ दिया था और अपना सबकुछ सच्चाई पर कुर्बान कर दिया था |मुसलमान+ हिन्दू ] कुर्बानी वाली इस पीडी के इस प्रतिनिधि की रीड मज़बूत है और एक बार फिर कुंदन बन कर निकलेगी|
झल्लेविचारानुसार उम्मीद पर दुनिया कायम है इसीलिए निराश होने का अभी समय नहीं है|अगर राज्यपाल या राष्ट्रपति चाहें तो निम्न आधार पर पासा अभी भी पलट सकता है|
[१] बालीवुड का लगभग २५० करोड़ रुपया इस सफल अभिनेता संजय दत्त पर लगा हुआ है|यदि संजय को जेल हो गई तो अनेको परिवार बेहाल हो जायेंगे
[२]जेलों को भारत में सुधार गृह कहा जाता है| पिछले बीस साल से अपमान और अनजाने भय के साये में जीने वाले संजय दत्त की जीवनशैली में चमत्कारिक रूप से सुधार देखा जा सकता है|यह पूर्व में जेल में बिताये डेड़ साल का प्रभाव हो सकता है|और शायद यही कोर्ट का उद्देश्य भी होगा|
[३] जस्टिस [रिटायर्ड]मार्कंडेय काटजू ने भी महाराष्ट्र के राज्यपाल से संविधान की अनुच्छेद 1611 के अंतर्गत संजय दत्त को माफी की अपील की है|
[४] इससे पूर इसी प्रकार के एक केस में नानावटी को राहत दी जा चुकी है|

फेस बुक पर लड़कियों की बात तो ठीक ही थी शायद टाईमिंग गलत हो गई


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक सोश्लाईट

ओये झल्लेया ये हसाड़े सोणेलोक तंत्र में क्या भसूडी डाली जा रही है|ओये मुम्बई में 21 साल एक शाहीन धाडा को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि उसने शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे की मौत के बाद हुए मुम्बई बंद पर सवाल उठाए थे.हद तो ये हो गई कि इस कमेन्ट को लाईक करने पर आई टी की धारा ६६ ऐ के अंतर्गत रेनू को भी गिरफ्तार कर लिया गया| ओये इस कमेन्ट से कोई धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं भला? सूचना तकनीकी कानून का कोई उल्लंघन होता है? ओये इस लड़की ने माफी मांगी और फेस बुक बंद भी करवा दिया गया मगर उसके बावजूद रविवार रात कुछ लोगों ने ठाणे के पालघर स्थित लड़की के चाचा के आर्थोपेडिक क्लिनिक में जमकर तोड़फोड़ कर दी|ओये एक तरफ तो हसाडे सोणे प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह मीडिया की स्वतंत्रत की हिमायत करते नहीं थक रहे | कपिल सिब्बल सरीखे विख्यात वकील आई टी धारा ६६ ऐ को बैलेबल ओफेंस बता रहे हैं| उसके बावजूद भी अदालत ने इन लड़कियों को १४ दिन की रिमांड पर पोलिस को सौंप दिया उसके बाद दबाब पड़ने पर १५०००/=के मुचलके पर छोड़ दिया गया|ओये ऐसे कैसे चलेगा हमारा लोक तंत्र?

फेस बुक पर लड़कियों की बात तो ठीक ही थी शायद टाईमिंग गलत हो गई

झल्ला

बाऊ साहब जी आप जी की बात तो सोलह आने सच है शायद इसीलिए विवादों में घिरे रहने वाले प्रेस कौंसिल के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने भी वर्चुअल मीडिया क दमन करने वाले पोलिस कर्मियों को गिरफ्तार करके उनपर अपराधिक मामला चलाने को लिख दिया है| साहब जी ये इन लड़कियों ने कोई गलत बात नहीं की आये दिन होने वाले बंधों पर अदालतें भी टिपण्णी करती आ रही है लेकिन ये तो आप भी मान लो कि अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का यह उपयोग मुम्बई के हालत को देखते हुए किसी ज्वालामुखी को फटने देने का जरिया बन सकता था|इसीलिए फेस बुक पर इन लड़कियों की बात तो ठीक थी शायद टाईमिंग गलत हो गई| थोड़े समय के बाद इसी कमेन्ट को लाईक करने वालों की तादाद बढना लाज़मी था| अब देखो मार्कंडेय काटजू की ई मेल को मुख्य मंत्री ने महज़ दुसरे केसों की भांति केवल आगे रेफेर करके ही अपना पल्ला झाड़ लिया | झल्लेविचारानुसार कानून को अपने हाथ में लेकर लड़कियों को गिरफ्तार करने वाले पोलिस कर्मियों और उन्हें आदेश देने वाले अधिकारियों पर कार्य वाही शुरू कर देनी चाहिए इसीसे पी एम् की विचारधारा को बल मिलेगा|वरना तो यही कहा जाएगा कि ब्लैक मेन ब्लैक रूल वहाईट मेन व्हाईट रूल एंड माई मेन नो रूल|