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Tag: रूहानी शायरी

पूर्णतया गुरु समर्पित हो कर ही मार्ग में बिछे प्रलोभनों के जाल से बचा जा सकता है

इधर कहा कि न छूटे सवाब का जादा ।
उधर सजा भी दिया रास्ता गुनाहों का ।

Rakesh Khurana

खुराना
भाव: एक प्रेमी (ईश्वर -भक्त ) अपने प्रियतम (प्रभु ) से शिकायत कर रहा है कि एक तरफ तो तुम मुझसे ये कहते हो कि मैं नेक – पाक रहूँ , पवित्रता को धारण करूँ , दिन – रात तुम्हारी भक्ति करूँ , काम ,क्रोध , लोभ ,मोह , अहंकार से दूर रहूँ और दूसरी ओर रास्ते में हर जगह प्रलोभनों के जाल बिछा रखें हैं जिनसे बच निकलना मुश्किल है । जरा कदम फिसला कि गए । काम ,क्रोध , लोभ ,मोह , अहंकार आदि से बचने के लिए किसी पूर्ण , समर्थ गुरु पर हमारा अटल विश्वास हो ,हम पूर्णतया गुरु समर्पित हो जाएँ ।उनकी दया – मेहर से ही हम रास्ते में बिछे प्रलोभनों के जाल में फंसने से बच सकते हैं ।
उर्दू रूहानी शायर हजरत शमीम करहानी
प्रस्तुति राकेश खुराना

गुरुओं , संतों – महात्माओं की सल्तनत में हिसाब – किताब नहीं होता

न करदा गुनाहों की ये हसरत कि मिले दाद
ए राहिब अगर इन कर्दा गुनाहों की खता हो ।
मिर्ज़ा ग़ालिब

Rakesh Khurana

मिर्ज़ा ग़ालिब के इस रूहानी शायरी की व्याख्या करते हुए बताया गया है कि ग़ालिब जी कहते हैं कि मैंने बहुत गुनाह किये हैं मगर आप तो हिसाब करने बैठ गए , ये तो आपका काम नहीं है क्योंकि गुरुओं , संतों – महात्माओं की सल्तनत में हिसाब – किताब नहीं होता । अगर वे हिसाब – किताब के चक्कर में पड़ जाएँ तो हम में से कोई भी उनकी दया का पात्र न रहे ।आपका काम तो रूहानियत के खजाने लुटाने का है । इसी प्रकार सावन कृपाल रूहानी सत्संग मिशन के संत दर्शन सिंह जी महाराज ने भी अपने एक शेअर में कहा है :-
बस एक बार ही उठी निगाह महफ़िल में
किसे खबर कि खजाने लुटा दिए तूने ।
संत दर्शन सिंह जी महाराज
प्रस्तुती राकेश खुराना

सच्चे इन्सान के रास्ते के सभी कांटे फूल बन जाते हैं

सच्चे इन्सान के रास्ते के सभी कांटे फूल बन जाते हैं
खजां नसीब रास्ते भी सज गए संवर गए ।
उन्हें बहार ही मिली जहाँ गए जिधर गए ।

सच्चे इन्सान के रास्ते के सभी कांटे फूल बन जाते हैं

भाव :
सावन कृपाल रूहानी मिशन के संत दर्शन सिंह जी महाराज ने सच्चे इंसान के बारे में अपने इस शे ‘र में लिखा है कि सच्चा इन्सान वह है जो प्रभु के बताये हुए रास्ते के मुताबिक चले , जो प्रभु के प्यार से भरपूर हो , जिसके दिल में औरों के लिए दर्द हो । जब हम एक सच्चा इंसान बन जाते हैं तो फिर जो रास्ते काँटों से भरे होते हैं उनमे भी फूल खिल जाते हैं , वे रास्ते जिन पर हम भटक जाते हैं वे संवर जाते हैं , ठीक हो जाते हैं और प्रभु की ओर जाना शुरू कर देते हैं ।
संत दर्शन सिंह जी महाराज की रूहानी शायरी
प्रस्तुति राकेश खुराना

प्रभु की रोशनी की किरण बनने से ज़िंदगी का ध्येय पूरा होगा:संत दर्शन सिंह जी

जो रूह बन के समा जाए हर रगों -पै में ।
तो फिर न शहद में लज्ज़त न सागरे – मैं में ।
वही है साज के पर्दे में , लेहन में , लै में ।
उसी की ज़ात की परछाइयाँ हर इक शै में ।
न मौज है न सितारों की आब है कोई ।

प्रभु की रोशनी की किरण बनने से ज़िंदगी का ध्येय पूरा होगा:संत दर्शन सिंह जी


तजल्लियों के उधर आफ़ताब है कोई ।
संत दर्शन सिंह जी महाराज
भाव: संत दर्शन सिंह जी महाराज फरमाते हैं जब हमारी रूह सिमटती है और प्रभु के शब्द के साथ जुडती है
तो उसमे इतनी मिठास आ जाती है जितनी न तो शहद में है , न मैं के पैमानों में है , वह तो सुरीले संगीत
में मस्त हो जाती है । बाहर के संगीत से उसका कोई मुकाबला नहीं हो सकता । जैसे लहरें समुद्र का हिस्सा
होती हैं , वैसे ही अंतर्मुख होने पर हम उस शब्द का हिस्सा बन जाते हैं , प्रभु में लीन हो जाते हैं । वह मस्ती
न इन सितारों में है , न आसमान में है , न सूर्य में है , न चंद्रमा में है । इस मंडल के पार जो दुनिया है उसका
अपना सूर्य है , उनका इशारा प्रभु की ओर है । प्रभु की रोशनी से ही चारों ओर उजाला है । उस सूर्य की हमें
किरणें बनना है । जब हमारी अंदरूनी आँख इस सूर्य को देखेगी तो हमारी ज़िंदगी का ध्येय पूरा हो जायेगा ।
सावन कृपाल रूहानी सत्संग के संत दर्शन सिंह जी महाराज की रूहानी शायरी
प्रस्तुति राकेश खुराना

दूसरों में प्रभु के दर्शन होंगे तो उन्हें भी हम गले लगा लेंगे:संत दर्शन सिंह जी महाराज

गले लगा लो हर इन्सान को किह अपना है |
चलो तो राहगुजारों में बाँटते हुए प्यार ||
सावन कृपाल रूहानी मिशन के संत दर्शन सिंह जी महाराज
भाव : किसी को हम गले तभी लगा सकते हैं जब हम उसे अपना समझें |
अपना तभी लगेगा जब हम उसमें प्रभु का रूप देखें जो हम अपने
आप में देख रहे हैं | इसलिए जब हम भजन ध्यान के लिए बैठते
हैं और अपने अन्दर शब्द को सुनते हैं , प्रभु की ज्योति के दर्शन

दूसरों में प्रभु के दर्शन होंगे तो उन्हें भी हम गले लगा लेंगे:संत दर्शन सिंह जी महाराज


करते हैं तो हमें यकीन हो जाता है कि प्रभु हमारे अन्दर बसा हुआ
है और जब हम औरों से मिलते हैं तो उनके अंतर में भी हमें प्रभु के
दर्शन होते हैं | जब हमें दूसरों में प्रभु के दर्शन होंगे तो उन्हें भी हम
गले लगा लेंगे |
प्रस्तुति राकेश खुराना

सच्चाई के साथ जुड़ने से हमारे घमंड का सत्यानाश होता जाता है |

किस का दर है किह जबीं आप झुकी जाती है |
दिले खुद्दार ! तेरी आन मिटी जाती है ||
संत दर्शन सिंह जी महाराज हमें समझाते हुए कहते हैं कि वह कौन सी जगह है
कि जबीं (गर्दन , सिर) अपने आप झुकी चली जाती है और हम इन्सान , जो बहुत
घमंडी होते हैं , अहंकार से भरे होते हैं , हमारी वह आन खुद -ब -खुद मिटती चली
जाती है | जैसे – जैसे हम सच्चाई के साथ जुड़ते हैं , नाम के साथ जुड़ते हैं , शब्द
के साथ जुड़ते हैं , वैसे – वैसे हमारी खुदी का सत्यानाश होता जाता है |
संत दर्शन सिंह जी महाराज
प्रस्तुती राकेश खुराना

सच्चाई के साथ जुड़ने से हमारे घमंड का सत्यानाश होता जाता है |