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Tag: वाणी : श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी

हे प्रभु! मुझे ऐसी विधि दे दो जिससे मैं क्षण मात्र भी आप को भुला न सकूँ:गुरु नानक

काम क्रोध लोभ झूठ निंदा इन ते आपि छडावहु।
इह भीतर ते इन कउ डारहु आपन निकटि बुलावहु ।
अपुनी बिधि आपि जनावहु हरि जन मंगल गावहु ।
बिसरू नाही कबहू हीए ते इह बिधि मन महि पावहु ।
गुरु पूरा भेटिओ वडभागी जन नानक कतहि न धावहु ।

भाव -काम क्रोध लोभ झूठ और निंदा से आप ही छुड़ा सकते हैं । ये सब मुझ से बाहर कर दो और मुझे अपने पास बुला लो । किस तरह आप यह करते हैं यह केवल आप ही जानते हैं । हे प्रभु! मुझे ऐसी विधि दे दो जिससे मैं क्षण मात्र भी आप को भुला न सकूँ । गुरु नानक कहते हैं कि बड़े भारी भागों से वह पूरे सद्गुरु से मिले और उनके मन की भटकन हमेशा के लिए ख़त्म हो गई है।
वाणी: श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी ,
प्रस्तुती राकेश खुराना

हे दाता राशन भी दो ताकि निश्चिंतता से तुम्हारा नाम ले सकूं

 हे दाता राशन भी दो ताकि निश्चिंतता से तुम्हारा नाम ले सकूं

हे दाता राशन भी दो ताकि निश्चिंतता से तुम्हारा नाम ले सकूं

भूखे रहकर भक्ति नहीं की जा सकती : हे मालिक राशन भी दो ताकि निश्चिंतता से नाम ले सकूं
भूखे भगति न कीजै । यह माला अपनी लीजै ।
दुह सेरु मांगउ चूना । पाउ घीउ संगि लूना ।
अध सेर मांगउ दाले । मोकउ दोनउ वखत जिवाले ।
खाट मांगउ चउपाई । सिरहाना अवर तुलाई ।
ऊपर कउ मांगउ खींधा । तेरी भगति करै जनु थींधा ।
मैं नाहीं कीता लबो । इकु नाउ तेरा मैं फबो ।
हे मालिक ! मैं भूखा रहकर तेरी भक्ति नहीं कर सकता , इसलिए मैं रोज दो सेर आटा मांगता हूँ । साथ घी , नमक और आधा सेर दाल , ताकि दोनों समय आजीविका की व्यवस्था हो जाये। चारपाई , सिरहाना , बिछौना और ओढ़ने को रजाई भी दे , ताकि दास निश्चिंत होकर तेरी भक्ति कर सके । यह सब मैं कोई लोभवश नहीं मांग रहा हूँ । मुझे तो केवल तेरा नाम ही अच्छा लगता है।
वाणी : श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी
प्रस्तुति राकेश खुराना

भूखे रहकर भक्ति नहीं की जा सकती : हे मालिक राशन भी दो ताकि निश्चिंतता से नाम ले सकूं

भूखे भगति न कीजै । यह माला अपनी लीजै ।
दुह सेरु मांगउ चूना । पाउ घीउ संगि लूना ।
अध सेर मांगउ दाले । मोकउ दोनउ वखत जिवाले ।
खाट मांगउ चउपाई । सिरहाना अवर तुलाई ।
ऊपर कउ मांगउ खींधा । तेरी भगति करै जनु थींधा ।
मैं नाहीं कीता लबो । इकु नाउ तेरा मैं फबो ।
हे मालिक ! मैं भूखा रहकर तेरी भक्ति नहीं कर सकता , इसलिए मैं रोज दो सेर आटा मांगता हूँ । साथ घी , नमक और आधा सेर दाल , ताकि दोनों समय आजीविका की व्यवस्था हो जाये। चारपाई , सिरहाना , बिछौना और ओढ़ने को रजाई भी दे , ताकि दास निश्चिंत होकर तेरी भक्ति कर सके । यह सब मैं कोई लोभवश नहीं मांग रहा हूँ । मुझे तो केवल तेरा नाम ही अच्छा लगता है।
वाणी : श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी
प्रस्तुति राकेश खुराना

ह्रदय प्रार्थना करने का उच्च स्थान है इसीलिए नम्रता और आदर भाव से इसे साफ और शुद्ध रखा जाना चाहिए

आपे जाणै करे आपि आपे आणै रासि ।
तिसै अगे नानका खलिइ कीचै अरदासि ।

Rakesh khurana

ह्रदय प्रार्थना करने का उच्च स्थान है और इसीलिए इसे प्रार्थना में लगाने से पहले शुद्ध और साफ करना जरूरी है । ह्रदय की शुद्धता में नम्रता और आदरपूर्वक प्रभु का भाव होता है जो दुनिया की तमाम चिंताओं और झंझटों से मुक्त होता है ।
अर्थात वह मालिक सब कुछ जानता है , सब करण – कारणहार है और स्वयं ही कार्य पूर्ण कर देने में समर्थ है । उसके आगे खड़े होकर विनयपूर्वक प्रार्थना करो ।
वाणी : श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी
प्रस्तुति राकेश खुराना