Ad

Tag: वाणी : श्री धर्म दास जी

हे प्रभु मुझे आपने मोह माया की दुनिया में फंसा तो दिया है अब इससे निकलने में मदद भी करो

साहिब कौन देस मोहि डारा ।
साहिब कौन देस मोहि डारा ॥
वह तो देश अजर हंसन का ।
यह सब काल पसारा ॥
भाव: इन शब्दों में रूह की पुकार है । हे परमात्मा , ये तूने क्या किया ? मैं जो सतनाम की वासी हूँ , महाचेतनता के समुद्र की बूंद हूँ , मुझे मोह माया की दुनिया में फंसा दिया है और अब मेरी ऐसी शोचनीय अवस्था है कि कुछ कहते नहीं बनता । मेरी मदद कर , मुझे अपने घर ले चल । मेरी हालत ऐसी है कि मैं मोह माया में , इन्द्रियों के घाट पर , रो रही हूँ , हे गुरुवर , मुझ पर दया करो और मुझे अपने निज घर ले चलो । जो मेरा असली देश है वह तो अविनाशी है , वहां रहने वाले हंस वृत्ति के लोग हैं जो सत – असत का निर्णय कर सकते हैं । मगर इस दुनिया में जहाँ तुमने मुझे डाल दिया है , सब कुछ नष्ट होने वाला है ।
वाणी : श्री धर्म दास जी,
प्रस्तुति राकेश खुराना