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Tag: वाणी: संत कबीर दास जी

सच्चे गुरु के बगैर माया रुपी जाल से मुक्ति नही मिलती

माया दीपक नर पतंग , भ्रमि भ्रमि इवैं पड़ंत ।
कह कबीर गुरु ग्यान तैं , एक आध उबरंत ।
भाव: कबीर दास जी कहते हैं कि जीव पतंगे के समान बार-बार माया रुपी
दीपक के प्रति आकर्षित होकर भ्रमजाल में पड़ जाता है और अपने जीवन को बिगाड़ लेता है । एकाध ही गुरु कृपा और गुरुज्ञान के सहारे इस आवागमन के चक्र से छूट जाता है । अर्थात- चाहे आप कितनी ही साधना,जप और नियमों में बंधे हैं जब तक आपको सच्चा गुरु नहीं मिल जाता , तब तक आप इस माया रुपी जाल से निकल नहीं सकते और न ही आत्म-ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं ।
वाणी: संत कबीर दास जी,
प्रस्तुति राकेश खुराना