करम गति टारे नाहीं टरी ।
मुनि वशिष्ट से पंडित ज्ञानी , सोध के लगन धरी ।
सीता हरन मरन दशरथ को , वन में बिपति परी ।
संत कबीर दास जी
प्रस्तुती राकेश खुराना
करम गति टारे नाहीं टरी ।
मुनि वशिष्ट से पंडित ज्ञानी , सोध के लगन धरी ।
सीता हरन मरन दशरथ को , वन में बिपति परी ।
कबीर सब जग निर्धना, धनवंता नहिं कोय ।
धनवंता सोई जानिए, नाम रतन धन होय ।
संत कबीर दास जी
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