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Tag: संत कबीर वाणी

कर्मों का विधान बड़ा अटल है जिसे टाला नहीं जा सकता

करम गति टारे नाहीं टरी ।
मुनि वशिष्ट से पंडित ज्ञानी , सोध के लगन धरी ।
सीता हरन मरन दशरथ को , वन में बिपति परी ।

Rakesh Khurana On Sant Kabir Das

भाव : संत कबीर दास जी कर्मों के बारे में हमें समझा रहे हैं कि कर्मों का विधान बड़ा अटल है और ये टाला नहीं जा सकता ।कर्मों को अगर हम टालना भी चाहें ,तो टाल नहीं सकते ।कर्मों की प्रबलता पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि राजा दशरथ के कुलगुरु मुनि वशिष्ठ जी बहुत बड़े ज्ञानी थे । उन्होंने सोच – समझ कर श्री रामचंद्र जी की जन्मपत्री तैयार की । अपना पूरा ध्यान लगाकर लगन की घड़ी निकाली । उसके बाद क्या हुआ कि इतने बड़े ज्ञानी ने जब सोच – समझ कर श्री रामचंद्र जी की आगे की ज़िंदगी का हाल लिखा तब भी उन्हें वन में जाना पड़ा , इस दुःख में राजा दशरथ के प्राण चले गए । सीता जी का हरण हो गया ।
संत कबीर दास जी
प्रस्तुती राकेश खुराना

धनवंता सोई जानिए, नाम रतन धन होय

कबीर सब जग निर्धना, धनवंता नहिं कोय ।
धनवंता सोई जानिए, नाम रतन धन होय ।
संत कबीर दास जी

धनवंता सोई जानिए, नाम रतन धन होय

भाव : संत कबीर दास जी कहते हैं हम दुनिया में चाहे कितने ही हीरे , जवाहरात , सोना खरीद लें परन्तु फिर भी निर्धन ही रहेंगे , धनवान नहीं बन सकते । वही धनवान है जिसे ‘नाम’ का खजाना मिल गया है और यह नाम का खजाना हमें किसी पूर्ण महापुरुष से ही मिल सकता है ।
संत कबीर वाणी
प्रस्तुती राकेश खुराना