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Tag: संत दर्शन सिंह जी महाराज

गले लगा लो हर इन्सान को कि अपना है :संत दर्शन सिंह जी महाराज

आत्मिक प्रेम और पवित्रता पाने के लिए हमें संतों की शिक्षा धारण करनी चाहिए । यह विवेक हमें सही दिशा में ले जायेगा । हमारी सुरत एकाग्र हो जाने से हमें सांसारिक कार्यों में भी मदद मिलेगी । यह कोई महज बौद्धिक ज्ञान नहीं है । यदि हम विवेक को अमल में लायें और प्रभु का प्रेम पाने की कोशिश करें तो हमें शीघ्र ही इसके लाभ मिलने लगेंगे । जितनी जल्दी हम इस दिव्यप्रेम का आस्वादन करेंगे, हमें उतनी जल्दी ख़ुशी मिलेगी । रोज़ भजन-अभ्यास और प्रभु प्रेम की मतवाली आत्मा का सत्संग सुनेंगे, तब हमें आत्मिक उभार मिलेगा और दिव्य मंडलों की यात्रा करते हुए प्रेम में अथवा प्रेम स्वरूप परमात्मा में लीन हो जायेंगे । हम सब इस ध्येय की प्राप्ति शीघ्र करें ताकि हमारी आत्मा प्रभु प्यार के सागर में सदा के लिए लीन हो जाये । जब हम प्रभु प्रेम से एकमेक हो जाते हैं तो जिन्हें वह प्यार करता है, उन्हें हम भी प्यार करने लगते हैं । हर वस्तु जिससे उसे प्यार है, हमें भी प्यार होगा । हम समस्त सृष्टि के प्रति प्यार रखेंगे । हम सबको आत्मवत प्यार करेंगे, सब में प्रभु की ज्योति के दर्शन करेंगे ।
संत दर्शन जी महाराज ने अपना निजी अनुभव इस प्रकार व्यक्त किया है:-
गले लगा लो हर इन्सान को कि अपना है ।
चलो तो राह गुज़ारों में बांटते हुए प्यार ।।

गुरु मिले तो मुहब्बत के राज खुलते हैं , निजात मिलती है सारे गुनाह धुलते हैं: संत दर्शन सिंह जी महाराज

संत और महापुरुष पौराणिक काल से अपनी अमर वाणी में गुरु की महिमा का वर्णन करके समाज का मार्ग दर्शन करते आ रहे हैं |प्रस्तुत है ऐसे ही दो महापुरुषों की वाणी के कुछ शब्द
[१]गुरु बिन कभी न उतरे पार ।
नाम बिन कभी न होय उधार ।
शब्द : स्वामी शिवदयालसिंह जी महाराज
संत दर्शन सिंह जी महाराज ने भी अपने एक रूहानी शेर में फ़रमाया है :-
[२]गुरु मिले तो मुहब्बत के राज खुलते हैं ।
निजात मिलती है सारे गुनाह धुलते हैं ।।
भाव : स्वामीजी महाराज हमें समझाते हैं हमें काल के दायरे से बाहर निकलना है किसी गुरु के बिना हम ऐसा नहीं कर सकते । हमें या ऐसे गुरु की तलाश करनी चाहिए जो स्वयं रूहानियत के रास्ते पर चलता हो, एक ऐसा महापुरुष जो प्रभु के हुक्म से यहाँ भेजा गया हो ।ऐसा गुरु जब हमें परमात्मा के शब्द से जोड़ता है तो हमारा उद्धार संभव है
: स्वामी शिवदयालसिंह जी महाराज ,
रूहानी शायरी के शिरोमणि संत दर्शन सिंह जी महाराज,
प्रस्तुति राकेश खुराना

एक ‘दर्शन’ ही मिला औरों का ग़मखार हमें अपने ग़म में तो ज़माने को परेशां देखा

[1]बनी नौए – आदम आज़ाए यक दीगरन्द ।
कि दर आफ्रीनश जे यक जौहर अंदं ।

Rakesh Khurana

एक सूफी शायर

अर्थात हम तमाम इंसान एक ही प्रभु की संतान हैं ,एक ही शरीर
के अंग हैं। जब हमारे जिस्म के एक हिस्से में कोई दर्द होता है , कोई पीड़ा होती है , तो बाकी जिस्म के सारे हिस्से उसे महसूस करते हैं इसी प्रकार हमें सबका दर्द अपना दर्द समझना चाहिए ।
[2] संत दर्शन सिंह जी महाराज जी ने अपने एक रूहानी शेअर में कहा है :-
एक ‘दर्शन’ ही मिला औरों का ग़मखार हमें ।
अपने ग़म में तो ज़माने को परेशां देखा

संत दर्शन सिंह जी महाराज जी

प्रस्तुति राकेश खुराना

गुरुओं , संतों – महात्माओं की सल्तनत में हिसाब – किताब नहीं होता

न करदा गुनाहों की ये हसरत कि मिले दाद
ए राहिब अगर इन कर्दा गुनाहों की खता हो ।
मिर्ज़ा ग़ालिब

Rakesh Khurana

मिर्ज़ा ग़ालिब के इस रूहानी शायरी की व्याख्या करते हुए बताया गया है कि ग़ालिब जी कहते हैं कि मैंने बहुत गुनाह किये हैं मगर आप तो हिसाब करने बैठ गए , ये तो आपका काम नहीं है क्योंकि गुरुओं , संतों – महात्माओं की सल्तनत में हिसाब – किताब नहीं होता । अगर वे हिसाब – किताब के चक्कर में पड़ जाएँ तो हम में से कोई भी उनकी दया का पात्र न रहे ।आपका काम तो रूहानियत के खजाने लुटाने का है । इसी प्रकार सावन कृपाल रूहानी सत्संग मिशन के संत दर्शन सिंह जी महाराज ने भी अपने एक शेअर में कहा है :-
बस एक बार ही उठी निगाह महफ़िल में
किसे खबर कि खजाने लुटा दिए तूने ।
संत दर्शन सिंह जी महाराज
प्रस्तुती राकेश खुराना

सच्चे इन्सान के रास्ते के सभी कांटे फूल बन जाते हैं

सच्चे इन्सान के रास्ते के सभी कांटे फूल बन जाते हैं
खजां नसीब रास्ते भी सज गए संवर गए ।
उन्हें बहार ही मिली जहाँ गए जिधर गए ।

सच्चे इन्सान के रास्ते के सभी कांटे फूल बन जाते हैं

भाव :
सावन कृपाल रूहानी मिशन के संत दर्शन सिंह जी महाराज ने सच्चे इंसान के बारे में अपने इस शे ‘र में लिखा है कि सच्चा इन्सान वह है जो प्रभु के बताये हुए रास्ते के मुताबिक चले , जो प्रभु के प्यार से भरपूर हो , जिसके दिल में औरों के लिए दर्द हो । जब हम एक सच्चा इंसान बन जाते हैं तो फिर जो रास्ते काँटों से भरे होते हैं उनमे भी फूल खिल जाते हैं , वे रास्ते जिन पर हम भटक जाते हैं वे संवर जाते हैं , ठीक हो जाते हैं और प्रभु की ओर जाना शुरू कर देते हैं ।
संत दर्शन सिंह जी महाराज की रूहानी शायरी
प्रस्तुति राकेश खुराना

काल के दायरे से बाहर निकलने में रूहानी गुरु ही सहायक है

गुरु का महत्व और महिमा का वर्णन पौराणिक काल से हमारे शास्त्रों में दिया जा रहा है जो वर्तमान में भी जारी है|अनेक गुरुं + महंतों यहाँ तक की अवतारों ने भी गुरु के आगे शीश नवाया है|इसी कड़ी में प्रस्तुतु है दो महापुरुषों [स्वामी शिवदयालसिंह जी महाराज +संत दर्शन सिंह जी महाराज ] के विचार
गुरु बिन कभी न उतरे पार ।
नाम बिन कभी न होय उधार ।
शब्द : स्वामी शिवदयालसिंह जी महाराज
भाव : स्वामीजी महाराज हमें समझाते हैं हमें काल के दायरे से बाहर निकलना है किसी गुरु के बिना


हम ऐसा नही कर सकते । हमें या ऐसे गुरु की तलाश करनी चाहिए जो स्वयं रूहानियत के रास्ते
पर चलता हो, एक ऐसा महापुरुष जो प्रभु के हुक्म से यहाँ भेजा गया हो ।ऐसा गुरु जब हमें परमात्मा
के शब्द से जोड़ता है तो हमारा उद्धार संभव है ।
संत दर्शन सिंह जी महाराज ने भी अपने एक रूहानी शेर में फ़रमाया है :-
गुरु मिले तो मुहब्बत के राज खुलते हैं ।
निजात मिलती है सारे गुनाह धुलते हैं ।।
प्रस्तुति राकेश खुराना

दूसरों में प्रभु के दर्शन होंगे तो उन्हें भी हम गले लगा लेंगे:संत दर्शन सिंह जी महाराज

गले लगा लो हर इन्सान को किह अपना है |
चलो तो राहगुजारों में बाँटते हुए प्यार ||
सावन कृपाल रूहानी मिशन के संत दर्शन सिंह जी महाराज
भाव : किसी को हम गले तभी लगा सकते हैं जब हम उसे अपना समझें |
अपना तभी लगेगा जब हम उसमें प्रभु का रूप देखें जो हम अपने
आप में देख रहे हैं | इसलिए जब हम भजन ध्यान के लिए बैठते
हैं और अपने अन्दर शब्द को सुनते हैं , प्रभु की ज्योति के दर्शन

दूसरों में प्रभु के दर्शन होंगे तो उन्हें भी हम गले लगा लेंगे:संत दर्शन सिंह जी महाराज


करते हैं तो हमें यकीन हो जाता है कि प्रभु हमारे अन्दर बसा हुआ
है और जब हम औरों से मिलते हैं तो उनके अंतर में भी हमें प्रभु के
दर्शन होते हैं | जब हमें दूसरों में प्रभु के दर्शन होंगे तो उन्हें भी हम
गले लगा लेंगे |
प्रस्तुति राकेश खुराना