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Tag: संत नामदेव जी

मेरी रूह की बहुत बुरी दशा थी , रुलती फिरती थी , गुरु ने अपने चरणों में लगा लिया

संत नामदेव जी के जीवन की एक घटना :-
संत नामदेव जी अधिकांश समय प्रभु भक्ति में ही लीन रहते थे , जहाँ बैठ गए – ध्यान लग गया । एक बार इनके मकान का छज्जा टूट गया । घरवाले कहते रहे , ये भी रोज-रोज वादा करते रहे , परन्तु छज्जा नहीं
बना । एक दिन घरवालों ने अंतिम चेतावनी दे दी , फिर भी भूल गये।
इधर प्रभु ने सोचा कि आज तो भक्त की दुर्दशा होगी । बात है भी सही , जिसको हम याद करते हैं , वह भी हमें याद करता है । आये और तुरंत सारा घर ठीक कर दिया । नामदेव जी घर की ओर आये तो पाहिले सोचने लगे
“आज खैर नहीं ” परन्तु जब घर की ओर आये तो देखा कि छज्जा बना हुआ था । प्रभु ने इनका चोला धारण कर काम कर दिया ।
‘कहत नामदेव बलि -बलि जैहों , हरी भजि और न लेखौ ।’ वे कहते हैं कि मैं अपने गुरु पर न्यौछावर होता हूँ करोड़ – करोड़ बार शुकराना अदा करता हूँ क्योंकि मेरी रूह की बहुत बुरी दशा थी , रुलती फिरती थी , गुरु ने अपने चरणों में लगा लिया । मुझ पर रहमत की ,मुझ पर करम फरमाया ।
प्रस्तुति राकेश खुराना