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Tag: संत सूरदास जी

सच्चे पारस के लिए पूजा के चाकू और कसाई की छुरी में कोई भेद नही है

पारस गुन अवगुन नहीं चितवै , कंचन करत खरो ।
भाव : संत सूरदास जी कहते हैं कि पारस के पास किसी भी किस्म का लोहा चला जाये , चाहे वह पूजा में बरतने वाला चाकू हो , चाहे वह कसाई की छुरी हो , पारस दोनों में कोई फर्क नहीं करता , वह तो अपनी दया की नज़र दोनों पर डालता है , अपनी नजरे – करम से दोनों को खरा सोना बना देता है । वह यह नहीं देखता , कि ये लोहा किस काम आता रहा है । इसी तरह हे प्रभु ! आप के कदमों में गुनाहगार भी आते हैं , पाक और पाकीजा भी आते हैं मगर आप तो समदर्शी होने के नाते दोनों पर नजरे – करम करते हैं । हे प्रभु ! मैं भी पापी हूँ ,मैं इस काबिल तो नहीं हूँ कि आप मुझ पर नजरे – करम करें मगर आप अपनी रहमत से मुझे इस भवसागर से पार कर दीजिए ।
संत सूरदास जी,
प्रस्तुती राकेश खुराना

सतगुरु हमारे पापकर्मों को धो देता है

इक नदिया इक नार कहावत , मैलो नीर भरो ।
जब दोनों मिल एक बरन भये, सुरसरी नाम परौ ।

संत सूरदास जी समझाते हैं कि एक नदी है एक नाला है; नदी में साफ़-सुथरा पानी
है तथा नाले में गन्दा पानी है। हम सांसारिक प्राणी तो काम, क्रोध, मोह, अहंकार, की
माया में फंसे हुए हैं, बुरे कर्मो की गन्दगी से लथ-पथ हैं। प्रभु तो निर्मल जल का समुद्र
है। वह करुणा , दया, प्रेम का अथाह सागर है। जब कोई गन्दा नाला , दरिया में
जाकर मिलता है तो उसका पानी भी साफ़ हो जाता है और दरिया का हम रंग बन
जाता है। इसी तरह हमारी आत्मा और हमारे सतगुरु का मिलाप होता है। हम जब अपने सतगुरु की शरण में जाते हैं तो सतगुरु हमारे पापकर्मों को धो देता है और यतन करते -करते हमारा मन परमात्मा के नाम में लीनता लाभ करने लगता है। और हमारे
अन्दर से काम, क्रोध, मोह, अहंकार, की गंदगी समाप्त हो जाती है।
संत सूरदास जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना

प्रभु जी मेरे औगुण चित न धरो

प्रभु जी मेरे औगुण चित न धरो ।
सम दरसी है नाम तिहारो, अब मोहिं पार करो ।

प्रभु जी मेरे औगुण चित न धरो


भाव : संत सूरदास जी कहते हैं , हे प्रभु ! मैं बड़ा गुनाहगार हूँ , गुनाहों से बचना मेरे बस की बात नहीं है , मुझे सिर्फ आपकी बख्शिश का ही सहारा है । आप मुझ पर दया करके मेरे गुनाहों को नज़र अंदाज कर दीजिए । आप सबको एक नजर से अथवा एक आत्मा के स्तर से देखते हैं । जो भी आपको पुकारता है आप उसकी मदद करते हैं मैं भी आपको दिल से पुकार रहा हूँ , आप मुझे हमेशा के लिए मुक्त कर दीजिए। मुझे मोह -माया से बचाइये और अपने चरणों में जगह दीजिए।
संत सूरदास जी की वाणी
प्रस्तुती राकेश खुराना