, सफदरजंग एन्क्लेव, नई दिल्ली में सत्संग के सुअवसर पर पुज्यश्री भगत नीरज मणि जी ने राम नाम के धन को सबसे बड़ा धन बताते हुए सत्संगों में राम नाम के धन को एकत्र करने का उपदेश दिया|
” जाके राम धनि वाको काहेकी कमी ”
जितनी भी संपदाएं हैं वो इही लोक की हैं केवल भक्ति और नाम की पूँजी ही परलोक गामी है। हम जो भी कर्म रुपी बीज बोते हैं ,
परमात्मा वैसा ही फल हमारी झोली में दाल देता है। सत्य कर्मों का फल हमारे जीवन में सुख एवं वैभव के रूप में आता है तथा
पाप कर्मों का फल हमारे जीवन में कष्टों के रूप में आता है।
सत्य कर्मों से हमारी प्रारब्ध बनती है। हमारा वर्तमान उज्जवल होता है तथा जिसका वर्तमान उज्जवल होता उसका भविष्य
भी उज्जवल होता है। संतजन समझाते हैं की परमात्मा का नाम जपो, सत्संग में जाओ और राम नाम की पूँजी एकत्र करो और
अपना वर्तमान तथा भविष्य दोनों उज्जवल करो।
श्री रामशरणम् आश्रम , गुरुकुल डोरली, मेरठ
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