Ad

Tag: सुप्रीम कोर्ट

योग गुरु बाबा राम देव ने केंद्र सरकार पर भड़ास निकाली और अधिकांश कांग्रेसियों को समलैंगिक बता डाला

[नई दिल्ली]योग गुरु बाबा राम देव ने अपनी भड़ास निकालते हुए अधिकांश कांग्रेसियों को समलैंगिक बता डाला| कांग्रेस के खिलाफ बाबा रामदेव ने कहा है कि लगता है अधिकांश कांग्रेसी समलैंगिक हैं इसीलिए वे समलैंगिकता का समर्थन कर रहे हैं |बाबा राम देव की पतंजलि योग पीठ पर आये दिन नए मुकद्दमे कायम किये जा रहे हैं जिन्हे लेकर भाजपा के पी एम् के उम्मेदवार नरेंदर मोदी ने भी बाबा का उत्तराखंड की रैली में समर्थन किया उसके बाद बाबा राम देव की कांग्रेस के प्रति यह बेहद तीखी टिपण्णी आई है|
गौरतलब है कि हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने धारा ३७७ को मान्यता देते हुए समलैंगिकता को अपराध साबित किया था और इस विषय में कानून बनाने की प्रक्रिया के लिए केंद्र सरकार को सक्षम बताया था जिसके उत्तर में कांग्रेस के टॉप ब्रास श्री मति सोनिया गांधी और राहुल गांधी आदि अनेक नेताओं ने कानून में संशोधन करने का आश्वासन भी दिया था| भाजपा ने समलैंगिक रिश्तों को अपराध की श्रेणी में रहे जाने की वकालत की है और बाबा राम देव भी इसे बीमारी बता चुके हैं|

सीबीआई को असंवैधानिक बताने वाले गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दिया

[नई दिल्ली]सीबीआई को असंवैधानिक बताने वाले गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज स्टे दे दिया |अगली तारीख ६ दिसंबर लगाईं गई है|सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई के गठन को असंवैधानिक करार देने वाले गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगायी |छह दिसंबर को आगे की सुनवाई होगी।
सीबीआई की स्थापना को असंवैधानिक करार देने वाले गुवाहाटी उच्च न्यायालय के वर्डिक्ट के खिलाफ केन्द्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से फौरी राहत मिल गई ।
न्‍यायालय ने हाईकोर्ट के आदेश पर स्‍टे लगा दिया है।
याचिकर्ता गृह मंत्रालय + सीबीआई से जवाब भी मांगा गया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पी.सदाशिवम की अध्‍यक्षता में उनके आवास पर हुई, जहां उनके साथ दो अन्‍य न्‍यायमूर्ति भी थे।
इससे पहले केंद्र सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। केन्द्र ने इसके साथ ही एक आवेदन भी दायर किया, जिसमें उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया गया है कि वह उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन लगा दे और उसकी याचिका पर तुरंत सुनवाई करे।आज शनिवार का अवकाश होने के फलस्वरूप चीफ जस्टिस पी.सदाशिवम के आवास पर मामले की सुनवाई हुई|

बकवास अध्यादेश तो वापिस हो गया अब इसके लिए क्रेडिट लेने के होड़ लगी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम[दागी सांसदों से सम्बंधित] से संबंधित अध्यादेश और विधेयक वापस लेने का फैसला किया है इससे एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट को सम्मान और लोकतंत्र पर लगे काले धब्बों को कुछ हद तक धोया जा सकेगा लेकिन अब एक नई बहस शुरू हो गई है इसके लिए क्रेडिट लेने के बहस |यह स्वाभाविक भी है राजनीतिक श्रेय लेने के लिए अपने ढंग से दलीले देने में जुट गए है|जनता तो शायद क्रेडिट तभी देगी जब पार्टियाँ चुनावों में टिकट बांटने में अपनी विचार धारा को प्रकट करेंगी |
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन के उद्देश्य से प्रस्तावित अध्यादेश के बारे में व्यक्त की गई विभिन्न चिंताओं को देखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यह अध्यादेश और तत्संबंधी विधेयक वापस लेने का निर्णय किया है। प्रस्तावित अध्यादेश की वैधता और उपयुक्तता को लेकर व्यक्त की जा रही इन चिंताओं के मध्य नजर सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों की सदस्यता बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश को कैबिनेट ने वापस लेने की घोषणा कर दी गई है|
बुधवार की शाम 6 बजे सिर्फ 15 मिनट के लिए केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक में यूपीए के सहयोगी दलों की नराजगी को भी नजरअंदाज कर दिया गया। इतना ही नहीं,अब दागी नेताओं को बचाने वाले बिल को भी वापस लिया जाएगा|
कैबिनेट की बैठक के बाद बताया गया कि यह फैसला कैबिनेट की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। चूंकि यह बिल फ़िलहाल संसद की धरोहर है इसीलिए संसद के अगले सत्र के दौरान संबंधित बिल भी तय प्रक्रिया के मुताबिक वापस ले लिया जाएगा|अब कांग्रेस और भाजपा इसके लिए क्रेडिट लेने में जुट गए हैं जिसका विरोध भी शुरू हो चुका है|गौरतलब है की कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने इस अध्यादेश को बकवास बता कर इसे फाड़ने की मांग की थी जिसके पश्चात कांग्रेस और सरकार ने आर्डिनेंस को वापिस लेने की कवायद शुरू की|उधर भाजपा और आप पार्टी भी इसे अपनी सफलता बता रही हैं|एक महत्वपूर्ण भूमिका प्रेजिडेंट प्रणब मुखर्जी ने भी निभाई हैउन्होंने इस बिल पर अनेको सवाल उठा कर इसे वापिस लौटाने का निर्णय लिया संबवत जिसके पश्चात राजनीतिक हलचल तेज हुई| |
उत्तर प्रदेश में सत्ता रुड समाज वादी पार्टी [सपा] के नेता नरेश अग्रवाल ने तो अध्यादेश और बिल की वापिसी को ही लोक तंत्र के लिए खतरा बता दिया है|
इस नए घटना क्रम के फल स्वरुप एनसीपी नेता डी.पी. त्रिपाठी राहुल गांधी के बयान पर नाराजगी जताते हुए कह चुके हैं कि उनकी पार्टी सरकार की सहयोगी है और वे राहुल गांधी के अनुयायी नहीं हैं। नैशनल कॉन्फ्रेंस ने इस मसले पर यूपीए समन्वय समिति की बैठक बुलाने की मांग की है।
हालांकि, सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की बैठक में शरद पवार ने इसका थोडा़ विरोध किया, लेकिन आखिरकार बैठक में सर्वसम्मति से अध्यादेश वैपस लेने का फैसला किया गया।
बताते चलें के वाच डॉग एसोशिएशन [ watchdog Association of Democratic Reforms (ADR) ] के अनुसार फिलहाल ७० से अधिक सांसद [एम् पी]दागी की श्रेणी में आते हैं और अपनी सदस्यता खो सकते हैं|| इनमे से १८ भाजपा के हैं+कांग्रेस के १४ दागी सांसद हैं+ समाजवादी पार्टी के ८ + बहुजन समाज वादी पार्टी [BSP ] के ६+ऐ आई डी एम् के के ४+ जे दी यूं के ३+ वामपंथी ३ के अलावा १७ अन्य दलों से बताये गए हैं|

निर्जन बोर वेल्‍स और ट्यूब वेल्‍स[गड्डों] में बच्‍चों के गिरने संबंधी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा संशोधित दिशा निर्देश जारी किये गए हैं

निर्जन बोर वेल्‍स और ट्यूब वेल्‍स[गड्डों में ] में बच्‍चों के गिरने संबंधी घातक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा संशोधित दिशा निर्देश[ एहतियाती उपायों के मद्देनजर] जारी किये गए हैं| जिसके अंतर्गत निर्जन कुओं का समय-समय पर निरीक्षण किया जाना और खुदाई करने वाली एजेंसियों को भू-जल, जन-स्‍वास्‍थ्‍य, नगर-निगम, निजी ठेकेदारों से यह प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है कि बोर वेल, ट्यब वेल को ऊपर तक पूरी तरह भर दिया गया है आवश्यक होंगे|
उच्‍चतम न्‍यायालय ने निर्जन बोर वेल्‍स और ट्यूब वेल्‍स में छोटे बच्‍चों के गिरने संबंधी घातक दुर्घटनाओं को रोकने की दिशा में एहतियाती उपायों के संबंध में सिविल रिट याचिका संख्‍या 36,2009 के मद्देनजर संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
२००९ में दायर एक सिविल रिट याचिका संख्‍या 36,2009 में ये दिशा-निर्देश दिए गए हैं:-
(1) जमीन में बोर वेल्‍स, ट्यूब वेल्‍स की खुदाई से संबंधित कोई भी काम करने से पहले भू-स्‍वामी को उस क्षेत्र के संबद्ध अधिकारी को लिखित रूप में कम से कम 15 दिन पहले सूचित करना होगा। इन अधिकारियों में जिलाधिकारी, जिलाधीश, ग्राम पंचायत का सरपंच, कोई भी संवैधानिक प्राधिकारी, भू-जल विभाग, जन स्‍वास्‍थ्‍य, नगर निगम के संबंधित अधिकारी हैं।(2) सरकारी, अर्ध-सरकारी, निजी क्षेत्र की सभी ड्रिलिंग एजेंसियों का पंजीकरण जिला प्रशासन, संवैधानिक प्राधिकारी के कार्यालय में अवश्‍य होना चाहिए।
(3) खुदाई किए जाने वाले स्‍थान पर खुदाई कार्य के दौरान विस्‍तृत विवरण वाला साइन बोर्ड लगाना, जिसमें
(अ) ड्रिलिंग एजेंसी का पूरा पता-ब्यौरा
(ब) एजेंसी, बोर वेल के मालिक का पूरा पता
(4) खुदाई स्‍थल के चारों तरफ कंटीले तारों की बाड़ लगाना या कोई अन्‍य पर्याप्‍त अवरोधक लगाना, शामिल है।
(5) खुदाई स्‍थल के चारों तरफ 0.50X0.50X0.60 मीटर परिधि के सीमेंट-कंक्रीट प्‍लेटफार्म का निर्माण।
(6) कुएं के चारों तरफ वेल्डिंग स्‍टील प्‍लेटस लगाना या पाइपों को चारों तरफ नट एवं बोल्‍ट से पूरी तरह ढकना।
(7) पंप की मरम्‍मत के दौरान, ट्यूब वेल को खुला नहीं छोड़ा जाना चाहिए।
(8) खुदाई कार्य पूरा होने के बाद गड्ढ़ों एवं अन्‍य स्‍थानों का भराव।
(9) निर्जन बोर वेल्‍स को नीचे से ऊपर तक मिट्टी, रेत, पत्‍थरों या चट्टानी टुकड़ों से भरना।
(10) खुदाई कार्य पूरा होने के बाद संबंधित स्‍थान को उसी तरह किया जाना चाहिए जैसा वह खुदाई से पहले था।
(11) जिलाधिकारी को इस बात की पुष्टि का अधिकार दिया जाए कि उपरोक्‍त दिशा-निर्देश का पूरा पालन किया जा रहा हैं तथा संबंधित केंद्रीय/राज्‍य एजेंसियां इन बोर वेल्‍स-ट्यूब वेल्‍स की समुचित निगरानी कर रही हैं।
(12) जिला/ब्‍लॉक/ग्राम स्‍तर पर बोर वेल्‍स-टयूब वेल्‍स की खुदाई का ब्‍यौरा, इस्‍तेमाल किए जाने वाले कुओं की संख्‍या, निर्जन एवं खुले पाए गए बोर वेल्‍स/ट्यूब वेल्‍स की संख्‍या, पूरी तरह भू-स्‍तर तक भरे गए निर्जन बोर वेल्‍स/ट्यूब वेल्‍स की संख्‍या का विवरण जिला स्‍तर पर रखा जाना है। ग्रामीण क्षेत्रों में उपरोक्‍त निगरानी कार्य ग्राम सरपंच अथवा कृषि विभाग के कार्यकारी अधिकारी द्वारा पूरा करना है। शहरी क्षेत्रों में इन कार्यों का जिम्‍मा कनिष्‍ठ अभियंता अथवा भू-जल, जन-स्‍वास्‍थ्‍य, नगर-निगम के संबंधित अधिकारी पर होगा।
(13) अगर किसी भी चरण में कोई भी बोर वेल, ट्यूब वेल निर्जन छोड़ दिया जाता हैं तो इसकी खुदाई करने वाली एजेंसियों को भू-जल, जन-स्‍वास्‍थ्‍य, नगर-निगम, निजी ठेकेदारों से यह प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है कि बोर वेल, ट्यब वेल को ऊपर तक पूरी तरह भर दिया गया है। संबंधित एजेंसी, विभाग के सक्षम अधिकारी द्वारा निर्जन कुओं का समय-समय पर निरीक्षण किया जाना हैं। इस तरह की सारी सूचनाएं जिलाधिकारी अथवा ब्‍लाक विकास अधिकारी के कार्यालय में संकलित की जानी है।

संजय दत्त तो सुधर गया है अब तो उसे माफ़ कर दो


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

संजय दत्त का एक दुखी चाहने वाला

ओये झल्लेया ये तो हसाडे बड़ा अनर्थ हो गया हसाडे लोक प्रिय अभिनेता संजय दत्त को १९९३ के बम धमाकों के लिए ना तो आरोपी और नाही षड्यंत्रकारी ही माना गया है फिर भी देश की सुप्रीम कोर्ट ने आर्म्स एक्ट की धारा २५[ऐ]के अंतर्गत [न्यूनतम] पांच साल की सजा सुना दी |ओये ऐसे हथियार तो बड़े बड़ों के घरों में सजाये जाते हैं लेकिन माननीय सुनील दत्त के ऊपर राजनितिक बन्दूक चलाने के लिए पहले तो इस बेचारे संजय के कन्धों का इस्तेमाल किया गया | आग्नेय अस्त्र रखने के विषय में सच्चाई दिखाने वाले संजय दत्त को डेड़ साल तक जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया |अब जब वोह सुधर गया है तो फिर से साडे तीन साल की सजा सुना दी गई है|माननीय सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को तो उम्र कैद में तब्दील कर दिया मगर इस बेचारे को अभी भी सादे तीन साल जेल में काटने होंगे| बम ब्लास्ट के मुख्य आरोपियों को अभी भी पकड़ा नहीं जा सका है | तीन तीन सांसदों वाले परिवार से जुड़े इस बेचारे को अपनी सच्चाई की कीमत चुकानी पड़ रही है| ओये यार इस जेल की घरेड से निकलने की कोई सूरत है या नहीं

 संजय दत्त तो सुधर गया है अब तो उसे माफ़ कर दो

संजय दत्त तो सुधर गया है अब तो उसे माफ़ कर दो

झल्ला

बाऊ जी वड्डे कह गए हैं के पीछे से बेशक हाथी निकल जाये मगर सामने से चींटी भी नहीं निकलनी चाहिए |सामने आने का खिमयाज़ा तो इस मुंजाल ब्राह्मण संजय दत्त को भुगतना ही पडेगा|इससे पूर्व इनके पूर्वजों ने भी एक बड़े युद्ध में पैगम्बर साहेब के परिवार का साथ दिया था और अपना सबकुछ सच्चाई पर कुर्बान कर दिया था |मुसलमान+ हिन्दू ] कुर्बानी वाली इस पीडी के इस प्रतिनिधि की रीड मज़बूत है और एक बार फिर कुंदन बन कर निकलेगी|
झल्लेविचारानुसार उम्मीद पर दुनिया कायम है इसीलिए निराश होने का अभी समय नहीं है|अगर राज्यपाल या राष्ट्रपति चाहें तो निम्न आधार पर पासा अभी भी पलट सकता है|
[१] बालीवुड का लगभग २५० करोड़ रुपया इस सफल अभिनेता संजय दत्त पर लगा हुआ है|यदि संजय को जेल हो गई तो अनेको परिवार बेहाल हो जायेंगे
[२]जेलों को भारत में सुधार गृह कहा जाता है| पिछले बीस साल से अपमान और अनजाने भय के साये में जीने वाले संजय दत्त की जीवनशैली में चमत्कारिक रूप से सुधार देखा जा सकता है|यह पूर्व में जेल में बिताये डेड़ साल का प्रभाव हो सकता है|और शायद यही कोर्ट का उद्देश्य भी होगा|
[३] जस्टिस [रिटायर्ड]मार्कंडेय काटजू ने भी महाराष्ट्र के राज्यपाल से संविधान की अनुच्छेद 1611 के अंतर्गत संजय दत्त को माफी की अपील की है|
[४] इससे पूर इसी प्रकार के एक केस में नानावटी को राहत दी जा चुकी है|

एयर इंडिया के रैपर सिंगर पायलट की आह का असर: सुप्रीम कोर्ट ने डी जी सी ऐ को दिया अवमानना का नोटिस


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक दुखी भारतीय पायलट

ओये झल्लेया ये तो कमाल हो गया ओये हसाड़े मुल्क की सबसे बड़ी अदालत ने अवमानना का नोटिस जारी करके नागरिक उड्डयन की सभी हदें पर करने वाली नागरिक उड्डयन नियामक की धज्जियाँ उधेड़ दी हैं| ओये अब तो उड़ान भरने वाले पायलट्स के लिए कार्य सीमा निश्चित हो जायेगी पायलट्स श्रम दंड से बचेंगे और अंधाधुंध उडाई जाने वाली फ्लाईट्स की सेफ्टी भी बढेगी|

एयर इंडिया के रैपर सिंगर पायलट की आह का असर: सुप्रीम कोर्ट ने डी जी सी ऐ को दिया अवमानना का नोटिस

एयर इंडिया के रैपर सिंगर पायलट की आह का असर: सुप्रीम कोर्ट ने डी जी सी ऐ को दिया अवमानना का नोटिस

झल्ला

वाकई बाबू साहब पायलट्स को श्रम दंड[फटीग] से बचा कर फलाईट्स को भी किसी हद तक सेफ किया जा सकता है| मानना पड़ता है के आहों में असर होता है इसीलिए किसी की बुरी आह नहीं लेनी चाहिए अब देखो न रैपर सिंगर पायलट ने चिल्ला चिल्ला कर नाच कर एयर इंडिया को चेताया था मगर उसकी व्यथा को सुनने के बजाये अपनी धज्जियाँ छुपाने लग गए और उस बेचारे के धज्जियां उडानी शुरू कर दी गई|इस रैपर सिंगर पायलट की आह का असर होने लग गया है |

सुप्रीम कोर्ट ने [८००] आम के लिए[ १] और[ १] ख़ास के लिए [३] सुरक्षा कर्मी की तैनाती पर चिंता व्यक्त की

सुप्रीम कोर्ट ने देश में आम के नाम पर कुछ ख़ास लोगों की सुरक्षा व्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए वीआईपी सिक्युरिटी पर सवाल उठाये और टिपण्णी की है कि वीआईपी के बजाय अगर ये आम आदमी की सुरक्षा में लगे होते तो दिल्ली ज्यादा सुरक्षित होती।यूपी के एक नागरिक की याचिका पर एमिकस क्यूरी हरीश साल्वे ने कहा कि वीआईपी सुरक्षा के नाम पर जितना खर्च किया जाता है अगर यह आम आदमी की सुरक्षा में लगाया जाए तो गैंग रेप जैसी घटना नहीं होती। कोर्ट ने इससे सहमति जताई। कोर्ट ने पूछा कि इतने वीआईपीज़ को सुरक्षा क्यों दी जा रही है? यहां तक कि जिन जजों को जरूरत नहीं है, उन्हें भी सिक्युरिटी दी जा रही है। क्या सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम समझते हैं कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा स्पीकर आदि को सुरक्षा दी जानी चाहिए लेकिन उन लोगों को सुरक्षा क्यों दी जा रही है, जो पावर में नहीं हैं और जिनके खिलाफ केस पेंडिंग हैं।कोर्ट ने सभी राज्यों से वीआइपी सुरक्षा के बारे में हलफनामा मांगा था। दिल्ली, छत्तीसगढ़, सिक्किम, गुजरात, झारखंड, बिहार, गोवा, नागालैंड, उत्तराखंड व जम्मू कश्मीर आदि राज्यों ने हलफनामा दाखिल कर वी आई पी सुरक्षा और उस पर आने वाले खर्च का ब्योरा दिया।
बताया गया कि

दिल्ली में ४५९ लोगों के लिए 8049 पुलिसकर्मी वीआइपी सुरक्षा में लगे हैं और इन पर सालाना 341 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।

बेंच ने इन राज्यों के हलफनामों को रिकॉर्ड पर लिया और बाकी राज्यों को दो दिन के भीतर इसे दाखिल करने का निर्देश दिया। ऐसा न करने पर गृह सचिवों को बुलाया जाएगा।दिल्ली का हाल आम की बात करने वाले हमारे नेता किस तरह खास की देखभाल करते हैं। यह बताने के लिए यह खबर काफी है। कब राजनेताऔं को हमारी चिंता होगी। देश के विभिन्न राज्यों में मंत्रियों और तमाम वीआईपी लोगों की सुरक्षा पर होने वाले बेहिसाब खर्च पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतराज जताया है।

जहां सरकार 800 लोगों के पीछे एक सुरक्षा कर्मी तैनात करती है, वहीं एक वीआईपी के पीछे तीन जवान तैनात किए जाते हैं

सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन के भीतर सभी राज्यों से वीआईपी सुरक्षा पर होने वाले खर्च का पूरा ब्यौरा मांगा है।न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर यहीं पैसा महिलाओं की सुरक्षा पर लगाया जाता तो अच्छा होता।उन्होंने यहां तक कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री खुद मानती हैं कि यहां महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। इससे हालात का पता चलता है। याचिकाकर्ता अभय सिंह का कहना है कि कुछ लोग यूपी में सुरक्षा लेते हैं और फिर दिल्ली में भी आकर अलग से सुरक्षा ले लेते हैं।देश में सुरक्षा के नाम पर आम और खास के बीच कितनी बड़ी खाई है

८०० आम

सुप्रीम कोर्ट ने एयर लाइन्स की हवाई गिरी को झटका देकर ट्रांजैक्शन फीस वसूली पर रोक लगाई


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक हवाई यात्री

ओये झल्लेया मुबारकां ओये अब एजेंटों के माध्यम से हवाई जहाज़ का टिकेट बुक कराना सस्ता हो गया है अब एजेंट के द्वारा टिकेट बुक कराने पर ट्रांजैक्शन फीस नहीं देनी पड़ेगी | सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी नाम से ग्राहकों से ट्रांजैक्शन फीस वसूली पर कडाई से रोक लगा दी है|बैसिक किराए के बेतरतीब अंतर पर भी सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय का हथौड़ा चला दिया है|ओये अब इन एयर लाइन्स की हवाई गिरी नहीं चलने वाली |

एयर लाइन्स की ट्रांजैक्शन फीस वसूली पर रोक

झल्ला

हाँ साहब जी पहले एयर लाइन्स यात्रियों के खींचने में बुकिंग या ट्रेवेल एजेंटों को कमीशन दिया करती थीउस कमीशन को बंद कर दिया गया तब इन्ही एयर लाइन्स ने ग्राहकों से ट्रांजैक्शन फीस वसूली शुरू कर दी|इसकी शिकायत किये जाने पर नागरिक उड्डयन नियामक [डी.जी.सी.ऐ] ने 17 दिसंबर को सर्कुलर जारी करके अपना मुह और ऑंखें दूसरी तरफ मौड़ ली \नतीजतन ये ट्रांजैक्शन फीस के नाम से की जा रही अवैध वसूली जारी है|अब डी जी सी ऐ का काम न्यायलय ने कर दिया है |न्यायमूर्ति डीके जैन व न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की पीठ ने इस पर यह कहते हुए नाराजगी भी जताई है कि डीजीसीए अपने ही परिपत्र [सर्कुलर] को लागू नहीं करा पा रहा है|इसके लिए पीठ को धन्यवाद
डी जी सी ऐ की अनदेखी और सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक हथौड़े से एक बात तो साफ हो चली है कि उड्डयन छेत्र में सब कुछ साफ़ नही है|कुछ कोहरा जरूर है|जर्मन फायनेंसर डी वी बी ने फेवोरोटिस्मके आरोप लगा कर डी जी सी ऐ को कटघरे में खड़ा कर दिया था |अब कोर्ट ने डी जी सी ऐ की खिंचाई करके भ्रष्टाचार के कोहरे को साफ कराने का सराहनीय प्रयास किया है लेकिन झल्लेविचारानुसार अब दी जी सी ऐ और मन मानी कराने वाली एयर लाइन्स पर कुछ दंडात्मक कार्यवाही भी जरुरी हो गई है|

सुप्रीम कोर्ट ने कहा ” दिल्‍ली अब महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है” महिलाओं को सुरक्षित माहौल दिया जाना जरुरी है

सुप्रीम कोर्ट ने आज १ जनवरी को दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था पर तीखी टिपण्णी करते हुए महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता जताई और लड़कियों को सुरक्षित माहौल देने की बात कही है एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने . केंद्र सरकार से लगभग एक माह के अंदर दिल्ली में कानून व्यवस्था पर जवाब तलब किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए लड़कियों को सुरक्षित माहौल देने की बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि दिल्‍ली अब महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा काले शीशे वाले वा‌हनों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश की अवहेलना करने पर दिल्ली पुलिस अपनी पहले ‌ही किरकिरी करा चुकी है। दामिनी गैंगरेप के बाद कानून व्यवस्‍था पर सुप्रीम कोर्ट की यह तल्‍ख टिप्पणी दिल्ली सरकार, पुलिस और केंद्र सरकार की मुश्किलें बढा़ने वाली है। ऐसे में आम जनता में सुरक्षा की भावना पैदा करना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।दिल्ली पुलिस, दिल्ली की सरकार और केंद्र सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी बड़ा झटका है, जब दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था पर लगातार सवालिया निशान उठ रहे हैं।गौरतलब है कि दिल्ली गैंगरेप पर चार्ज शीट को लेकर भी दिल्ली पुलिस साकेत कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई थी। इस मामले पर पुलिस ने अदालत से माफी भी मांगी थी|

दिल्‍ली अब महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है”

दिल्ली के अन्तराष्ट्रीय एयर पोर्ट के डेवलपमेंट के नाम पर फीस की वसूली में आज से कटौती A D F Reduced

A D F Reduced

दिल्ली से हवाई सफ़र करने वाले यात्रियों को अब हवाई अड्डा विकास शुल्क के नाम पर घरेलू उड़ान के १००/= और अन्तराष्ट्रीय उड़ान के लिए ६००/=देने होंगे|यह आज मंगलवार पहली जनवरी से लागू हो गया है|यदपि इस विकास शुल्क को पूर्णतय समाप्त करने के न्यायिक आदेश लागू नहीं किये जा सके |फिर भी एयरपोर्ट इकोनॉमिक रेग्युलेटरी अथॉरिटी [एईआरए] के आदेशानुसार इस नई शुल्क व्यवस्था से घरेलू उड़ान के लिए १००/=और अन्तराष्ट्रीय उड़ान के लिए ७००/=की राहत मिलेगी|यह वसूली अभी २०१६ तक लागू रखी जानी है|
गौरतलब है कि दिल्ली का अन्तराष्ट्रीय एयर पोर्ट को बनाने में १२८०० करोड़ रुपयों का खर्च बताया जा रहा है जिसका लगभग २५% विकास शुल्क के रूप में ३६ माह में वसूलने का प्रावधान रखा गया था|नागरिक विमानन मंत्री अजित सिंह ने अक्टूबर माह में दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट पर ज्यादा फीस वसूली पर एतराज जताते हुए इसे बंद करने को कहा था। इसके बाद एईआरए ने दोनों एयरपोर्ट पर शुल्क ढांचे की समीक्षा की। दिल्ली के मामले में पाया गया कि शुल्क पूरी तरह खत्म करना उचित नहीं होगा, बल्कि इसे कम किया जा सकता है। इसी के बाद 28 दिसंबर को दिल्ली में एयरपोर्ट फीस को कम करने के साथ इसकी वसूली की अवधि लगभग दो साल बढ़ाने का आदेश जारी किया गया|
इससे पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरवी रविंद्रन और न्यायमूर्ति एके पटनायक की खंडपीठ ने स्वयंसेवी संगठन ‘कंज्यूमर ऑनलाइन फाउंडेशन’ की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली एवं मुंबई हवाई अड्डों से यात्रा करने वाले यात्रियों से निजी सेवा संचालकों द्वारा वसूले जा रहे हवाई अड्डा विकास शुल्क (एडीएफ) को रद्द कर दिया था |
यदपि अभी भी वसूली की समय समय पर समीक्षा की जानी है मगर इसके साथ ही ऐ डी ऍफ़ में की गई आज से कटौती से हवाई यात्रा के सस्ता होने की उम्मीद भी जताई जा रही है|इस दिशा में एयर लाइन्स के टिकटों पर मंत्रालय की पैनी नज़र जरूरी होगी|