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हिंदी राजभाषा है !हिंदी राष्ट्रभाषा कब होगी??

(नयी दिल्ली ) हिंदी राजभाषा है !हिंदी राष्ट्रभाषा कब होगी??
1949 को हिंदी को बेशक राजभाषा का दर्जा मिला और वर्तमान सरकार के कार्यकाल में इसे वास्तविक आधिकारिक रूप मिल चुका है लेकिन अभी भी राष्ट्रभाषा का दर्जा अपेक्षित है
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। हिंदी को देश की राजभाषा घोषित किए जाने के दिन ही हर साल हिंदी दिवस मनाने का भी फैसला किया गया,काव्य गोष्ठियों का आयोजन होने लगा |सरकारी कार्यालयों में हिंदी दिवस मनाने के बजट भी दिए जाने लगे लेकिन राष्ट्रभाषा का दर्जा देने को कोई 7 दशकों में हौंसला नही जुटा पाया
हालांकि पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया।लेकिन राजभाषा हिंदी को 7वें दशक में भी राष्ट्रभाषा नही बनाया जा सका
शुरू में हिंदी और अंग्रेजी दोनो को नए राष्ट्र की भाषा चुना गया और संविधान सभा ने देवनागरी लिपि वाली हिंदी के साथ ही अंग्रेजी को भी आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया
लेकिन बहुत सी बोलियों और भाषाओं वाले हमारे देश में आजादी के बाद भाषा को लेकर एक बड़ा सवाल आ खड़ा हुआ।शायद इसीलिए हिंदी को पूर्णतया राष्ट्रभाषा का दर्जा नही मिला
अब प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य विकसित देशों में उनके राष्ट्राध्यक्षों से हिंदी में वार्तालाप किये तो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी स्विट्ज़र लैंड के बर्न विश्विद्यालय में हिंदी में ही भाषण देकर हिंदी को अंतराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में सफलता पाई लेकिन एक अंतिम पड़ाव अभी भी पार करना शेष है

राष्‍ट्रपति‍ प्रणब मुखर्जी ने गृह मंत्रालय के हिंदी दिवस पर की राजभाषा में शोध को बढ़ावा देने की अपील

[नई दिल्ली]राष्‍ट्रपति‍ प्रणब मुखर्जी ने की हि‍न्‍दी में शोध को बढ़ावा देने की अपील|
गृह मंत्रालय द्वारा हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया जिसमे राष्ट्रपति ने राजभाषा हिंदी के प्रयोग में सर्वश्रेष्ठ प्रगति हासिल करने वाले मंत्रलयों/विभागों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बोर्डों/स्वायत्त निकायों, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों को पुरस्कार भी दिए |
राष्‍ट्रपति‍ प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि शिक्षा संस्थानों को हिंदी में साहित्य एवं शोध को बढ़ावा देना होगा।
आज नई दि‍ल्‍ली में हि‍न्‍दी दि‍वस के अवसर पर आयोजि‍त एक समारोह को संबोधि‍त करते हुए उन्‍होंने कहा कि‍ हिंदी आम आदमी की भाषा के रूप में देश की एकता का सूत्र है। उन्‍होंने कहा कि‍ हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए |
श्री मुखर्जी ने कहा कि भाषा का विकास उसके साहित्य पर निर्भर करता है| उन्‍होंने कहा कि‍ आज के तकनीकी के युग में इंटरनेट के माध्यम से हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्‍थापि‍त कि‍ए जाने के प्रयास किए जाने चाहिए और वि‍ज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी हिंदी में काम को बढ़ावा देना चाहिए| राष्‍ट्रपति‍ने कहा ”हम सबका यह प्रयास होना चाहिए कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की मान्य भाषा का दर्जा जल्द से जल्द प्राप्त हो |”
इससे पहले केन्‍द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री रतनजीत प्रताप नारायण सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि जन संपर्क की इस भाषा को सरकारी तंत्र में स्थापित होने में कुछ समय अवश्य लग रहा है, लेकिन वह दिन दूर नहीं जब हिंदी अपने उस इच्छित मुकाम पर पहुंच कर अपना परचम लहराएगी । उन्‍होंने कहा कि‍ राजभाषा नीति‍के क्रि‍यान्‍वयन से सरकार के वि‍भि‍न्‍न मंत्रालयों एवं वि‍भागों द्वारा संचालि‍त जन कल्‍याण की वि‍भि‍न्‍न योजनाओं की जानकारी आम नागरि‍कों को हिन्‍दी में मि‍लने से गरीब, पि‍छड़े और कमजोर वर्ग के लोग भी लाभान्‍वि‍त होते हुए देश की मुख्‍यधारा से जुड़ रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि कार्यालयों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए हमें भारी भरकम शब्दों का मोह त्याग कर आम बोल-चाल के सहज, सरल शब्दों को अपनाना होगा, जिससे हिंदीतर भाषा-भाषी भी अपनी झिझक छोड़ आसानी से हिंदी का प्रयोग कर सकें ।
इस अवसर पर राष्‍ट्रपति‍ने राजभाषा हिंदी के प्रयोग में सर्वश्रेष्ठ प्रगति हासिल करने वाले मंत्रलयों/विभागों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बोर्डों/स्वायत्त निकायों, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों को पुरस्कार स्वरुप राजभाषा शील्ड देकर सम्मानित किया ।
इन्दिरा गांधी मौलिक पुस्तक लेखन श्रेणी में श्री वीरेंद्र कुमार तिवारी की पुस्तक ‘प्राचीन भारतीय स्मारकों का संरक्षण तकनीक एवं प्रविधियाँ’ तथा राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन वर्ग में डा निलय खरे एवं श्री श्यामसुंदर शर्मा की पुस्तक ‘आर्कटिक मध्य रात्रि के सूर्य का क्षेत्र’ को प्रथम पुरस्कार प्रदान किए गए। विभाग द्वारा चलाई गई नई योजना के अंतर्गत उत्कृष्ट लेखों में डा ओम विकास के लेख ‘सूचना प्रौद्योगिकी में नागरी’ हिंदी भाषियों की श्रेणी में तथा श्री हेम कपिल, लक्ष्मी विनोद, महेश एम राव एवं शोभा एस प्रभु को संयुक्त रूप से हिंदीतर भाषियों की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्रदान किए गए |
गृह पत्रिकाओं में भाषाई क्षेत्र ‘क’, ‘ख’ तथा ‘ग’ के अंतर्गत ‘स्पंदन’, ‘प्रयास’, ‘वाणी’ को प्रथम तथा ‘इक्षु’, ‘यूनियन धारा’, ‘सुगंध’ को द्वितीय पुरस्कार प्रदान किए गए |
केन्‍द्रीय गृह राज्‍य मंत्री श्री मुल्‍लापल्‍ली रामचन्‍द्रन और श्री अरुण कुमार जैन, सचिव, राजभाषा विभाग भी इस अवसर पर उपस्‍थि‍त थे।