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Tag: AAPCrises

“आप”के असंतुष्टों को बागी और क्रन्तिकारी का अंतर मालूम होगा इसीलिए नई पार्टी को”ना”कहा होगा

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

आम आदमी पार्टी चेयर लीडर

ओये झल्लेया ये योगेन्द्र और प्रशांत ने क्या नया ष्टरागमचा रखा है ? ये तो पीछा ही नहीं छोड़ रहे |स्वराज संवाद के नाम पर हजारों कार्यकर्ताओं को बरगला कर बुला तो लिया लेकिन नई पार्टी तो बनाई ही नहीं अब कह रहे हैं कि पार्टी के अंदर ही रह कर हसाडे सर के लिए दर्द पैदा करेंगे |ओये यारा ऐसे कैसे हसाडे दिल्ली की सरकार चलेगी?

झल्ला

ओ मेरे चतुर हो चुके भापा जी !भूषण परिवार +योगेन्द्र यादव+प्रो आनंद कुमार+ अजित झा+ आदि आदि सभी पढ़े लिखे हैं |इन्हें बाग़ी और क्रांतिकारी का अंतर मालूम है इन दोनों के अंत का अंतर भी मालूम है |इसीलिए मात्र बागी होकर इतिहास के पन्नों में दफन होकर रह जाने के बजाय इन्हें क्रन्तिकारी बन कर व्यवस्था को बदलने की कवायद में दानिशमन्दी दिख रही होगी

“आप”पार्टी को तोड़ने के लिए केजरीवाल के सर फोड़ा गया ठीकरा वापिस असंतुष्ट गुट की तरफ उछला

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

आम आदमी पार्टी के ख़ास चेयर लीडर

ओये झल्लेया देख लिया न इन लोगों ने पार्टी को तोड़ने के लिए हसाडे सोणे मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के सर सारा ठीकरा फोड़ दिया था अब लेकिन आतिशी मार्लेना ने सच सामने ला दिया है मार्लेना ने आतिशी बयान में बता दिया है कि शांति भूषण के ही दबाब में असंतुष्ट गट के साथ समझौता वार्ता टूटी थी |शांति भूषण ने केजरीवाल पर अविश्वास जाहिर किया,जिसके फलस्वरूप बातचीत धराशाई हो गई थी |ओये हसाडे सोणे केजरीवाल साहब का इसमें कोई लेना देना नहीं है|

झल्ला

“आप”पार्टी को तोड़ने के लिए केजरीवाल के सर फोड़ा गया ठीकरा वापिस असंतुष्ट गुट की तरफ उछला |ओ मेरे चतुर हो चुके सुजान जी आपजी ने केजरीवाल के सर फोड़ा गया ठीकरा वापिस असंतुष्ट गुट की तरफ उछालने का प्रयास किया है लेकिन डेमेज तो हो ही चूका इसे कंट्रोल करने के लिए अभी समय लगेगा और आपके पास पूरे पांच साल का समय है

योगेन्द्र खुजिया रहे खुद की दाढ़ी आज कल केजरीवाल की मूंछ से पहुँच जो हो गई दूर

योगेन्द्र खुजिया रहे खुद की दाढ़ी आज कल
केजरीवाल की मूंछ से पहुँच जो हो गई दूर
दिल्ली के चुनावी मंथन से निकले दो रत्न अनमोल
इन्हें मिला बाबा जी का ठुल्लु माखन खाए कोई और
कढ़े नियमों की सीख से”आप”में विपदा भारी
, चंद दिनों की सत्ता फिर से छन्दों में उतरी जाये
नमक नमक से सौ गुनी, राजनीती कर ली जाये
रक्त चाप कम हो अपना, दूसरे का बढ़ता जाये
नमक जरा सा बना कर गांधी ने अंग्रेज दिए भगाए
नमक तोड़ो कानून की धज्जियां आज उड़ती जाएँ
गांधी नमक सांसदों के घर घर फ्री में बंटता जाये
बोरो में भर नमक यादव सांसदों के घर भिजवाये
दिए घरों भिजवाये ये कैसी रची लीला योगेन्द्र महान
सांसदों को तो लगी नहीं उलटे “आप”ही तिल मिलाए
प्रशांत हुए अशांत मुंबईकर”राम”की लीला कीनी लीक
केजरीवाल को ही दे बैठे पार्टी के कढ़े नियमों की सीख
कढ़े नियमों की सीख से हुई कुछ ऐसी विपदा भारी
चंद दिनों की सत्ता फिर से छन्दों में ही गाइ जाये