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परीक्षार्थियों को मोदी मंत्र “स्माइल मोर, स्कोर मोर”

[नयी दिल्ली]परीक्षार्थियों को मोदी मंत्र ‘स्माइल मोर, स्कोर मोर’
बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्माइल मोर, स्कोर मोर’ का मंत्र देते हुए परीक्षाओं को उत्सव की भांति लेने को प्रेरित किया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों को तनाव मुक्त रहने की सलाह दी और उन्हें ‘स्माइल मोर, स्कोर मोर’ का मंत्र देने के साथ ही अभिभावकों से परिवार में उत्सव जैसा माहौल बनाने को कहा ।
‘आकाशवाणी’ पर प्रसारित २०१७ के पहले ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मेरा सभी से आग्रह है कि पूरा परिवार एक टीम के रूप में इस उत्सव को सफल करने के लिए अपनी-अपनी भूमिका उत्साह से निभाए। देखिए, देखते ही देखते बदलाव आ जाएगा।’’ मोदी ने कहा, ‘‘इसलिए मैं तो आपसे कहूंगा ‘‘स्माइल मोर, स्कोर मोर’’ जितनी ज्यादा खुशी से इस समय को बिताओगे, उतने ही ज्यादा नंबर पाओगे, करके देखिए। और आपने देखा होगा कि जब आप खुश होते हैं, मुस्कुराते हैं, उतना आप ज्यादा सहज अपने आप को पाते हैं ।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि परीक्षा अपने-आप में एक खुशी का अवसर होना चाहिये । साल भर मेहनत की है, अब बताने का अवसर आया है, ऐसे में यह उमंग और उत्साह का पर्व होना चाहिए। बहुत कम लोग हैं, जिनके लिए परीक्षा में प्रसन्नता का मौका होता है, ज्यादातर लोगों के लिए परीक्षा एक दबाव होती है। निर्णय आपको करना है कि इसे आप खुशी का मौका मानेंगे या दबाव मानेंगे। जो खुशी का मौका मानेगा, वो पायेगा और जो दबाव मानेगा, वो पछताएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘और इसलिये मेरा मत है कि परीक्षा एक उत्सव है, परीक्षा को ऐसे लीजिए, जैसे मानो त्योहार है और जब त्योहार होता है, जब उत्सव होता है, तो हमारे भीतर जो सबसे खूबसूरत होता है, वही बाहर निकल कर आता है। समाज की भी ताकत की अनुभूति उत्सव के समय होती है। जो उत्तम से उत्तम है, वो प्रकट होता है।

पीएम्”मोदी”ने१९८४सिख संहार पीड़ितों को सांत्वना दी:कांग्रेस पर गहरा प्रहार

[नई दिल्ली] प्रधान मंत्री “मोदी” ने १९८४ के जनसंहार के पीड़ित सिखों को सांत्वना दी और कांग्रेस पर गहरा प्रहार किया
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी आज आल इंडिया रेडियो पर अपने लोकप्रिय कार्यक्रम “मन की बात” में बोल रहे थे | पी एम् ने भारतीय बिस्मार्क के रूप में पहचान बनाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की ३१ अक्टूबर को मनाये जाने वाली जयंती का उल्लेख करते हुए सिखों की पीड़ा का भी उल्लेख किया |इसके समर्थन में पंजाब के एक सिख का ऑडियो सन्देश भी सुनाया गया |इसी संदर्भ में पी एम् मोदी ने कहा के ३१ अक्टूबर को सरदार वल्लभ है पटेल की जयंती है और महापुरुष की जयंती के दिन ही तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की जघन्य हत्या हुई थी जिसके पश्चात् देश की राजधानी में भी निर्दोष सिखों का कत्ले आम हुआ|
एक तरफ पी एम् ने वल्लभ भाई पटेल और श्रीमती इंदिरा गाँधी दोनों को याद किया लेक्किन श्रीमती इंदिरा की हत्या के पश्चात् सिख संहार पर अफ़सोस भी किया|गौरतलब हे के पंजाब इलेक्शन मोड़ में आ चूका है और सिखों को जख्मों पर मलहम इलेक्शन में वोटों में भी तब्दील हो सकता है
प्रस्तुत है प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात के कुछ अंश:
“आज मेरे प्यारे देशवासियो, कल 31 अक्टूबर, इस देश के महापुरुष – भारत की एकता को ही जिन्होंने अपने जीवन का मंत्र बनाया, जी के दिखाया – ऐसे सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म-जयंती का पर्व है। 31 अक्टूबर, एक तरफ़ सरदार साहब की जयंती का पर्व है, देश की एकता का जीता-जागता महापुरुष, तो दूसरी तरफ़, श्रीमती गाँधी की पुण्यतिथि भी है। महापुरुषों को पुण्य स्मरण तो हम करते ही हैं, करना भी चाहिए। लेकिन पंजाब के एक सज्जन का फ़ोन, उनकी पीड़ा, मुझे भी छू गई: –
“प्रधानमंत्री जी, नमस्कार, सर, मैं जसदीप बोल रहा हूँ पंजाब से। सर, जैसा कि आप जानते हैं कि 31 तारीख़ को सरदार पटेल जी का जनमदिन है।
सरदार पटेल ओ शख्सियत हैं, जिनाने अपनी सारी ज़िंदगी देश नु जोड़न दी बिता दित्ती and ओ उस मुहिम विच, I think, सफ़ल भी होये, he brought everybody together. और we call it irony or we call it, एक बुरी किस्मत कहें देश की कि उसी दिन इंदिरा गाँधी जी की हत्या भी हो गई। and जैसा हम सबको पता है कि उनकी हत्या के बाद देश में कैसे events हुए। सर, मैं ये कहना चाहता था कि हम ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण जो events होते हैं, जो घटनायें होती हैं, इनको कैसे रोक सकते हैं। ”
मेरे प्यारे देशवासियो, ये पीड़ा एक व्यक्ति की नहीं है। एक सरदार, सरदार वल्लभ भाई पटेल, इतिहास इस बात का गवाह है कि चाणक्य के बाद, देश को एक करने का भगीरथ काम, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया। आज़ाद हिंदुस्तान को, एक झंडे के नीचे लाने का सफल प्रयास, इतना बड़ा भगीरथ काम जिस महापुरुष ने किया, उस महापुरुष को शत-शत नमन। लेकिन यह भी तो पीड़ा है कि सरदार साहब एकता के लिए जिए, एकता के लिए जूझते रहे; एकता की उनकी प्राथमिकता के कारण, कइयों की नाराज़गी के शिकार भी रहे, लेकिन एकता के मार्ग को कभी छोड़ा नहीं; लेकिन, उसी सरदार की जन्म-जयंती पर हज़ारों सरदारों को, हज़ारो सरदारों के परिवारों को श्रीमती गाँधी की हत्या के बाद मौत के घाट उतार दिया गया । एकता के लिये जीवन-भर जीने वाले उस महापुरुष के जन्मदिन पर ही और सरदार के ही जन्मदिन पर सरदारों के साथ ज़ुल्म, इतिहास का एक पन्ना, हम सब को पीड़ा देता है ।
लेकिन, इन संकटों के बीच में भी, एकता के मंत्र को ले करके आगे बढ़ना है। विविधता में एकता यही देश की ताक़त है।
सिंबॉलिक फोटो

पीएम के वार्षिक रेडियो रिपोर्ट कार्ड के अनुसार “मन की बात””साइलेंट रेवोलुशन”बनी

[नई दिल्ली]पीएम के वार्षिक रेडियो रिपोर्ट कार्ड के अनुसार “मन की बात””साइलेंट रेवोलुशन” बनी पीएम ने लोकप्रिय”मन की बात”कार्यक्रम के१वर्ष पूर्ण होने पर रेडियो रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम के एक वर्ष पूर्ण होने पर अपना प्रभावी रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया
पी एम ने बताया के रेडियो पर की गई अपील के असर से
[१]तीस लाख परिवारों ने एलपीजी की सब्सिडी छोड़ दी है|
[२]खादी की बिक्री एक वर्ष में दोगुनी हो गई है
[३]सेल्फ़ी विद डॉटर से साइलेंट रेवोलुशन की तर्ज पर कन्यायों को गरिमा मिली है
[४]इनक्रेडिबल इंडिया की अपील पर पूरे देश में टूरिज्म महत्व की विरासतें एक नक़्शे पर आ गई है
[५]५५ हजार लोगों ने टेलीफोन कॉल करके सुझाव दिए
नरेंद्र मोदी ने बताया के
“मैंने एक दिन ऐसे ही कह दिया था कि सेल्फ़ी विद डॉटरऔर सारी दुनिया अचरज हो गयी, शायद दुनिया के सभी देशों से किसी-न-किसी ने लाखों की तादाद में सेल्फ़ी विद डॉटर और बेटी को क्या गरिमा मिल गयी। और जब वो सेल्फ़ी विद डॉटर करता था, तब अपनी बेटी का तो हौसला बुलंद करता था, लेकिन अपने भीतर भी एक कमिटमेंट पैदा करता था। जब लोग देखते थे, उनको भी लगता था कि बेटियों के प्रति उदासीनता अब छोड़नी होगी। एक साइलेंट रेवोलुशन था।
पी एम मोदी ने बताया
“भारत के टूरिज्म को ध्यान में रखते हुए मैंने ऐसे ही नागरिकों को कहा था, “इनक्रेडिबल इंडिया ”, कि भई, आप भी तो जाते हो, जो कोई अच्छी तस्वीर हो, तो भेज देना, मैं देखूंगा। यूँ ही हलकी-फुलकी बात की थी, लेकिन क्या बड़ा गज़ब हो गया! लाखों की तादाद में हिन्दुस्तान के हर कोने की ऐसी-ऐसी तस्वीरें लोगों ने भेजीं। शायद भारत सरकार के टूरिज्म ने, राज्य सरकार के टूरिज्म डिपार्टमेंट ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि हमारे पास ऐसी-ऐसी विरासतें हैं। एक प्लेटफार्म पर सब चीज़ें आयीं और सरकार का एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ। लोगों ने काम को बढ़ा दिया।
पी एम ने खादी के विकास पर बोलते हुए कहा
मुझे ख़ुशी तो तब हुई कि पिछले अक्टूबर महीने के पहले मेरी जो पहली ‘मन की बात’ थी, तो मैंने गाँधी जयंती का उल्लेख किया था और लोगों को ऐसे ही मैंने प्रार्थना की थी कि 2 अक्टूबर महात्मा गाँधी की जयंती हम मना रहे हैं। एक समय था, खादी फॉर नेशन (Khadi for Nation). क्या समय का तकाज़ा नहीं है कि खादी फॉर फैशन (Khadi for Fashion) – और लोगों को मैंने आग्रह किया था कि आप खादी खरीदिये। थोडा बहुत कीजिये। आज मैं बड़े संतोष के साथ कहता हूँ कि पिछले एक वर्ष में करीब-करीब खादी की बिक्री डबल हुई है। अब ये कोई सरकारी विज्ञापन से नहीं हुआ है। अरबों-खरबों रूपए खर्च कर के नहीं हुआ है। जन-शक्ति का एक एहसास, एक अनुभूति।
एल पी जी पर मन की बात सुनते हुए पी एम ने कहा
एक बार मैंने ‘मन की बात’ में कहा था, गरीब के घर में चूल्हा जलता है, बच्चे रोते रहते हैं, गरीब माँ – क्या उसे gas cylinder नहीं मिलना चाहिए? और मैंने सम्पन्न लोगों से प्रार्थना की थी कि आप सब्सिडी सरेंडर नहीं कर सकते क्या? सोचिये… और मैं आज बड़े आनंद के साथ कहना चाहता हूँ कि इस देश के तीस लाख परिवारों ने गैस सिलिंडर की सब्सिडी छोड़ दी है – और ये अमीर लोग नहीं हैं। एक TV channel पर मैंने देखा था कि एक रिटायर्ड टीचर , विधवा महिला, वो क़तार में खड़ी थी सब्सिडी छोड़ने के लिए। समाज के सामान्य जन भी, मध्यम वर्ग, निम्न-मध्यम वर्ग जिनके लिए सब्सिडी छोड़ना मुश्किल काम है। लेकिन ऐसे लोगों ने छोड़ा। क्या ये साइलेंट रेवोलुशन नहीं है? क्या ये जन-शक्ति के दर्शन नहीं हैं?
इस सफलता को देखते हुए मेरा भरोसा विश्वास में पलट गया, श्रद्धा में पलट गया और इसलिये मैं आज ‘मन की बात’ के माध्यम से फिर एक बार जन-शक्ति को शत-शत वन्दन करना चाहता हूँ, नमन करना चाहता हूँ। हर छोटी बात को अपनी बना ली और देश की भलाई के लिए अपने-आप को जोड़ने का प्रयास किया। इससे बड़ा संतोष क्या हो सकता है?
‘मन की बात’ में इस बार मैंने एक नया प्रयोग करने के लिए सोचा। मैंने देश के नागरिकों से प्रार्थना की थी कि आप टेलीफोन करके अपने सवाल, अपने सुझाव दर्ज करवाइए, मैं ‘मन की बात’ में उस पर ध्यान दूँगा। मुझे ख़ुशी है कि देश में से करीब पचपन हज़ार से ज़्यादा फ़ोन कॉल्स आये। चाहे सियाचिन हो, चाहे कच्छ हो या कामरूप हो, चाहे कश्मीर हो या कन्याकुमारी हो। हिन्दुस्तान का कोई भू-भाग ऐसा नहीं होगा, जहाँ से लोगों ने फ़ोन कॉल्स न किये हों। ये अपने-आप में एक सुखद अनुभव है। सभी उम्र के लोगों ने सन्देश दिए हैं। कुछ तो सन्देश मैंने खुद ने सुनना भी पसंद किया, मुझे अच्छा लगा। बाकियों पर मेरी टीम काम कर रही है। आपने भले एक मिनट-दो मिनट लगाये होंगे, लेकिन मेरे लिए आपका फ़ोन कॉल , आपका सन्देश बहुत महत्वपूर्ण है। पूरी सरकार आपके सुझावों पर ज़रूर काम करेगी।
लेकिन एक बात मेरे लिए आश्चर्य की रही और आनंद की रही। वैसे ऐसा लगता है, जैसे चारों तरफ नेगेटिविटी है, नकारात्मकता है। लेकिन मेरा अनुभव अलग रहा। इन पचपन हज़ार लोगों ने अपने तरीके से अपनी बात बतानी थी। बे-रोकटोक था, कुछ भी कह सकते थे, लेकिन मैं हैरान हूँ, सारी बातें ऐसी ही थीं, जैसे ‘मन की बात’ की छाया में हों। पूरी तरह सकारात्मक, सुझावात्मक, सृजनात्मक – यानि देखिये देश का सामान्य नागरिक भी सकारात्मक सोच ले करके चल रहा है, ये तो कितनी बड़ी पूंजी है देश की। शायद 1%, 2% ऐसे फ़ोन हो सकते हैं जिसमें कोई गंभीर प्रकार की शिकायत का माहौल हो। वर्ना 90% से भी ज़्यादा एक ऊर्जा भरने वाली, आनंद देने वाली बातें लोगों ने कही हैं।

PM Of India Narendra Modi’s “Mann- Ki- Baat” On 30th August

[New Delhi]Prime Minister Of India Narendra Modii’s Mann Ki Baat On 30th August .PM Modi Has Invited Ideas/Suggestions For His Upcoming Radio Programme “Mann- Ki- Baat”
PM Has Tweeted
Am sure you have a lot of ideas & suggestions for the upcoming ‘Mann Ki Baat’ programme on 30th. Share them here. https://mygov.in/group-issue/give-your-inputs-prime-ministers-mann-ki-baat-30th-august-2015/
PM Is Likely To Share His Achievements During Recent Visit In UAE + NSA Meet With Pakistan And Onion Price Rise Also

पीएम ने१०वी “मनकीबात”में १५ अगस्त पर सम्बोधन के लिए सुझाव मांगे:दिल्ली सरकार को आईना

[नई दिल्ली]पीएम ने१०वी “मनकीबात”में १५ अगस्त पर सम्बोधन के लिए सुझाव मांगे:दिल्ली सरकार को आईना
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दसवें रेडियो सन्देश में बिना सरकारी खर्चे के गुड गवर्नेंस के लिए सुझाव मांगे और अपनी उपलब्धियों का ब्योरा भी दिया सम्भवत यह दिल्ली में सत्ता रुड “आप” पार्टी और उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकारों द्वारा अरबों रुपये विज्ञापनों पर खर्च किये जाने पर एक प्रभावी आघात भी है |गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल ने जनता से सुझाव मांगने और अपनी उपलब्धियों को प्रकाशित करवाने के लिए ५२६ करोड़ का भारीभरकम बजट रखा है जबकि यूं पी में अखिलेश यादव सरकार ने इसी काम के लिए ९० करोड़ रुपयों का बजट रखा है |इन्हीं कामों के लिए रेडियो पर निशुल्क प्रसारण करकेआज इन्हें आईना दिखाने का प्रयास किया गया है | बताते चलें कि अरविन्द केजरीवाल ने अपने चुनावी अभियान के दौरान मोहल्ला सभाओं के माध्यम से सुझाव लेने की बात कही थी लेकिन सरकार बनते ही अब इसी काम के लिए विज्ञापनों की झड़ी लगा दी गई है |
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रेडियो पर अपनी दसवीं “मन की बात” में जनता से आह्वाहन किया कि १५ अगस्त को दिए जाने वाले भाषण में जनता कि क्या अपेक्षाएं हैं उनसे पीएम को अवगत कराया जाये इसके लिए उन्होंने मायगोव[MyGov]+आकाशवाणी+पी एम ओ को सीधे लिखने की बात भी कही |पीएम ने बताया कि माय गोव में २ करोड़ लोग जुड़ चुके हैं जबकि ५०००० लोगों ने महत्वपूर्ण +उपयोगी सुझाव भी दिए हैं |अपने आज के प्रसारण में श्री मोदी ने लाल बहादुर शास्त्री के अमर संदेश “जय जवान और जय किसान” को अमली जाम पहनाते हुए कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि दी और किसानो को दलहन +तिलहन +खरीब कि अच्छी उगाई के लिए प्रशंसा का पात्र भी बताया |सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वालों के लिए कैशलेस्स पालिसी और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रयास किये जाने की भी जानकारी दी अंत में पी एम ने दोहराते हुए कहा
“एक प्रकार से हमारे देश में अगस्त महीना, सितम्बर महीना, त्योहारों का ही अवसर रहता है। ढेर सारे त्यौहार रहते हैं। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। 15 अगस्त के लिए मुझे ज़रुर सुझाव भेजिये। आपके विचार मेरे बहुत काम आयेंगे”

PM To Share His Man Ki Baat On Sunday[26 July]

[New Delhi]PM To Share His Man Ki Baat On Sunday 26 July
Prime Minister Of India Narendra Modi’s Programme On Radio “Man Ki Baat”‘Will Be Broadcast On Entire All India Radio Network On Sunday [26 July]During His Previous Broadcast PM Has Touched Many Social Causes Like Education+Farmers+Drug Menace+++
PM Modi Has Tweeted
“Looking forward to share ‘Mann Ki Baat’ this Sunday. Share your inputs and ideas for the programme. https://mygov.in/group-issue/inputs-prime-ministers-mann-ki-baat-26th-july-2015

पीएम ने”मन की बात”में छात्रों+किसानों+सैनिकों के साथसाथ पशुपक्षियों आदि के कल्याण के भी मुद्दो पर चर्चा की

[नई दिल्ली]प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर आज की “मन की बात” में छात्रों+किसानों+सैनिकों के साथसाथ पशु पक्षियों आदि के कल्याण के भी मुद्दो पर चर्चा की | बोर्ड परीक्षाओं में सफल छात्रों को बधाई दी और असफल छात्रों का हौंसला बढ़ाया|पीएम ने छात्रों को लकीर का फ़क़ीर बन कर चुनिंदा विषयों में भविष्य तलाशने के बजाय नए छेत्रों में रूचि लेने का आग्रह किया|भीषण गर्मी से त्रस्त पशु पक्षियों के जीवन की रक्षा के लिए उनके लिए दाना पानी की व्यवस्था किये जाने के लिए बच्चों में संस्कार डालने का भी आग्रह किया
किसानों के लिए किसान टी वी चैनल की जानकारी दी तो सैनिकों के लिए “वन रैंक वन पेंशन “योजनाओं की पेचीदिगियों का संकेत देते हुए इसे लागू करने को कुछ और समय भी माँगा| इस सम्बोधन में पी एम ने अपनी एक साल की सरकार की सामाजिक सुरक्षा संबंधी योजनाओं की उपलब्धियां भी गिनाई |
प्रस्तुत है पीएम के आज की “मन की बात”
मेरे प्यारे देशवासियो, पिछली बार जब मैंने आपसे मन की बात की थी, तब भूकंप की भयंकर घटना ने मुझे बहुत विचलित कर दिया था। मन बात करना नहीं चाहता था फिर भी मन की बात की थी। आज जब मैं मन की बात कर रहा हूँ, तो
[१] चारों तरफ भयंकर गर्म हवा, गर्मी, परेशानियां उसकी ख़बरें आ रही हैं। मेरी आप सब से प्रार्थना है कि इस गर्मी के समय हम अपना तो ख़याल रखें… हमें हर कोई कहता होगा बहुत ज़्यादा पानी पियें, शरीर को ढक कर के रखें… लेकिन मैं आप से कहता हूँ, हम अपने अगल-बगल में पशु-पक्षी की भी दरकार करें। ये अवसर होता है परिवार में बच्चों को एक काम दिया जाये कि वो घर के बाहर किसी बर्तन में पक्षियों को पीने के लिए पानी रखें, और ये भी देखें वो गर्म ना हो जाये। आप देखना परिवार में बच्चों के अच्छे संस्कार हो जायेंगें। और इस भयंकर गर्मी में पशु-पक्षियों की भी रक्षा हो जाएगी।
ये मौसम एक तरफ़ गर्मी का भी है, तो
[२]कहीं ख़ुशी कहीं ग़म का भी है। एग्ज़ाम देने के बाद जब तक नतीजे नहीं आते तब तक मन चैन से नहीं बैठता है। अब सी.बी.एस.ई., अलग-अलग बोर्ड एग्ज़ाम और दूसरे एग्ज़ाम पास करने वाले विद्यार्थी मित्रों को अपने नतीजे मिल गये हैं। मैं उन सब को बधाई देता हूँ। बहुत बहुत बधाई। मेरे मन की बात की सार्थकता मुझे उस बात से लगी कि जब मुझे कई विद्यार्थियों ने ये जानकारी दी, नतीजे आने के बाद कि एग्ज़ाम के पहले आपके मन की बात में जो कुछ भी सुना था, एग्ज़ाम के समय मैंने उसका पूरी तरह पालन किया था और उससे मुझे लाभ मिला। ख़ैर, दोस्तो आपने मुझे ये लिखा मुझे अच्छा लगा। लेकिन आपकी सफलता का कारण कोई मेरी एक मन की बात नहीं है… आपकी सफलता का कारण आपने साल भर कड़ी मेहनत की है, पूरे परिवार ने आपके साथ जुड़ करके इस मेहनत में हिस्सेदारी की है। आपके स्कूल, आपके टीचर, हर किसी ने प्रयास किया है। लेकिन आपने अपने आप को हर किसी की अपेक्षा के अनुरूप ढाला है। मन की बात, परीक्षा में जाते-जाते समय जो टिप मिलती है न, वो प्रकार की थी। लेकिन मुझे आनंद इस बात का आया कि हाँ, आज मन की बात का कैसा उपयोग है, कितनी सार्थकता है। मुझे ख़ुशी हुई। मैं जब कह रहा हूँ कहीं ग़म, कहीं ख़ुशी… बहुत सारे मित्र हैं जो बहुत ही अच्छे मार्क्स से पास हुए होंगे। कुछ मेरे युवा मित्र पास तो हुए होंगे, लेकिन हो सकता है मार्क्स कम आये होंगे। और कुछ ऐसे भी होंगे कि जो विफल हो गये होंगे। जो उत्तीर्ण हुए हैं उनके लिए मेरा इतना ही सुझाव है कि आप उस मोड़ पर हैं जहाँ से आप अपने करियर का रास्ता चुन रहे हैं। अब आपको तय करना है आगे का रास्ता कौन सा होगा। और वो भी, किस प्रकार के आगे भी इच्छा का मार्ग आप चुनते हैं उसपर निर्भर करेगा। आम तौर पर ज़्यादातर विद्यार्थियों को पता भी नहीं होता है क्या पढ़ना है, क्यों पढ़ना है, कहाँ जाना है, लक्ष्य क्या है। ज़्यादातर अपने सराउंन्डिंग में जो बातें होती हैं, मित्रों में, परिवारों में, यार-दोस्तों में, या अपने माँ-बाप की जो कामनायें रहती हैं, उसके आस-पास निर्णय होते हैं। अब जगत बहुत बड़ा हो चुका है। विषयों की भी सीमायें नहीं हैं, अवसरों की भी सीमायें नहीं हैं। आप ज़रा साहस के साथ आपकी रूचि, प्रकृति, प्रवृत्ति के हिसाब से रास्ता चुनिए। प्रचलित मार्गों पर ही जाकर के अपने को खींचते क्यों हो? कोशिश कीजिये। और आप ख़ुद को जानिए और जानकर के आपके भीतर जो उत्तम चीज़ें हैं, उसको सँवारने का अवसर मिले, ऐसी पढ़ाई के क्षेत्र क्यों न चुनें? लेकिन कभी ये भी सोचना चाहिये, कि मैं जो कुछ भी बनूँगा, जो कुछ भी सीखूंगा, मेरे देश के लिए उसमें काम आये ऐसा क्या होगा?
बहुत सी जगहें ऐसी हैं… आपको हैरानी होगी… विश्व में जितने म्यूज़ियम बनते हैं, उसकी तुलना में भारत में म्यूज़ियम बहुत कम बनते हैं। और कभी कभी इस म्यूज़ियम के लिए योग्य व्यक्तियों को ढूंढना भी बड़ा मुश्किल हो जाता है। क्योंकि परंपरागत रूप से बहुत पॉपुलर क्षेत्र नहीं है। ख़ैर, मैं कोई, कोई एक बात पर आपको खींचना नहीं चाहता हूँ। लेकिन, कहने का तात्पर्य है कि देश को उत्तम शिक्षकों की ज़रूरत है तो उत्तम सैनिकों की भी ज़रूरत है, उत्तम वैज्ञानिकों की ज़रूरत है तो उत्तम कलाकार और संगीतकारों की भी आवश्यकता है। खेल-कूद कितना बड़ा क्षेत्र है, और खिलाडियों के सिवाय भी खेल कूद जगत के लिए कितने उत्तम ह्यूमन रिसोर्स की आवश्यकता होती है। यानि इतने सारे क्षेत्र हैं, इतनी विविधताओं से भरा हुआ विश्व है। हम ज़रूर प्रयास करें, साहस करें। आपकी शक्ति, आपका सामर्थ्य, आपके सपने देश के सपनों से भी मेलजोल वाले होने चाहिये। ये मौक़ा है आपको अपनी राह चुनने का।
जो विफल हुए हैं, उनसे मैं यही कहूँगा कि ज़िन्दगी में सफलता विफलता स्वाभाविक है। जो विफलता को एक अवसर मानता है, वो सफलता का शिलान्यास भी करता है। जो विफलता से खुद को विफल बना देता है, वो कभी जीवन में सफल नहीं होता है। हम विफलता से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। और कभी हम ये क्यों न मानें, कि आज की आप की विफलता आपको पहचानने का एक अवसर भी बन सकती है, आपकी शक्तियों को जानने का अवसर बन सकती है? और हो सकता है कि आप अपनी शक्तियों को जान करके, अपनी ऊर्जा को जान करके एक नया रास्ता भी चुन लें।
मुझे हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति श्रीमान ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी की याद आती है। उन्होंने अपनी किताब ‘माई जर्नी – ट्रांस्फोर्मिंग ड्रीम्स इनटू एक्शन’, उसमें अपने जीवन का एक प्रसंग लिखा है। उन्होंने कहा है कि मुझे पायलट बनने की इच्छा थी, बहुत सपना था, मैं पायलट बनूँ। लेकिन जब मैं पायलट बनने गया तो मैं फ़ेल हो गया, मैं विफल हो गया, नापास हो गया। अब आप देखिये, उनका नापास होना, उनका विफल होना भी कितना बड़ा अवसर बन गया। वो देश के महान वैज्ञानिक बन गये। राष्ट्रपति बने। और देश की आण्विक शक्ति के लिए उनका बहुत बड़ा योगदान रहा। और इसलिये मैं कहता हूँ दोस्तो, कि विफलता के बोझ में दबना मत। विफलता भी एक अवसर होती है। विफलता को ऐसे मत जाने दीजिये। विफलता को भी पकड़कर रखिये। ढूंढिए। विफलता के बीच भी आशा का अवसर समाहित होता है। और मेरी ख़ास आग्रहपूर्वक विनती है मेरे इन नौजवान दोस्तों को, और ख़ास करके उनके परिवारजनों को, कि बेटा अगर विफल हो गया तो माहौल ऐसा मत बनाइये की वो ज़िन्दगी में ही सारी आशाएं खो दे। कभी-कभी संतान की विफलता माँ-बाप के सपनों के साथ जुड़ जाती है और उसमें संकट पैदा हो जाते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिये। विफलता को पचाने की ताक़त भी तो ज़िन्दगी जीने की ताक़त देती है। मैं फिर एक बार सभी मेरे सफल युवा मित्रों को शुभकामनाएं देता हूँ। और विफल मित्रों को अवसर ढूँढने का मौक़ा मिला है, इसलिए भी मैं इसे शुभकामनाएं ही देता हूँ। आगे बढ़ने का, विश्वास जगाने का प्रयास कीजिये।
पिछली मन की बात और आज जब मैं आपके बीच बात कर रहा हूँ, इस बीच बहुत सारी बातें हो गईं। मेरी सरकार का एक साल हुआ, पूरे देश ने उसका बारीकी से विश्लेषण किया, आलोचना की और बहुत सारे लोगों ने हमें डिस्टिंक्शन मार्क्स भी दे दिए। वैसे लोकतंत्र में ये मंथन बहुत आवश्यक होता है, पक्ष-विपक्ष आवश्यक होता है। क्या कमियां रहीं, उसको भी जानना बहुत ज़रूरी होता है। क्या अच्छाइयां रहीं, उसका भी अपना एक लाभ होता है।
लेकिन मेरे लिए इससे भी ज़्यादा गत महीने की दो बातें मेरे मन को आनंद देती हैं। हमारे देश में ग़रीबों के लिए कुछ न कुछ करने की मेरे दिल में हमेशा एक तड़प रहती है। नई-नई चीज़ें सोचता हूँ, सुझाव आये तो उसको स्वीकार करता हूँ।
[३]हमने गत मास प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, अटल पेंशन योजना – सामाजिक सुरक्षा की तीन योजनाओं को लॉन्च किया। उन योजनाओं को अभी तो बीस दिन नहीं हुए हैं, लेकिन आज मैं गर्व के साथ कहता हूँ… शायद ही हमारे देश में, सरकार पर भरोसा करके, सरकार की योजनाओं पर भरोसा करके, इतनी बड़ी मात्रा में सामान्य मानवी उससे जुड़ जाये… मुझे ये बताते हुए ख़ुशी होती है कि सिर्फ़ बीस दिन के अल्प समय में आठ करोड़, बावन लाख से अधिक लोगों ने इन योजनाओं में अपना नामांकन करवा दिया, योजनाओं में शरीक हो गये। सामाजिक सुरक्षा की दिशा में ये हमारा बहुत अहम क़दम है। और उसका बहुत लाभ आने वाले दिनों में मिलने वाला है।
जिनके पास अब तक ये बात न पहुँची हो उनसे मेरा आग्रह है कि आप फ़ायदा उठाइये। कोई सोच सकता है क्या, महीने का एक रुपया, बारह महीने के सिर्फ़ बारह रूपये, और आप को सुरक्षा बीमा योजना मिल जाये। जीवन ज्योति बीमा योजना – रोज़ का एक रूपये से भी कम, यानि साल का तीन सौ तीस रूपये। मैं इसीलिए कहता हूँ कि ग़रीबों को औरों पर आश्रित न रहना पड़े। ग़रीब स्वयं सशक्त बने। उस दिशा में हम एक के बाद एक क़दम उठा रहे हैं। और मैं तो एक ऐसी फौज बनाना चाहता हूँ, और फौज भी मैं ग़रीबों में से ही चुनना चाहता हूँ। और ग़रीबों में से बनी हुई मेरी ये फौज, ग़रीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ेगी, ग़रीबी को परास्त करेगी। और देश में कई वर्षों का हमारे सर पर ये बोझ है, उस ग़रीबी से मुक्ति पाने का हम निरंतर प्रयास करते रहेंगे और सफलता पायेंगे।
दूसरी एक महत्वपूर्ण बात जिससे मुझे आनंद आ रहा है, वो है किसान टीवी चैनल। वैसे तो देश में टीवी चैनेलों की भरमार है, क्या नहीं है, कार्टून की भी चैनलें चलती हैं, स्पोर्ट्स की चैनल चलती हैं, न्यूज़ की चलती है, एंटरटेनमेंट की चलती हैं। बहुत सारी चलती हैं। लेकिन मेरे लिए किसान चैनल महत्वपूर्ण इसलिए है कि मैं इससे भविष्य को बहुत भली भांति देख पाता हूँ।
[४]मेरी दृष्टि में किसान चैनल एक खेत खलियान वाली ओपन यूनिवर्सिटी है। और ऐसी चैनल है, जिसका विद्यार्थी भी किसान है, और जिसका शिक्षक भी किसान है। उत्तम अनुभवों से सीखना, परम्परागत कृषि से आधुनिक कृषि की तरफ आगे बढ़ना, छोटे-छोटे ज़मीन के टुकड़े बचे हैं। परिवार बड़े होते गए, ज़मीन का हिस्सा छोटा होता गया, और तब हमारी ज़मीन की उत्पादकता कैसे बढ़े, फसल में किस प्रकार से परिवर्तन लाया जाए – इन बातों को सीखना-समझना ज़रूरी है। अब तो मौसम को भी पहले से जाना जा सकता है। ये सारी बातें लेकर के, ये टी० वी० चैनल काम करने वाली है और मेरे किसान भाइयों-बहिनों, इसमें हर जिले में किसान मोनिटरिंग की व्यवस्था की गयी है। आप उसको संपर्क ज़रूर करें।
[५]मेरे मछुवारे भाई-बहनों को भी मैं कहना चाहूँगा, मछली पकड़ने के काम में जुड़े हुए लोग, उनके लिए भी इस किसान चैनल में बहुत कुछ है, पशुपालन भारत के ग्रामीण जीवन का परम्परागत काम है और कृषि में एक प्रकार से सहायक होने वाला क्षेत्र है, लेकिन दुनिया का अगर हिसाब देखें, तो दुनिया में पशुओं की संख्या की तुलना में जितना दूध उत्पादन होता है, भारत उसमें बहुत पीछे है। पशुओ की संख्या की तुलना में जितना दूध उत्पादन होना चाहिए, उतना हमारे देश में नहीं होता है। प्रति पशु अधिक दूध उत्पादन कैसे हो, पशु की देखभाल कैसे हो, उसका लालन-पालन कैसे हो, उसका खान पान क्या हो – परम्परागत रूप से तो हम बहुत कुछ करते हैं, लेकिन वैज्ञानिक तौर तरीकों से आगे बढ़ना बहुत ज़रूरी है और तभी जा करके कृषि के साथ पशुपालन भी आर्थिक रूप से हमें मजबूती दे सकता है, किसान को मजबूती दे सकता है, पशु पालक को मजबूती दे सकता है। हम किस प्रकार से इस क्षेत्र में आगे बढें, किस प्रकार से हम सफल हो, उस दिशा में वैज्ञानिक मार्गदर्शन आपको मिले।
[६]मेरे प्यारे देश वासियों! याद है 21 जून? वैसे हमारे इस भू-भाग में 21 जून को इसलिए याद रखा जाता है कि ये सबसे लंबा दिवस होता है। लेकिन 21 जून अब विश्व के लिए एक नई पहचान बन गया है। गत सितम्बर महीने में यूनाइटेड नेशन्स में संबोधन करते हुए मैंने एक विषय रखा था और एक प्रस्ताव रखा था कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग-दिवस के रूप में मनाना चाहिए। और सारे विश्व को अचरज हो गया, आप को भी अचरज होगा, सौ दिन के भीतर भीतर एक सौ सतत्तर देशो के समर्थन से ये प्रस्ताव पारित हो गया, इस प्रकार के प्रस्ताव ऐसा यूनाइटेड नेशन्स के इतिहास में, सबसे ज्यादा देशों का समर्थन मिला, सबसे कम समय में प्रस्ताव पारित हुआ, और विश्व के सभी भू-भाग, इसमें शरीक हुए, किसी भी भारतीय के लिए, ये बहुत बड़ी गौरवपूर्ण घटना है।
लेकिन अब जिम्मेवारी हमारी बनती है। क्या कभी सोचा था हमने कि योग विश्व को भी जोड़ने का एक माध्यम बन सकता है? वसुधैव कुटुम्बकम की हमारे पूर्वजों ने जो कल्पना की थी, उसमें योग एक कैटलिटिक एजेंट के रूप में विश्व को जोड़ने का माध्यम बन रहा है। कितने बड़े गर्व की, ख़ुशी की बात है। लेकिन इसकी ताक़त तो तब बनेगी जब हम सब बहुत बड़ी मात्रा में योग के सही स्वरुप को, योग की सही शक्ति को, विश्व के सामने प्रस्तुत करें। योग दिल और दिमाग को जोड़ता है, योग रोगमुक्ति का भी माध्यम है, तो योग भोगमुक्ति का भी माध्यम है और अब तो में देख रहा हूँ, योग शरीर मन बुद्धि को ही जोड़ने का काम करे, उससे आगे विश्व को भी जोड़ने का काम कर सकता है।
हम क्यों न इसके एम्बेसेडर बने! हम क्यों न इस मानव कल्याण के लिए काम आने वाली, इस महत्वपूर्ण विद्या को सहज उपलब्ध कराएं। हिन्दुस्तान के हर कोने में 21 जून को योग दिवस मनाया जाए। आपके रिश्तेदार दुनिया के किसी भी हिस्से में रहते हों, आपके मित्र परिवार जन कहीं रहते हो, आप उनको भी टेलीफ़ोन करके बताएं कि वे भी वहाँ लोगो को इकट्ठा करके योग दिवस मनायें। अगर उनको योग का कोई ज्ञान नहीं है तो कोई किताब लेकर के, लेकिन पढ़कर के भी सबको समझाए कि योग क्या होता है। एक पत्र पढ़ लें, लेकिन मैं मानता हूँ कि हमने योग दिवस को सचमुच में विश्व कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण क़दम के रूप में, मानव जाति के कल्याण के रूप में और तनाव से ज़िन्दगी से गुजर रहा मानव समूह, कठिनाइयों के बीच हताश निराश बैठे हुए मानव को, नई चेतना, ऊर्जा देने का सामर्थ योग में है।
मैं चाहूँगा कि विश्व ने जिसको स्वीकार किया है, विश्व ने जिसे सम्मानित किया है, विश्व को भारत ने जिसे दिया है, ये योग हम सबके लिए गर्व का विषय बनना चाहिए। अभी तीन सप्ताह बाकी है आप ज़रूर प्रयास करें, ज़रूर जुड़ें और औरों को भी जोडें, ये मैं आग्रह करूंगा।
[७]मैं एक बात और कहना चाहूँगा खास करके मेरे सेना के जवानों को, जो आज देश की सुरक्षा में जुटे हुए उनको भी और जो आज सेना से निवृत्त हो करके अपना जीवन यापन कर रहे, देश के लिए त्याग तपस्या करने वाले जवानों को, और मैं ये बात एक प्रधानमन्त्री के तौर पर नहीं कर रहा हूँ। मेरे भीतर का इंसान, दिल की सच्चाई से, मन की गहराई से, मेरे देश के सैनिकों से मैं आज बात करना चाहता हूँ।
वन-रैंक, वन-पेंशन, क्या ये सच्चाई नहीं हैं कि चालीस साल से सवाल उलझा हुआ है? क्या ये सच्चाई नहीं हैं कि इसके पूर्व की सभी सरकारों ने इसकी बातें की, किया कुछ नहीं? मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ। मैंने निवृत्त सेना के जवानों के बीच में वादा किया है कि मेरी सरकार वन-रैंक, वन-पेंशन लागू करेगी। हम जिम्मेवारी से हटते नहीं हैं और सरकार बनने के बाद, भिन्न-भिन्न विभाग इस पर काम भी कर रहे हैं। मैं जितना मानता था उतना सरल विषय नहीं हैं, पेचीदा है, और चालीस साल से उसमें समस्याओं को जोड़ा गया है। मैंने इसको सरल बनाने की दिशा में, सर्वस्वीकृत बनाने की दिशा में, सरकार में बैठे हुए सबको रास्ते खोज़ने पर लगाया हुआ है। पल-पल की ख़बरें मीडिया में देना ज़रूरी नहीं होता है। इसकी कोई रनिंग कमेंट्री नहीं होती है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ यही सरकार, मैं फिर से कहता हूँ – यही सरकार आपका वन-रैंक, वन-पेंशन का मसला, सोल्यूशन लाकर के रहेगी – और जिस विचारधारा में पलकर हम आए हैं , जिन आदर्शो को लेकर हम आगे बढ़ें हैं, उसमें आपके जीवन का महत्व बहुत है।
मेरे लिए आपके जीवन के साथ जुड़ना आपकी चिंता करना ये सिर्फ़ न कोई सरकारी कार्यक्रम है, न ही कोई राजनितिक कार्यक्रम है, मेरे राष्ट्रभक्ति का ही प्रकटीकरण है। मैं फिर एक बार मेरे देश के सभी सेना के जवानों को आग्रह करूंगा कि राजनैतिक रोटी सेंकने वाले लोग चालीस साल तक आपके साथ खेल खेलते रहे हैं। मुझे वो मार्ग मंज़ूर नहीं है, और न ही मैं कोई ऐसे क़दम उठाना चाहता हूँ, जो समस्याओं को जटिल बना दे। आप मुझ पर भरोसा रखिये, बाक़ी जिनको बातें उछालनी होंगी, विवाद करने होंगे, अपनी राजनीति करनी होगी, उनको मुबारक। मुझे देश के लिए जीने मरने वालों के लिए जो कर सकता हूँ करना है – ये ही मेरे इरादे हैं, और मुझे विश्वास है कि मेरे मन की बात जिसमें सिवाय सच्चाई के कुछ नहीं है, आपके दिलों तक पहुंचेगी। चालीस साल तक आपने धैर्य रखा है – मुझे कुछ समय दीजिये, काम करने का अवसर दीजिये, और हम मिल बैठकर के समस्याओं का समाधान करेंगे। ये मैं फिर से एक बार देशवासियों को विश्वास देता हूँ।
छुट्टियों के दिनों में सब लोग कहीं न कहीं तो गए होंगे। भारत के अलग-अलग कोनों में गए होंगे। हो सकता है कुछ लोग अब जाने का कार्यक्रम बनाते होंगे। स्वाभाविक है ‘सीईंग इज़ बिलीविंग’ – जब हम भ्रमण करते हैं, कभी रिश्तेदारों के घर जाते हैं, कहीं पर्यटन के स्थान पर पहुंचते हैं। दुनिया को समझना, देखने का अलग अवसर मिलता है। जिसने अपने गाँव का तालाब देखा है, और पहली बार जब वह समुन्दर देखता है, तो पता नहीं वो मन के भाव कैसे होते हैं, वो वर्णन ही नहीं कर सकता है कि अपने गाँव वापस जाकर बता ही नहीं सकता है कि समुन्दर कितना बड़ा होता है। देखने से एक अलग अनुभूति होती है।
आप छुट्टियों के दिनों में अपने यार दोस्तों के साथ, परिवार के साथ कहीं न कहीं ज़रूर गए होंगे, या जाने वाले होंगे। मुझे मालूम नहीं है आप जब भ्रमण करने जाते हैं, तब डायरी लिखने की आदत है कि नहीं है। लिखनी चाहिए, अनुभवों को लिखना चाहिए, नए-नए लोगों से मिलतें हैं तो उनकी बातें सुनकर के लिखना चाहिए, जो चीज़ें देखी हैं, उसका वर्णन लिखना चाहिए, एक प्रकार से अन्दर, अपने भीतर उसको समावेश कर लेना चाहिए। ऐसी सरसरी नज़र से देखकर के आगे चले जाएं ऐसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये भ्रमण अपने आप में एक शिक्षा है। हर किसी को हिमालय में जाने का अवसर नहीं मिलता है, लेकिन जिन लोगों ने हिमालय का भ्रमण किया है और किताबें लिखी हैं उनको पढ़ोगे तो पता चलेगा कि क्या आनन्ददायक यात्राओं का वर्णन उन्होंने किया है।
मैं ये तो नहीं कहता हूँ कि आप लेखक बनें! लेकिन भ्रमण की ख़ातिर भ्रमण ऐसा न होते हुए हम उसमें से कुछ सीखने का प्रयास करें, इस देश को समझने का प्रयास करें, देश को जानने का प्रयास करें, उसकी विविधताओं को समझें। वहां के खान पान कों, पहनावे, बोलचाल, रीतिरिवाज, उनके सपने, उनकी आकांक्षाएँ, उनकी कठिनाइयाँ, इतना बड़ा विशाल देश है, पूरे देश को जानना समझना है – एक जनम कम पड़ जाता है, आप ज़रूर कहीं न कहीं गए होंगे, लेकिन मेरी एक इच्छा है, इस बार आप यात्रा में गए होंगे या जाने वाले होंगे। क्या आप अपने अनुभव को मेरे साथ शेयर कर सकते हैं क्या? सचमुच में मुझे आनंद आएगा। मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप इन्क्रेडिबल इंडिया हैश टैग, इसके साथ मुझे अपनी फोटो, अपने अनुभव ज़रूर भेजिए और उसमें से कुछ चीज़ें जो मुझे पसंद आएंगी मैं उसे आगे औरों के साथ शेयर करूँगा।
देखें तो सही आपके अनुभवों को, मैं भी अनुभव करूँ, आपने जो देखा है, मैं उसको मैं दूर बैठकर के देखूं। जिस प्रकार से आप समुद्रतट पर जा करके अकेले जा कर टहल सकते हैं, मैं तो नहीं कर पाता अभी, लेकिन मैं चाहूँगा आपके अनुभव जानना और आपके उत्तम अनुभवों को, मैं सबके साथ शेयर करूँगा।
अच्छा लगा आज एक बार फिर गर्मी की याद दिला देता हूँ, मैं यही चाहूँगा कि आप अपने को संभालिए, बीमार मत होना, गर्मी से अपने आपको बचाने के रास्ते होतें हैं, लेकिन उन पशु पक्षियों का भी ख़याल करना। यही मन की बात आज बहुत हो गयी, ऐसे मन में जो विचार आते गए, मैं बोलता गया। अगली बार फिर मिलूँगा, फिर बाते करूँगा, आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं, बहुत बहुत धन्यवाद।

नरेंद्र मोदी ने “मन की बात” में युवाओं को नशे के नरक से निकालने के लिए समाज को भी उपयोगी नसीहत दी

[नई दिल्ली] भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर अपने “मन की बात” में युवाओं को नशे के नरक से निकालने के लिए समाज को भी उपयोगी नसीहत दी |
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी ने आज अपनी तीसरी “मन की बात” में नशे के नरक से निकलने के लिए युवाओं के साथ ही समाज को भी उपयोगी नसीहत दी | पीएम मोदी ने इस समस्या से ग्रसित युवा को दुत्कारने के बजाए उसे साइको –सोसिओ-मेडिकल प्रॉब्लम की तरह सुलझाने की सलाह दी उन्होंने नशे की लत को ३ डी का नाम दिया [1] डार्कनेस [2] डिस्ट्रक्शन[3] डिवस्टेशन इसकी व्यख्या करते हुए बताया कि[१] नशा अंधेरी गली में ले जाता है। [२]विनाश के मोड़ पर आकर खड़ा कर देता है और[३] बर्बादी का मंजर इसके सिवाय नशे में कुछ नहीं होता है।
पीएम ने ड्रग्स कि विकराल होती जा रही समस्या के कारणों को चिन्हित करते हुए बताया कि जिसके जीवन में कोई ध्येय नहीं है, लक्ष्य नहीं है, उंचे इरादे नहीं हैं, एक वैक्यूम है, वहां पर ड्रग का प्रवेश करना सरल हो जाता है। ड्रग से अगर बचना है, अपने बच्चे को बचाना है तो उनको ध्येयवादी बनाइये, कुछ करने के इरादे वाले बनाइये, सपने देखने वाले बनाइये। आप देखिये, फिर उनका बाकी चीजों की तरफ मन नही लगेगा। उसको लगेगा नहीं, मुझे करना है।
स्वामी विवेकानन्द का उल्लेख करते हुए कहा ‘एक विचार को ले लो, उस विचार को अपना जीवन बना लो। उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो। उस विचार को जीवन में उतार लो। अपने दिमाग, मांसपेशियां, नसों, शरीर के प्रत्येक हिस्से को उस विचार से भर दो और अन्य सभी विचार छोड़ दो’।
पीएम ने माता- पिता से भी कहा “हमारे पास आज कल समय नही हैं दौ़ड़ रहे हैं। जिंदगी का गुजारा करने के लिए दौड़ना पड़ रहा है। अपने जीवन को और अच्छा बनाने के लिये दौड़ना पड़ रहा है। लेकिन इस दौड़ के बीच में भी, अपने बच्चों के लिये हमारे पास समय है क्या ? क्या कभी हमने देखा है कि हम ज्यादातर अपने बच्चों के साथ उनकी लौकिक प्रगति की ही चर्चा करते हैं? कितने मार्क्स लाया, एग्जाम कैसे गई, ज्यादातर क्या खाना है ? क्या नहीं खाना है ? या कभी कहाँ जाना है? कहां नहीं जाना है , हमारी बातों का दायरा इतना सीमित है। या कभी उसके हृदय के भीतर जाकर के अपने बच्चों को अपने पास खोलने के लिये हमने अवसर दिया है? आप ये जरूर कीजिये। अगर बच्चे आपके साथ खुलेंगे तो वहां क्या चल रहा है पता चलेगा। बच्चे में बुरी आदत अचानक नहीं आती है, धीरे धीरे शुरू होती है और जैसे-जैसे बुराई शुरू होती है तो घर में उसका बदलाव भी शुरू होता है। उस बदलाव को बारीकी से देखना चाहिये। उस बदलाव को अगर बारीकी से देखेंगे तो मुझे विश्वास है कि आप बिल्कुल बिगनिंग में ही अपने बालक को बचा लेंगे। उसके यार दोस्तों की भी जानकारी रखिये और सिर्फ प्रगति के आसपास बातों को सीमित न रखें। उसके जीवन की गहराई, उसकी सोच, उसके तर्क, उसके विचार उसकी किताब, उसके दोस्त, उसके मोबाइल फोन्स….क्या हो रहा है? कहां उसका समय बीत रहा है, अपने बच्चों को बचाना होगा”
पीएम ने पूर्वजोंकी कुछ कहावतों के रूप में शिक्षा को भी साँझा किया
5 वर्ष लौ लीजिये,दस लौं ताड़न देई
5 वर्ष लौ लीजिये,दस लौं ताड़न देई
सुत ही सोलह वर्ष में,मित्र सरिज गनि देई
सुत ही सोलह वर्ष में,मित्र सरिज गनि देई
बच्चे की 5 वर्ष की आयु तक माता-पिता प्रेम और दुलार का व्यवहार रखें, इसके बाद जब पुत्र 10 वर्ष का होने को हो तो उसके लिये डिसिप्लिन होना चाहिये, डिसिप्लिन का आग्रह होना चाहिये और कभी-कभी हमने देखा है समझदार मां रूठ जाती है, एक दिन बच्चे से बात नहीं करती है। बच्चे के लिये बहुत बड़ा दण्ड होता है। दण्ड मां तो अपने को देती है लेकिन बच्चे को भी सजा हो जाती है। मां कह दे कि मैं बस आज बोलूंगी नहीं। आप देखिये 10 साल का बच्चा पूरे दिन परेशान हो जाता है। वो अपनी आदत बदल देता है और 16 साल का जब हो जाये तो उसके साथ मित्र जैसा व्यवहार होना चाहिये। खुलकर के बात होनी चाहिये। ये हमारे पूर्वजों ने बहुत अच्छी बात बताई है। मैं चाहता हूं कि ये हमारे पारिवारिक जीवन में इसका कैसे हो उपयोग।
पीएम कुशल प्रशासक की भांति दवाई बेचने वालों को भी चेतावनी दे डाली|। उन्होंने कहा कि डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना कफ़ सिरप जैसी दवाईयां न दी जायें।
शिक्षा के छेत्र को टच करते हुए कहा कि इन दिनों अच्छी पढ़ाई के लिये गांव के बच्चे भी अपना राज्य छोड़कर अच्छी जगह पर एडमिशन के लिये बोर्डिंग लाइफ जीते हैं, हॉस्टल में जीते हैं। मैंने ऐसा सुना है कि वो कभी-कभी इस बुराइयों का प्रवेश द्वार बन जाता है। इसके विषय में शैक्षिक संस्थाओं ने, समाज ने, सुरक्षा बलों ने सभी ने बड़ी जागरूकता रखनी पड़ेगी। जिसकी जिम्मेवारी है उसकी जिम्मेवारी पूरा करने का प्रयास होगा। सरकार के जिम्मे जो होगा वो सरकार को भी करना ही होगा। और इसके लिये हमारा प्रयास रहना चाहिये।
इस अवसर पर पीएम ने बीते दिनों कि उपलब्धियों का जिक्र भी किया |ब्लाइंड क्रिकेट टीम+आतंकवद और बाढ़ से पीड़ित जम्मू कश्मीर की क्रिकेट टीम की मुम्बई में जीत +यूनाइटेड नेशन द्वारा विश्व योग दिवस की घोषणा+मुख्यमंत्रियों की मीटिंग रिट्रीट + नार्थईस्ट के प्राकृतिक सौंदर्य का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए सीमान्त प्रदेशों को भी जोड़ा |
वर्ष 2014 इस आखिरी रेडियो कार्यक्रम में उन्होंने सबको क्रिसमस और 2015 के नववर्ष की एडवांस में सबको शुभकामनायें दी|
फाइल फोटो

ब्लैकमनी आर्टिकल ऑफफेथ है जिसे विदेशों से लाना मेरा कमिटमेंट है:नरेंद्रमोदी के”मन की बात”

ब्लैकमनी मेरे लिए आर्टिकल ऑफफेथ है इसे विदेशों से वापिस लाना मेरा कमिटमेंट है:नरेंद्रमोदी के “मन की बात”भारत के पी एम नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर “मन की बात” में जहां अपने पहले रेडियो सम्बोधन की सफलता ,विशेष रूप से खादी उपयोग और स्वच्छता अभियान में बढ़ रही जन भागेदारी के लिए धन्यवाद दिया तो इसके साथ ही उन्होंने अगले कार्यक्रम में युवाओं में बढ़ रही नशाप्रवृति पर बात करने का आश्वासन भी दिया लेकिन इस सब के बावजूद पीएम ने इस माध्यम से विदेशीबैंकों मे जमा भारतीयों की ब्लैकमनी की वापिसी पर उनकी सरकार की नियत पर उठाये जा रहे सवालों का उत्तर भी दिया दिवाली की शुभकामनाओं के साथ प्रारम्भ किये सम्बोधन में देश में नकारात्मक सोच को बदलने पर जोर दिया
,उन्होंने बताया के “मैंने पिछली बार कहा था, कम से कम एक खादी का वस्त्र ख़रीदिये । मैंने किसी को खादीधारी बनने के लिये नहीं कहा था । लेकिन मुझे खादी भण्डार वालों से जानकारी मिली कि एक सप्ताह में करीब करीब सवा सौ परसेन्ट हंड्रेड एंड ट्वेंटी फाइव परसेन्ट बिक्री में वृद्धि हो गयी । एक प्रकार से पिछले वर्ष की तुलना में 2 अक्तूबर से एक सप्ताह में डबल [१२५%] से भी ज्यादाखादी की बिक्री हुई । इसका मतलब यह हुआ कि देश की जनता हम जो सोचते हैं, उससे भी कई गुना आगे है “।
स्वछता अभियान के प्रति बोलते हुए उन्होंने बताया के “कोई कल्पना कर सकता है कि सफाई ऐसा जन आन्दोलन का रूप ले लेगा । अपेक्षायें बहुत हैं, और होनी भी चाहिये । और एक अच्छा परिणाम मुझे नज़र आ रहा है, सफाई अब दो हिस्सों में देखी जा रही है । एक जो पुरानी गन्दगी है, जो गन्दगी के ढ़ेर हैं, उसको सरकारी तंत्र…शासन में बैठे हुए लोग उसके लिये क्या उपाय करेंगे । बहुत बड़ी चुनौती है लेकिन ! आप जिम्मेवारी से भाग नहीं सकते । सभी सरकारों ने सभी म्यूनिसिपैलिटीज़ ने, इस जिम्मेवारी के लिये कदम उठाने ही पड़ेंगे क्योंकि जनता का दबाव बढ़ने वाला है । और मीडिया भी इसमें बहुत अच्छी भूमिका निभा रहा है ।
लेकिन जो दूसरा पहलू है जो बहुत ही उमंग वाला है, आनन्द वाला है और मन को संतोष देने वाला है । सामान्य मानव को लगने लगा है कि चलो पहले की बात छोड़ो, अब गंदगी नहीं करेंगे । हम नई गंदगी में इज़ाफ़ा नहीं करेंगे । मुझे सतना, मध्यप्रदेश के, कोई श्रीमान् भरत गुप्ता करके हैं, उन्होंने मेरे mygov पर एक मेल भेजा । उन्होंने अपना…रेलवे में दौरा जा रहे थे, उसका अपना अनुभव कहा…उन्होंने कहा कि साहब मैं पहले भी रेलवे में जाता था, इस बार भी रेलवे में गया लेकिन मैं देख रहा हूं कि रेलवे में हर पैसेन्जर…रेलवे में लोग खाते-पीते रहते हैं, कागज-वागज फेंकते रहते हैं…बोले कि कोई फेंकता नहीं था, इतना ही नहीं, ढूंढ़ते थे कि डिब्बे में कहीं डस्टबिन है क्या, कूड़ा कचरा उसमें डालें । और जब देखा कि भई रेलवे में ये व्यवस्था तो नहीं है तो उन्होंने खुद ने कोने में ही सब लोगों ने अपना कूड़ा कचरा इकट्ठा कर दिया । बोले ये मेरे लिये बहुत ही सुखद अनुभव था ।” सैंकड़ों परिवार ये बात की चर्चा करते हैं कि बच्चा अभी कहीं चॉकलेट खाता है तो कागज तुरन्त उठा लेता है ।
पी एम ने बताया के एच.आर.डी. मिनिस्ट्री के अफसरों ने मिल करके एक योजना बनाई । उच्च शिक्षा के लिए इच्छुक एक हजार अच्छे स्पेशली-एबल्ड चाइल्ड को पसन्द करके उनको स्पेशल स्कॉलरशिप देने की उन्होंने योजना बनाई गई है ।इसके अनुसार देश भर में केन्द्रीय विद्यालय और सैन्ट्र्ल यूनिवर्सिटीज में स्पेशली-एबल्ड बच्चों के लिये आवश्यक इन्फ्रास्ट्र्क्चर[ट्राइसाइकल +ट्रैक+ टॉयलेट]के लिए एक लाख रूपये विशेष दिया जायेगा
उन्होंने सियाचिन में दिवाली मनाने के अनुभव भी साँझा किये उन्होंने बताया के “आज मुझे एक और गर्व की बात कहनी है । हमारे देश के जवान सुरक्षा के क्षेत्र में काम करते हैं । प्राकृतिक आपदा के समय जान की बाजी लगाकर हमारी रक्षा करने के लिए कोई भी साहस करने को तैयार हो जाते हैं । खेल-कूद में भी हमारे देश के जवान भारत का गौरव बढाते रहते हैं । आपको जानकर के खुशी होगी कि हमारे सेना के कुछ खिलाडियों ने ब्रिटेन में आयोजित एक बहुत ही प्रस्टीजियस, कम्ब्रिअन पेट्रोल की एक स्पर्धा होती है, करीब 140 देशों को पीछे छोडकर के हमारे इन जवानों ने गोल्ड मैडल दिलाया देश को । मैं इन जवानों का विशेष रूप से अभिनन्दन करता हॅूं ।”
ब्लैक मनी पर बोलते हुए पी एम ने कहा ” मैं देशवासियों को, और मैं सच में मन से कहना चाहता हूँ और मेरे मन की बात है । और मुझे विश्वास है, देशवासियों को मेरे शब्दों पर बहुत भरोसा है, मेरे इरादों पर भरोसा है । लेकिन आज एक बार फिर मैं उसको अपनी तरफ से दोहराना चाहता हॅूं । जहां तक काले धन का सवाल है, ब्लैक मनी का सवाल है, मेरे देशवासी, आपके इस प्रधान सेवक पर भरोसा कीजिये, मेरे लिये ये आर्टिकल ऑफ फेथ है । भारत के गरीब का जो पैसा जो बाहर गया है वो पाई-पाई वापिस आनी चाहिए, ये मेरा कमिटमेंट है । रास्ते क्या हो, पद्धति क्या हो, उसके विषय में, मतभिन्नता हो सकती है । और लोकतंत्र में स्वाभाविक है लेकिन मेरे देशवासी मुझे जितनी समझ है और मेरे पास जितनी जानकारी है उसके आधार पर मैं आपको विश्वास दिलाता हॅूं कि हम सही रास्ते पर हैं । आज तो किसी को पता नही है, न मुझे पता है, न सरकार को पता है, नआपको पता है, न पहले वाली सरकार को ही पता था कि कितना धन बाहर है । हर कोई अपने अपने तरीके से, अलग-अलग आंकडे बताते रहते हैं । मैं उन आंकडों में उलझना नहीं चाहता हॅूं , मेरी प्रतिबद्धता ये है, दो रूपया है, पांच रूपया है, करोड है, अरब है कि खरब है जो भी है । ये देश के गरीबों का पैसा है, वापिस आना चाहिए । और मैं आपको विश्वास दिलाता हॅूं , मेरे प्रयासों में कोई कमी नहीं रहेगी । कोई कोताही नहीं बरती जायेगी । आम जन की भावनाओं का आदर करते हुए पी एम ने भारत गुप्ता के साथ ही अभिषेक पारीख का भी उल्लेख किया
नरेंद्र मोदी ने अपनी आदत के अनुसार मौसम पर भी उपदेश दिया” अब मौसम बदल रहा है । धीरे-धीरे ठंड की शुरूआत हो रही है । स्वास्थ्य के लिये बहुत अच्छा मौसम होता है । कुछ लोगों के लिये मौसम खाने के लिये बहुत अच्छा होता है । कुछ लोगों के लिये अच्छे-अच्छे कपडे पहनने के लिये होता है । लेकिन इसके साथ-साथ स्वास्थ्य के लिये भी बहुत अच्छा मौसम होता है । इसे जाने मत दीजिये । इसका भरपूर उपयोग कीजिये ।”