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आर बी आई ने पी एस यूं को तेल खरीदने के लिए सीधे डॉलर मुहैय्या करवाने की घोषणा करके ना केवल रुपये की ढलान को रोक कर ६६.५५ पर भी खिसकाया

आर बी आई ने पी एस यूं को तेल खरीदने के लिए सीधे डॉलर मुहैय्या करवाने की घोषणा करके ना केवल रुपये की ढलान को रोक वरन ६६.५५ पर भी खिसकाया
लगता है कि रुपये की ढलान रोकने के लिए केंद्र सरकार को बैरियर[ Hurdles ]मिल गए हैं तभी रूपया आज भी न केवल लुदकाने से रुका वरन कुछ आगे बढ़ने में सफल हुआ |२२५ पैसे का अंतर ले कर डॉलर के मुकाबिले ६६.५५ पर पहुंचा|आर बी आई द्वारा पी एस यूं के लिए डॉलर मुहैय्या करवाने की घोषणा के फलस्वरूप यह सुधार आया है|
सेंसेक्स ने भी ४०० पॉइंट्स की छलांग लगाई है|

भारतीय बास्‍केट के लिए कच्‍चे तेल की कीमत 105.94 से घटकर 105.77 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल हुई

अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार भारतीय बास्‍केट के लिए कच्‍चे तेल की कीमत 17.07.2013 को घटकर 105.77 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल हुई
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अंतर्गत पेट्रोलियम नियोजन और विश्‍लेषण
प्रकोष्‍ठ (पीपीएसी) द्वारा आज प्रगणित/प्रकाशित दरों के अनुसार भारत के लिए कच्‍चे
तेल की अंतर्राष्‍ट्रीय कीमत, 17 जुलाई, 2013 को कुछ घटकर 105.77 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल हो गई।
यह कीमत पि‍छले कारोबारी दिवस यानी 16.07.2013 को रही कीमत 105.94 अमरीकी डॉलर
प्रति बैरल के मुकाबले कम है।
रूपये के संदर्भ में भी कच्‍चे तेल की कीमत 17.07.2013 को घटकर 6278.51 रुपए
प्रति बैरल हो गई, जो 16.07.2013 को 6291.78 रुपए प्रति बैरल थी। ऐसा डॉलर के
मूल्‍य में कमी होने के कारण हुआ। 17.07.2013 को रूपये/डॉलर की विनिमय दर
कुछ सुधर कर 59.36 रुपए/अमरीकी डॉलर हो गई, जबकि 16.07.2013 को यह दर 59.39 रुपए/अमरीकी डॉलर थी।

रुपये के निरंतर अवमूल्यन के लिए यूं पी ऐ सरकार के कुप्रबंध और अमेरिकी फ़ेडरल रिजर्व जिम्मेदार है:भाजपा

भाजपा ने भारतीय रुपये के निरंतर अवमूल्यन के लिए यूं पी ऐ की सत्ता रुड सरकार के कुप्रबंध और भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया है|राज्य सभा में विपक्ष के उपनेता और वरिष्ठ वकील रविशंकर प्रसाद द्वारा जारी प्रेस वक्तव्य में कहा गया है कि एक अमेरिकी डॉलर अब ६०.१५ रुपये पर मिल रहा है|मई से जुलाई के बीच डॉलर के मुकाबिले ७.१५ रुपयों की गिरावट दर्ज की गई है यह सरकार के मजबूत अर्थ व्यवस्था के तमाम दावों को गलत साबित करता है|
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले दस वर्षों के सबसे निचले स्तर पर है|विकास दर ५% पर आ चुकी है|भारतीय अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेश से चलाने के लिए यूं पी ऐ की कोशिशें कमजोर साबित हुई है|क्योंकि अगर विदेशी धन तेजी से देश में आता है तो उतनी ही तेजी से लाभ लेकर बाहर जाता भी है|अमेरिकी फ़ेडरल रिजर्व ने भारत को भी दिए जारहे प्रोत्साहन वापिस लेने के आदेश जारी किये हैं जिसके फलस्वरूप रुपया निरंतर लुडकता जा रहा है|
कोई भी अर्थ व्यवस्था जबर्दस्त घरेलू निवेश और बचत पर निर्भर करती है लेकिन दुर्भाग्य वश आज भारतीय निवेशक भी विदेशों में निवेश करने को बाध्य है क्योंकि यहाँ माहौल अनुकूल नहीं है||हर तरफ भ्रष्टाचार+दुविधा+भयानक अनिश्चितता और नीतियाँ तैयार करने में गतिहीनता है|अर्थशास्त्री पी एम् के होते हुए भी अर्थ व्यवस्था अव्यवस्थित हैं |चिंता इस बात की है कि एन डी ऐ द्वारा छोड़ी गई मजबूत अर्थव्यवस्था को यूं पी ऐ ने अपने कुप्रबंध और भ्रष्टाचार से तहस नहस कर दिया है