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जस्टिस काटजू ने १० साल पुराने केस पर हथौड़ा चला कर पूर्व पी एम को विलेन साबित करने का प्रयास किया

सुप्रीम कोर्ट के जज और मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे प्रेस कौंसिल आफ इंडिया के मौजूदा चेयरमैन तेज तर्रार मार्कंडेय काटजू ने अपने ब्लॉग में एक १० साल पुराने केस पर हथौड़ा चला कर बहुउद्देशीय तीर चलाये| १० साल पुराने इस रहस्योद्घाटन के साथ काटजू ने १० जनपथ को बचाते हुए [१]पूर्व प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह को यूं पी ऐ सरकार का मुख्य विलेन साबित करने का प्रयास किया है | क्योंकि दस साल पहले के इस भ्र्ष्टाचार को उजागर करने के पीछे की मंशा देखी जाये तो साफ दिखाई देता है कि इसका उद्देश्य केवल और केवल सनसनी पैदा करके डॉ मन मोहन सिंह को कांग्रेस का विलेन साबित करना ही है|क्योंकि अगर काटजू साहब दोषी जस्टिस को सजा दिलाना चाहते तो दोषी जज का नाम और उसकी सरंक्षक पार्टी का नाम जरूर बताते लेकिन उन्होंने इसे जानने के लिए मीडिया को यह होम वर्क दे दिया लेकिन उनका सहयोग करते हुए”आप”पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रमुख वकील प्रशांत भूषण ने दोषी जज का नाम अशोक कुमार बताया है
[२] दस साल पुराना कोई स्कोर अब सेटल किया जा रहा है
[३]मौजूदा सरकार पर दबाब बना है
इस मुद्दे को लेकर राज्यसभा में एआईएडीएमके [AIADMK ]सांसदों ने जमकर हंगामा किया गाजा पट्टी पर चर्चा को लेकर फंसी हुई केंद्र सरकार पर साउथ की पोलिटिकल पार्टी के विरुद्ध कार्यवाही का दबाब बढ़ा |इसीके फलस्वरूप सदन की कार्यवाही दोपहर तक रोकनी पड़ी।
लोकसभा के बिजनेस को भी प्रभावित किया गया |गौरतलब है कि जस्टिस काटजू को यूं पी ऐ की सरकार के कार्यकाल में प्रेस कौंसिल आफ इंडिया का चेयरमैन बनाया गया था और उन्होंने और तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने बखूबी मीडिया पर दबाब भी बनाये रखा |इस नजदीकी पर सम्भवत पर्दा डालने के लिए कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने बिना देर लगाए कहा,कि पूर्व जस्टिस काटजू एनडीए से नजदीकी बढ़ाना चाहते हैं। मनीष तिवारी ने भी एकचैनल को बाइट देकर काटजू पर निशाना साधा है|
जस्टिस काटजू ने एक चैंनल पर दावा किया कि यूपीए सरकार को गिरने से बचाने के लिए एक भ्रष्ट जज[ई अशोक कुमार] का प्रमोशन किया गया था। जस्टिस काटजू के मुताबिक, जब वह जिला जज थे तो मद्रास हाईकोर्ट के कई जजों ने प्रतिकूल टिप्पणियां[ ACR] की थीं, उसके बावजूद वोह जज हाईकोर्ट में एडिशनल जज बन गए।
जस्टिस काटजू का आरोप है कि नवंबर 2004 में उनके मद्रास हाईकोर्ट के जज बनकर जाने तक वह जज इसी पद पर रहे। इस जज को तमिलनाडु के एक बड़े नेता का समर्थन हासिल था। जस्टिस काटजू का कहना है कि इस जज के बारे में भ्रष्टाचार की कई रिपोर्ट्स मिलने के बाद उन्होंने भारत के चीफ जस्टिस आरसी लोहाटी से इस जज के खिलाफ गुप्त जांच की गुजारिश की थी। आईबी को उस जज के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले हैं फिर भी एडिशनल जज के उनके कार्यकाल को एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया। जस्टिस काटजू का कहना है कि सरकार को समर्थन दे रही तमिलनाडु की एक पार्टी ने जज को हटाये जाने का जोरदार विरोध किया और उस पार्टी के मंत्रियों ने मनमोहन सिंह को उनकी सरकार गिराने की धमकी भी दी थी। इसके साथ जस्टिस काटजू ने राजनितिक रूप से एक रोचक किस्सा सुनाया जिसके अनुसार एयर पोर्ट पर डॉ मन मोहन सिंह को सरकार गिराने के लिए ब्लैक मेल किया गया जिसके फलस्वरूप डॉ सिंह ने दोषी जज के कार्यकाल को आगे बढ़वाने के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया | लेकिन इसके समर्थन में वोह कोई प्रमाण नहीं दे पाये केवल सूत्रों के हवाले का जिक्र कर कर ही रह गए