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Prez Kovind Advocates Transparency in RTI :CIC

[New Delhi]Prez Kovind Advocates Transparency in RTI
President Ram Nath Kovind strongly advocated transparency in governance, saying there is no such thing as “too much information” in a democracy and “information overload” is always preferable to deficit.
Inaugurating the 13th annual convention of the Central Information Commission, the highest appellate authority in RTI matters, the president also made a strong pitch for the declassification procedure and maintenance of archives.
He expressed need for declassification protocols for government and archival documents, and see how we can modernise these,
The president said India has appointed half-a-million public information officers under the RTI Act with the estimated requests for information touching as high as six million requests a year which are astounding numbers.
Right to information is about nurturing the social contract of trust between the citizen and the state – where both must have faith in each other.
Earlier speaking on the occasion, Minister of State in the Prime Minister’s Office Jitendra Singh requested the gathering of information commissioners, activists, information officers and people to find out if “unnecessary RTI applications” can be reduced as much of the information is readily available on government web sites.
The Right to Information Act came into force on October 12, 2005. The first application was filed by Shahid Raza Burney before Pune Police on the same day.

ऐतिहासिक महत्त्व के स्मारकों का संरक्षण कार्य भी संविदा कर्मचारियों के ही भरोसे

[नयी दिल्ली]ऐतिहासिक महत्त्व के स्मारकों का संरक्षण कार्य भी संविदा कर्मचारियों के ही भरोसे
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भी संविदा कर्मचारियों के ही भरोसे चल रहा है
३००० कर्मचारियों की कमी के चलते 2015-16 में 1720 संविदा कर्मचारियों की भर्ती की गयी।यह स्वीकोरोक्ति संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने लोकसभा में की
सरकार ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण [एएसआई]में कर्मचारियों की कमी को स्वीकार किया लेकिन यह भी आश्वासन दिए कि श्रमशक्ति की कमी के चलते ऐतिहासिक महत्व के स्मारकों का संरक्षण कार्य प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।
संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा ने लोकसभा में कलिकेश नारायण सिंहदेव के प्रश्न के उत्तर में स्वीकार किया कि एएसआई में स्वीकृत पदों की संख्या 8,424 है जिसमें केवल 5,501 पद भरे गये हैं।
मंत्री के अनुसार उनके मंत्रालय के अधीन एएसआई समेत समस्त 45 संस्थानों के लिए 15,607 स्वीकृत पदों में 10,284 पद भरे गये हैं। इन सभी संस्थानों में यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाये जाते हैं कि आवश्यक कर्मियों के अभाव में संस्थानों का कामकाज प्रभावित नहीं हो।
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘पर्याप्त श्रमशक्ति के अभाव में राष्ट्रीय महत्व के किसी स्मारक की अनदेखी नहीं की गयी है।’’ उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति, त्यागपत्र और लोगों की मृत्यु आदि कारणों से खाली होने वाले पदों की आवधिक समीक्षा की जाती है और समय समय पर भर्ती एजेंसियों के साथ रिक्तियों को भरने के लिए उचित कार्रवाई की जाती है।
उन्होंने कहा कि संरक्षण कार्य प्रभावित नहीं होने देने के लिए संविदा कर्मियों की भर्ती की जाती है और इस बाबत 2015-16 में 1720 संविदा कर्मचारियों की भर्ती की गयी।गौरतलब हे के अनेकों विभागों में स्थाई पदों के रिक्तियों के स्थान पर संविदा कर्मी रखे गए हैं

दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल के फानूस[chandelier]गिरने की एएसआई ने शुरू की जांच

[आगरा]दुनिया के अजूबों में शुमार ताजमहल के झाड़ फानूस[chandelier] गिरने की एएसआई ने शुरू की जांच
विश्व के सात अजूबों में ताज महल शामिल है |इसके रखरखाव पर बीते वर्षों से ज्यादा खर्चा किये जाने के बावजूद इसके मुख्य प्रवेश द्वार पर लगा ब्रिटिश काल का 60 किलोग्राम वजन का एक झाड़ फानूस हाल में गिर गया|अभी तक उस स्थान पर वैकल्पिक व्यवस्था की घोषणा नही की गई है |
सूत्रों ने बताया कि छह फुट उंचे और चार फुट चौड़े इस झाड़ फानूस को लॉर्ड कर्जन ने भेंट किया था और इसे 1905 में ताज महल के शाही द्वार पर लगाया गया था। एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद भुवन विक्रम के नेतृत्व में जांच शुरू कर दी गई है।
इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है कि झाड़ फानूस किस वजह से गिरा