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मायावती ने नोटबंदी का समर्थन तो किया लेकिन इसे लागू करने पर किया एतराज

[नई दिल्ली]मायावती ने नोटबंदी का समर्थन तो किया लेकिन इसे लागू करने पर किया एतराज बसपा सुप्रीमो मायावती ने नोटबंदी का समर्थन तो किया लेकिन इसे लागू करने पर एतराज किया और पी एम् को इस मुद्दे पर चुनाव करवाने की भी चुनोती दे डाली|नोटबंदी से व्यथित सुश्री मायावती ने आज प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी को चुनाव करवाने की चुनोती दी है | राज्य सभा में चर्चा के दौरान बीच में बोलते हुए मायावती ने कहा के ९०% लोग आज भी बैंकों के बाहर लाइन लगा कर खड़े हैं |मायावती के संबोधन के दौरान प्रधान मंत्री ऊपर से नीचे अपना सर हिलाते देखे गए इससे पूर्व प्रधान मंत्री मोदी ने अपने अप्प पर सर्वे करवाया था जिसमें पांच लाख लोगों ने भाग लिया |जिसमे ९३% लोगों ने नोटबंदी का समर्थन किया है|
फाइल फोटो

माया ने मुलायम को पुत्र मोह त्याग कर राजनीती से सन्यास लेने का उपदेश दिया

MAYAVATI[लखनऊ,यूपी]माया ने मुलायम को पुत्र मोह त्याग कर राजनीती से सन्यास लेने का उपदेश दिया
बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती ने कहा के पुत्र मोह छोड़कर राजनीति से सन्यास ले लें मुलायम
बहुजन समाज पार्टी [बसपा]अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश में अपनी प्रतिद्विन्दी सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी [सपा] में जारी तनातनी को ‘ड्रामेबाजी’ बताते हुए आज कहा कि अगर इसमें सचाई है तो जनता के व्यापक हित में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को पुत्रमोह त्याग कर सक्रिय राजनीति से तुरन्त सन्यास ले लेना चाहिये।
मायावती ने बसपा राज्य मुख्यालय पर वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक में कहा ‘सपा के परिवार के दर्जनों लोग किसी-ना-किसी रूप में राजनीति में शामिल हैं और उन सबके अपने-अपने स्वार्थ हैं।
ऐसे में सपा परिवार की आपसी घमासान, कलह तथा गम्भीर विवादों की समय-समय पर आने वाली खबरें चुनाव के समय जनता का ध्यान बाँटने के लिये ड्रामेबाजी के रूप में होती हैं|
उन्होंने कहा ‘‘फिर भी अगर इसमें सचाई है तो प्रदेश की जनता के व्यापक हित में सपा परिवार के मुखिया मुलायम सिंह यादव को पुत्रमोह त्याग कर सक्रिय राजनीति से तुरन्त सन्यास ले लेना चाहिये।’’
मालूम हो कि विगत कुछ महीनों से गम्भीर मतभेदों से दो-चार मुलायम परिवार का झगड़ा गत 13 सितम्बर को उस समय बढ़ गया था, जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश के मुख्य सचिव दीपक सिंघल को हटा दिया था। सिंघल अखिलेश के चाचा कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव के करीबी समझे जाते हैं।
जैसे को तैसा की तर्ज पर मुलायम ने बेटे अखिलेश से प्रदेश सपा अध्यक्ष का पद छीनकर शिवपाल को दे दिया, लेकिन कुछ ही घंटों में मुख्यमंत्री अखिलेश ने शिवपाल से लोक निर्माण, सिंचाई और सहकारिता जैसे महत्वपूर्ण विभाग ले लिये थे।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने आज स्वीकार किया कि अखिलेश को बताये बगैर प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाना पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व की गलती थी|अखिलेश को हटाने के बजाय त्याग पत्र लेना चाहिए था

नीले ‘हाथी’ से उतरे बसपाई स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनाया भाजपा का केसरिया कमल

BJP[नयी दिल्ली] नीले ‘हाथी’ से उतरे बसपाई स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनाया भाजपाई केसरिया कमल
उत्तर प्रदेश में सत्ता पर काबिज होने के भाजपा के लक्ष्य को आज उस समय पर लग गए जब राज्य के ओबीसी नेता स्वामीप्रसाद मौर्य पार्टी में शामिल हो गए।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में भगवा दल में शामिल हुए चौथी बार के विधायक ने दावा किया है कि यदि उन्हें पार्टी नेतृत्व से भरपूर समर्थन मिलता है तो पार्टी राज्य में मजबूत बहुमत के साथ सत्ता में आएगी।
राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव है।
जून में बसपा छोड़ने से पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे मौर्य ने कहा कि वह कमजोर तबकों को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए कार्य से प्रभावित हैं । उन्होंने बसपा को औद्योगिक घराना बना देने तथा कथित रूप से टिकट बेचने को लेकर पार्टी प्रमुख मायावती की कड़ी आलोचना की।
भाजपा में शामिल होने के उनके फैसले से उनके अगले कदम के बारे में चल रही अटकलों पर विराम लग गया है। दरअसल जब उन्होंने बसपा छोड़ी थी तब चर्चा थी कि वह सपा में जा सकते हैं और बाद में कई अन्य दलों ने भी उनसे संपर्क साधा था।उस समय सपा के काबीना मंत्री आज़म खान मौर्य को हाथ पकड़ कर ले गए थे लेकिन उसके पश्चात् मौर्य ने सपा को गुंडों की पार्टी बता कर सपा से भी किनारा कर लिया था
उन्होंने आज संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैंने उपयुक्त समय पर उपयुक्त फैसला किया।’

बहुजन समाजवादी पार्टी ने अपने पूर्व सांसद बब्बन राजभर को पार्टी से निकाला

[बलिया ,यूपी] बहुजन समाजवादी पार्टी ने अपने पूर्व सांसद बब्बन को पार्टी से निकाला|अनुशासनहीनता के आरोप में बब्बन को छह वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया है|बी एस पी के कोऑर्डिनेटर मदन राम के अनुसार बब्बन के खिलाफ प्राप्त अनुशासनहीनता की शिकायतों को सही पाया गया |बब्बन
१९९९ में सलेमपुर से चुनाव जीत थे २०१४ में कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी लेकिन बाद में बी एस पी में लौट आये थे उन्हें महत्वपूर्ण पद सौंपे गए थे |प्राप्त जानकारी के अनुसार बब्बन १७ अप्रैल को हल्दीरामपुर में राजभर समाज की रैली आयोजित करने जा रहे हैं|बब्बन ने राजभर समाज के लिए भी आरक्षण की मांग की है |सम्भवत इसीकारण उन्हें पार्टी से बाहर किया गया है