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Tag: BJP

मुस्लिम हित में अजीब हवा बहने तो लगी है लेकिन चुनावों के बाद किसी जस्टिस सच्चर कमेटी की रिपोर्ट न आ जाये

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

उत्साहित मुस्लिम वोटर

ओये झल्लेया हुन ते मजा ही आ गया |२०१४ के चुनाव आ रहे हैं और सारे राजनीतिक दलों को हसाड़ी याद आ रही है |हमारी वोटों को बटोरने के लिए तीसरा फ्रंट बनने से पहले ही सम्प्रदायिकता के नाम की उलट बाज़ियाँ खाने लग गया है|यहाँ तक कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर राज नाथ सिंह भी २००२ के दंगों के लिए माफ़ी मांगने को तैयार हो गए हैं |कांग्रेसी कपिल सिब्बल ने तो दिल्ली की शाही ईद गाहके वार्षिक इत्जमा में कमाल ही कर दिया लाखों अकीदतमंदों की मौजूदगी में इमाम साहब के हाथों सम्मान और आशीर्वाद हासिल कर लिया|जुम्मा जुम्मा आठ दिन की”आप”पार्टी ने भी हमारी बिरादरी को खुश करने के लिए नरेंद्र मोदी को गालियां देनी शुरू कर दी हैं| ओये अब तो मुस्लिम वोटरों की हो जानी है बल्ले बल्ले

झल्ला

मेरे भोले भाई मियाँ हसाडे मुल्क में चुनावों के मौसम में मुस्लिम हित में अजीब हवा बहने लगती है लेकिन चुनावों के बाद जस्टिस सच्चर कमेटी की रिपोर्ट कुछ अलग ही नजारा पेश करती दिखाई देती है| झल्लेविचारानुसार शायद ये इसीलिए है क्योंकि हमारे मुल्क में मुस्लिमों को टोपी पहनाना साम्प्रदाइकता नहीं माना जाता बल्कि उनकी टोपी नही पहनना ही साम्प्रदाइकता की निशानी बना दी जाती हैं|

कांग्रेस ने”आप”को मुद्दे दिए अल्पमत के बावजूद सरकार बनवाई बदले में शुकराना देना तो बनता ही है

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

चिढ़ा हुआ भाजपाई

ओये झल्लेया देख तो मुल्क में डेमोक्रेसी का कैसे मजाक उड़ाया जा रहा है| कांग्रेस और “आप” पार्टी में दिल्ली की सत्ता की बंदरबांट का ये कैसा नंगा खेल चल रहा है |पहले तो “आप” पार्टी ने कांग्रेस को गालियां दे दे कर पॉपुलैरिटी हथियाई फिर गालियां खाने वाले आठ कांग्रेसियों के दम पर दिल्ली की सत्ता कब्जाई फिर दिल्ली की विधान सभा में असंवैधानिक जन लोक पाल और अपने गैर कानूनी कानून मंत्री को लेकर दुनिया में अपनी जग हसाई करवाई | अब देख कैसे बेशर्मी से त्याग पत्र देकर दिल्ली की सत्ता को एल जी की प्लेट में कांग्रेस के ही सामने परोस दिया

झल्ला

अरे सेठ जीआप भी तो ३२ के आंकड़े के साथ अल्पमत में हो इसीलिए आपके कोसने से सत्ता का छींका आपजी की झोली में तो गिरने से रहा|आप का तो वोही हाल हुआ किएक अम्बानी की माया मोह में खुदा और विसाले सनम दोनों ही हाथ से निकल गए जहाँ तक बात “आप” वालों की है तो भापा जी कांग्रेस ने इन्हें मुद्दा दिया २८ के आकड़े पर अटके आम आदमी को ख़ास बनने के लिए सरकार बनाने का मौका दिया अब अपने मेंटोर को शुक्राना देना तो बनता है कि नहीं |क्यों ठीक है ना ठीक?

केजरीवाल कौरव और रावण के चक्रव्यूह में घुस तो गए मगर उसे भेदने से पहले “अभिमन्यु” बन कर रह गए

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

आम आदमी पार्टी का दुखी चीयर लीडर

ओये झल्लेया हसाडे नाल तो बड़ा जुलम हो गया ओये इन कौरव+रावण फौजों ने असंबली में चक्रव्यूह रच कर हसाडे सोणे सी एम् अरविन्द केजरीवाल की दिल्ली में ओनली ४९ दिन की सरकार का दी एंड कर दिया|ओये अब तो भ्रष्टाचारियों की पौ बारह हो जानी है

झल्ला

अरे मेरे भोले भापा जी आपजी के केजरीवाल जी तो पड़े लिखे हैं इसीलिए बेशक उन्होंने कांग्रेस और भाजपा के चक्रव्यूह में घुसने की हिम्मत जुटा ली लेकिन उसे भेदने के लिए उसमे घुसना जरूरी होता है और घुसने से पहले उसमे से बाहर निकलने की जुगत लड़ा लेनी चाहिए थीलेकिन आप लोगों ने पौराणिक महाभारत तक ही पढ़ाई करके सीना चौड़ा कर लिया और घुस गए धुरंधरों के व्यूह में |ऐसे में महाभारत में अभिमन्यु का जो हाल हुआ था उसकी पुनरावृति “आप” के लेटेस्ट युद्ध में तो बेहद अवश्यम्भावी थी |

अरविन्द केजरीवाल ने वैलेंटाइन “डे” पर दिल्ली की सत्ता को डाइवोर्स[इस्तीफा]दिया

प्रेम प्रतीक वैलेंटाइन डे पर अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता को डाइवोर्स[इस्तीफा] दे कर दिल्ली विधान सभा को भंग करने की सिफारिश कर दी है|गृह मंत्रालय ने विधान सभा को भंग करने की सिफारिश ठुकरा दी है| आम आदमी पार्टी के अरविन्द [केजरीवाल]ने कांग्रेस के अरविंदर[लवली] से समान दूरी बनाये रखने के लिए अपने इस्तीफे के लिए कांग्रेस और भाजपा को निशाना बनाया और दोनों पार्टियों को उद्योगपति मुकेश अम्बानी की कठपुतली बताया ||
४१ हनुमान रोड पार्टी स्थित कार्यालय से समर्थकों को सम्बोधित करते हुए केजरीवाल ने अपने इस्तीफे की जानकारी देते हुए अपनी ४९ दिवसीय सरकार का रिपोर्ट कार्ड भी प्रस्तुत किया| बीते दिन सदन के माइक तोड़े गए और कागज़ फाड़े गए और आज भी आज सुबह से ही सदन की कार्यवाही बाधित की जाती रही शोर शराबे के कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित की गई| शोर शराबे के बीच सी एम् ने अपना महत्वकांक्षी जन लोक पल बिल सदन के पटल पर रखा लेकिन भाजपा के ३२+कांग्रेस के ८+ निर्दलीय २ विधायकों ने एक जुट होकर “आप” के २७ विधायकों के स्पोर्ट को अल्प मत में साबित करके बिल को गिरा दिया इससे आहत होकर केजरीवाल ने सत्ता की कुर्बानी देकर कांग्रेस और भाजपा को एक्सपोस करने का प्रयास किया |केजरीवाल ने बताया कि संवैधानिक प्रक्रिया की दुहाई देने वाले भाजपाई और कांग्रेस विधायकों ने सदन के माइक तोड़े कागज़ फाड़े और अम्बानी के हितों की रक्षा करने के लिए असंवैधानिक प्रक्रिया अपनाई |
उन्होंने बताया कि मात्र २९ दिन की सरकार में बिजली कंपनियों का आडिट करवा दिया+भ्रष्टाचार कम करवा दिया+पूर्व सी एम् शीला दीक्षित+मुकेश अम्बानी+केंद्रीय मंत्री मोइली आदि के खिलाफ ऍफ़ आई आर दर्ज करवाई|अब जन लोक पाल भी प्रस्तुत कियाजिसे कांग्रेस और भाजपा ने मिल कर गिरा दिया |
आज सुबह एक विज्ञप्ति जारी करके “आप” पार्टी ने प्यार के त्यौहार वैलेंटाइन डे पर प्यार बांटा लेकिन शाम होते होते अरविन्द और अरविंदर के बीच ४९ दिनों की प्रेम पींगे टूट गई | कांग्रेस और भाजपा एक पाले में दिखाई देने लगे | “आप” के नेता योगेन्द्र यादव ने इसे बड़े प्रयोग की शुरुआत बताया

देवेन्द्र नागपाल ने सपा ज्वाइन करते ही पार्टी को मजबूती और पंजाबी समाज को पहचान दिलाने का संकल्प लिया

अमरोहा से सांसद देवेन्द्र नागपाल ने सत्ता रुड सामज वादी पार्टी ज्वाइन करके पार्टी को मजबूती और पंजाबी समाज को विशेष पहचान दिलाने के लिएसमर्पित भाव से प्रयास कयाने की घोषणा की है|अमरोहा से २००९ में रालोद के टिकट पर चुनाव जीत कर आये देवेन्द्र नागपाल ने यधपि रालोद पार्टी छोड़ दी है और लगभग दो वर्ष पूर्व ही २०१४ में १६ वी लोक सभा का चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की हुई है इसके उपरान्त भी उन्होंने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की है और अब प्रदेश भर में समाजवादी के लिए कार्य करने की घोषणा की है नागपाल ने कहा है कि अब पंजाबी समाज को राजनीती में नई पहचान दिलाने और पंजाबी समाज के उत्थान के लिए भी समर्पित भाव से कार्य करेंगे |देवेन्द्र नागपाल ने अपना राजनितिक और सामाजिक जीवन २००० से शुरू किया था २००५ तक जिला पंचायत के सदस्य रहे|उसके पश्चात २००७ तक उत्तर प्रदेश की लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य बने |२००९ में सांसद बने | इंडस्ट्री+पेटिशंस कमेटी के सदस्य भी हैं |अमरोहा की इस सीट पर उनसे पहले उनके भाई हरीश नागपाल ने २००४ में बतौर निर्दलीय चुनाव जीता था|यहाँ नागपाल बंधुओं का विशेष प्रभाव है ऐसे में रालोद+भाजपा +कांग्रेस का समाजवादी पार्टी से कडा मुकाबिला होगा| शायद यही कारण है कि अभी तक रालोद की वेबसाइट पर से रालोद के संसद के रूप में नागपाल का नाम हटाया नहीं गया है विकिपीडिआ को भी अप्डेट नहीं किया गया है | बताते चलें कि कभी यह छेत्र कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था १९५२+१९५७+१९६२के पश्चात १९८४+में कांग्रेस ने जीत दर्ज की|इसके पश्चात १९६७+१९७१ में कम्युनिस्ट पार्टी का कब्ज़ा रहा |जनता पार्टी के उदय से १९७७ और १९८० में यह सीट जनता पार्टी के खाते में चली गई|१९८९ में जनता दल आ गया |भारतीय जनता दल के क्रिकेटर चेतन चौहान ने १९९१ और १९९८ में ऑफ स्पिन बोलिंग और धुआंधार बैटिंग से भाजपा का खाता खोला|समाजवादी पार्टी [१९९६]और १९९९ में बहुजन समाज वादी पार्टी के टिकट से रशीद अल्वी भी जीते

बिहार में राजनीतिक रैलियों के लिए मैदान का आवंटन नितीश कुमार के लिए सर दर्द बना

[पटना]रैलियों के लिए मैदान का आवंटन नितीश कुमार के लिए सर दर्द बनता जा रहा है ज्यूँ ज्यूँ १६ वी लोक सभा के लिए चुनाव निकट आ रहे हैं वैसे ही रैलियों के लिए मैदान की मांग भी बढ़ रही हैपिछले दिनों मुख्य मंत्री पर रैली ग्राउंड आवंटन में भेद भाव के आरोप भी लगे थे |मुजफ्फर पुर में भाजपा और राजद के द्वारा एक ही मैदान के लिए आरक्षण कि मांग की गई हैइसी से जुड़े प्रश्न के उत्तर में सी एम् ने प्रेस कांफ्रेंस में यह स्पष्टिकरण दिया
सम्भवत इसीलिए अपनी स्थिति सपष्ट करते हुए बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार ने समानता के सिद्धांत के प्रति वचनबद्धता को दोहराया है
मुख्य मंत्री नितीश कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस में यह सपष्ट किया कि किसी भी मैदान का आवंटन मुख्य मंत्री के स्तर से नही किया जाता|
यह कार्य जिला प्रशासन द्वारा किया जाता है|जिसका आवेदन पहले आयेगा उसे ही पहले आरक्षण मिलेगा |यहाँ पर समानता का सिद्धांत है जिसका पालन सभी अधिकारी करेंगे |

अरविन्द केजरीवाल के झाड़ू की सीखें बिखेरने के लिए भाजपा और कांग्रेस दुबले हो रहे हैं

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

आम परेशान

ओये झल्लेया ये दिल्ली में क्या भसूड़ी पै गई|आम आदमी पार्टी की जुम्मा जुम्मा एक महीने की सरकार को पालने में ही खत्म करने की साजिश रची जाने लगी है |एक तरफ “आप” के जन लोक पाल बिल को रोकने के लिए भाजपा और कांग्रेस तमाम तरह के कानूनी अडंगे लगा रहे हैं तो दूसरी तरफ बिन्नी+शौकीन+शोएब इकबाल ++जैसी सीखों को अलग करके एक नया झाड़ू बनाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है सरकार को माइनॉरिटी में लाने की कंस्प्रेसी हो रही है |२८ में से अब ओनली २७ विधायक ही रह गए हैं |ऐसा चलता रहा तो आप का झाड़ू बिखर जायेगा
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही २०१४ के चुनावों में फेस सेविंग की फिक्र में दुबले हुए जा रहे हैं इस सबको देख कर अब यह चिंता सताने लगी है कि कही जन लोक पाल के मुद्दे को लेकर ये अरविन्द केजरीवाल सरकार ही छोड़ दे अगर ऐसा हो गया तो समझो पांच सालों के लिए गई भैंस फिर से पानी में

झल्ला

अरे भाई जान ये सत्ता का नशा है जब चढ़ता है तो नाचता है और जब उतरता है तो नचाता है |और इसी नशे के नशेड़ी कभी कभी नए नशे के चक्कर में छछूंदर सरीखे मुह में रख लेते हैं और ये तो आप भी जानते हो कि छछूंधर बड़े से बड़े विषधर की भी ऎसी की तैसी कर देता है

Kapil Sibal Opened Barrage Fire On Political Opponents For Victimizing Communal Violence Bill

Kapil Sibal ,Today,Opened Barrage Fire On Political Opponents For Victimizing The Communal Violence Bill
Law Minister In His Blog Said”My attempts to present the Communal Violence Bill for discussion and vote in the Rajya Sabha, were met with a series of allegations and counter-positions taken by the Opposition. What’s more, a statement of mine was taken out of context and attached to other issues, creating another diversion in the Upper House.Unfortunately, the barrage of noise forced the Hon’ble Speaker to defer the Bill. Leaving us, and the nation, in the lurch once again”
Congress Senior Leader Sibal Targeted Leader of the Opposition, Arun Jaitley and said” Leader of the Opposition, shri Arun Jaitley was quick to post his views opposing the Bill on his website later that afternoon. I am glad he did. Because we can now address the issue, point to point, and hope to take it up in a more Parliamentary manner, at a later date.
Here are my thoughts on the matter:
Minister Said “The Bill, however, enables the National Human Rights Commission to investigate what are defined as “Scheduled” offences only and only if State Governments give their concurrence. In any event, the Central Government has no role to play in such investigations.This country has witnessed the targeting of sections of society professing one religion or another. This country has witnessed State Governments unwilling to investigate offences committed during the course of such targeting. In fact, many courts, including the Supreme Court, have been constrained to comment that state investigating agencies have not only been laggard, but have willingly mis-directed their investigations to benefit the real accused.”
While Arguing Jaitely Sibal Said “The objection of the Leader of Opposition that Parliament lacks legislative competence to introduce Prevention of Communal Violence (Access to Justice and Reparations) Bill, 2014 is without substance.If the logic of the Leader of the Opposition were to be accepted then the Delhi Special Police Establishment Act, 1946 is also unconstitutional since it permits investigation of offences and classes of offences by the CBI with the consent of the State Government.

आर्थिक आधारित आरक्षण के सुझाव को बेशक रद्दी की टोकरी नसीब हुई मगर इसकी जड़ों की तलाश शुरू हो गई है

जाति आधारित आरक्षण के स्थान पर आर्थिक आधार बनाने के लिए कांग्रेस के महा सचिव जनार्दन द्विवेदी के सुझाव को पार्टी के चुनावी मेनिफेस्टो में शामिल करने के बजाय कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने उसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया है लेकिन इस मुद्दे को लेकर आरक्षण के बल पर राजनीती करने वालों ने इस रिजेक्टेड सुझाव की संसद के बाहर और भीतर आलोचना करनी शुरू कर दी है |एक पत्रकारों का धड़ा इस सुझाव पर भाजपा के पी एम् प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को घेरने में लग गया है | यह भी कहा जा रहा है कि चुनावों के मध्य नजर इस मुद्दे को उठाया जा रहा है |
अब ऊपरी तौर से दिख रहा है कि सूत या कपास के बिना ही लट्ठम लठ चल रहा है मगर इस सुझाव की जड़ों की खुदाई तो शुरू हो ही गई है|
चुनावो से ठीक पहले यह मुद्दा उछालना किसी भी तरह से किसी की भी निजी राय नहीं हो सकती और जनार्दन द्विवेदी सरीखे भरोसे मंद +गम्भीर और वरिष्ठ नेता से मजाक की भी उम्मीद नहीं की जा सकती तब ऐसा क्या कारण है कि मुद्दे को उछाला गया |जिस प्रकार से श्री मति सोनिए गांधी ने आगे आकर सामाजिक न्याय के नाम पर आरक्षण की वकालत करते हुए इस दिशा में और अधिक काम का आश्वासन दिया है उससे लगता है कि अपने पुराने और अब दूर छिटक चुके वोट बैंक [आरक्षण के लाभार्थियों] को बसपा+ सपा से काट कर कांग्रेस की तरफ मोड़ना एक कारण हो सकता है इसके अलावा इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कवायद भी दिखाई दे रही है जिस तरह से आर्थिक आधार पर आरक्षण के विषय में भाजपा से राय पूछी जा रही है उससे यह भी दिखता है कि चुनावों के मध्यनजर भाजपा से आर्थिक आधार पर आरक्षण पर राय लेकर भाजपा से आरक्षण के लाभार्थी जातियों के वोट काटे जा सके
अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने अपने कांग्रेस महासचिव के इस सुझाव को सिरे से खारिज कर दिया है।अपने सबसे करीबी माने जाने वाले नेता की दलीलों को खारिज करते हुए सोनिया ने अनुसूचित जाति+ जनजाति + पिछड़े वर्गो को आरक्षण का श्रेय कांग्रेस को देते हुए इसे आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई।
संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रही सपा के रामगोपाल यादव+बसपा प्रमुख मायावती ने संसद के भीतर इसे लेकर हंगामा किया |प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने इसके समय को लेकर सवाल खड़ा कर दिया।
राज्यसभा में बसपा ने कांग्रेस से स्थिति साफ करने की मांग की और सपा ने केंद्र सरकार पर सामाजिक न्याय से भागने का आरोप लगा दिया।
कांग्रेस के भीतर पीएल पुनिया +अजीत जोगी जैसे दलित और पिछड़े नेताओं ने जनार्दन द्विवेदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
इस सबसे बचने के लिए सोनिया गांधी ने अपने बयान में साफ कर दिया कि कांग्रेस शुरू से अनुसूचित जातियों+ जनजातियों + पिछड़े वर्गो के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध रही है और आगे भी रहेगी।
श्रीमती सोनियागांधी ने सांत्वना देते हुए बताया कि कांग्रेस ने ही 1950 के दशक में अनुसूचित जातियों +जनजातियों को सरकारी नौकरियों व शिक्षा संस्थाओं के साथ-साथ संसद और विधानसभाओं में आरक्षण सुनिश्चित कराया था।
पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षण भले ही वीपी सिंह की सरकार ने लागू किया हो मगर श्रीमती सोनिया गांधी ने इसका श्रेय भी कांग्रेस को ही दिया। उनके अनुसार अनुसूचित जाति+ जनजाति + पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षण की प्रणाली पर कांग्रेस के रुख में कोई शक नहीं है।
उन्होंने निजी क्षेत्र में अनुसूचित जाति और जनजाति की भागीदारी बढ़ाने के लिए संप्रग सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की भी जानकारी दी। उन्होंने याद दिलाया कि संप्रग सरकार ने इन वर्गो के छात्रों के लिए विशेष छात्रवृति की शुरुआत की थी, जिसका लाभ हर महीने एक करोड़ से अधिक छात्र उठा रहे हैं। एक कदम आगे बढ़ते हुए सोनिया ने अनुसूचित जाति और जनजाति का विकास सुनिश्चित करने के लिए अलग से बजट आवंटित करने के प्रति भी प्रतिबद्धता जताई है ।

नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल फतह करने के लिए ट्रिपल बेनेफिट पॅकेज का ऑफर दिया

नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल फतह करने के लिए ट्रिपल बेनेफिट पॅकेज का ऑफर दिया |
कोलकत्ता के ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड मैदान में आज [बुधवार] को जनचेतना रैली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी व गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ग्राउंड में उमड़े जनसमूह को देखकर अभिभूत हो गए।मोदी ने कहा कि आप केंद्र में भाजपा को वोट देंगे तो आपको तीन फायदें होंगे। [१]राज्य में ममता बनर्जी हैं,
[2 केंद्र में मैं मौजूद रहूंगा और
[३] राष्ट्रपत‌ि प्रणव दा हैं ही मोदी ने नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के नारे के स्टाइल में कहा कि तुम मुझे सहयोग करो में तुम्हें सुराज दूंगा |
मोदी ने वेस्ट बंगाल कि जनता के साथ सीधा संवाद कायम करते हुए कहा कि बंगाल के लोगों ने भारत को आधुनिक बनाने में काफी योगदान दिया है।
बंगाल राष्ट्रगुरु था तो भारत विश्वगुरु था। बंगाल को फिर से राष्ट्रगुरु बनाना है।दुर्भाग्य से 60 फीसद स्कूलों में शौचालय नहीं है। बिजली के कारखाने बंद पड़े हैं। मोदी ने कहा कि देश के पूर्वी इलाकों में विकास क्यों नहीं हुआ। देश के पश्चिमी इलाकों में थर्ड फ्रंट नहीं होने के कारण विकास हुआ है। थर्ड फ्रंट का इरादा देश को थर्ड रेट बनाने का है|
तीन दशक तक राज करने वाली थर्ड फ्रंट की सहयोगी लेफ्ट पार्टियों ने इसे बहुत पीछे धकेल दिया | पोरिवर्तन के लिए [परिवर्तन] ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को लाया गया लेकिन विकास नहीं हुआ |उन्होंने कहा कि दिल्ली में बैठक कर रहे तीसरे फ्रंट के लोग हेलीकाप्टर से इस जनसैलाब को देखें। भीड़ को देख कर हवा का रुख पता चलता है।
लोक सभा के लिए इन चुनावों में सभी सीटें भाजपा को जिताकर देखो। भाजपा की सरकार बंगाल की भलाई करेगी। हम विकास के काम का हिसाब देंगे
उन्होंने कहा कि सिर्फ ममता सरकार से बंगाल का भला नहीं होगा।
मोदी नेकांग्रेस की बंगाल विरोधी मानसिकता पर कुठाराघात करते हुए कहा कि 2004 में प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता थे। फिर भी उन्हें गांधी परिवार ने प्रधानमंत्री नहीं बनाया। प्रणब की जगह मनमोहन को क्यों पीएम बनाया गया। राजीव गांधी की सरकार में भी उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया था।
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