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‘बोरी’ व्हिच दूने ते “ट्रंक” व्हिच तीनै लेकिन सारे रह गए अद्धे जी

jamos[नई दिल्ली]मन व्हिच दूने ते मन व्हिच तीनै लेकिन मन व्हिच रह गए अद्धे
बचपन में बुजुर्ग एक कहावत सुनाते थे ।
नोटबंदी पीड़ितों की व्यथा देख+सुन कर वह कहावत आज कल बहुत याद आ रही है
मन व्हिच दूने ते मन व्हिच तीनै
मन व्हिच रह गए अद्धे
अक्लमंद,जिस वेच पल्ले नाल बद्धे
लेकिन यह कहावत इस प्रकार चरित्राथ हुई है
बोरी व्हिच दूने ते ट्रंक व्हिच तीनै लेकिन सारे रह गए अद्धे जी
इसके साथ एक और कहावत आजकल सुनाई दे रही है जो पीड़ित राजनीतिको को सांत्वना दे सकती है
अब पछताए क्या होत है
जब चिड़िया चुग गई खेत
लाखों का बैंक बैलेंस काम नहीं आ रहा
करोड़ों की करेंसी रद्दी हो गई
अरबों रुपयों की संपत्ति धरी की धरी रह गई
अख़बार+टीवी चैनल और यहां तक के राजनितिक भी केवल रेहड़ी+पटरी+खोमचे वालों पर ही फोकस किये हुए हैं|
अरे भाई मॉल संस्कृति भी इसी देश का हिस्सा है वहां भी व्यापर होता है +वहां भी लाखों लोगों का रोजगार जुड़ा है
लेकिन क्या मजाल है के किसी भी चेंनल ने मॉल में बंद खड़े ऐ टी एम्+सुनसान फिल्म हाल +खाली फूडकॉर्नर+रुहांसे दुकानदार पर नजर दौड़ाई हो|चौबीसों घंटे गरीब गरीब की दुहाई देते फिर रहे हैं |कभी कभी खबरों पर भी हंसी आती है
कथित राष्ट्रिय अख़बार की आज की एक खबर के अनुसार पटरी वाले +रेहड़ी वाले+रिक्शे वाले ऍन सी आर छोड़ कर अपने अपने गावँ लौट रहे हैं इस अख़बार के अनुसार २०% मजदूर तबका जा भी चूका है|
राज्यों में अव्यवस्थाओं के फलस्वरूप मेहनतकश का पलायन इसपर हमारी भी सहानुभूति है लेकिन इसके साथ ही यह सुन कर सभी चौंक जायेंगे के अखबारनवीस के अनुसार एक मेहनत कश को प्रतिदिन एक हजार रुपये का नुकसान हो रहा है |
प्रतिदिन एक हजार का अर्थ है ३० हजार रुपये प्रति माह और साल में साढ़े तीन लाख रुपये उसके बावजूद वोह गरीब है |सहानुभूति का अधिकारी है +सब्सिडी का हक़दार है | रेडियों से+ठेलों से +पटरियों से ट्रैफिक बाधित करने का पात्र है| इसके इतर मा+बाप की गाड़े की कमाई+अपना बचपन और जवानी शिक्षण संस्थाओं में खपाने वाला अगर ढाई लाख रुपये पा जाता है तो उसे सारे टैक्स देने ही होंगें |