केंद्र सरकार खेती में घातक तम्बाकू के बेहतर व्यवहार्य विकल्प पर विचार करने को राजी हो गई है |वैसे आम बजट में तम्बाकू प्रोडक्ट्स पर मोदी सरकार ने टैक्स बढ़ा कर संयुक्त राष्ट्र के आह्वाहन को समर्थन दे दिया था अब यूनियन हेल्थ मिनिस्टर डॉ हर्षवर्धन ने तम्बाकू से मुक्ति के उपायों पर चर्चा करना स्वीकार कर लिया है| डा. हर्षवर्द्धन ने कहा है कि इस विषय में स्वास्थ्य मंत्रालय अनुसंधान के निष्कर्ष साझा करने के लिए तैयार है |
स्वास्थ्य मंत्रालय प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा किए गए अनुसंधान के उन निष्कर्षों को सरकार और सभी सम्बद्ध पक्षों के साथ साझा करने को तैयार है जिनके अनुसार यह साफ तौर पर सिद्ध हो चुका है कि किसानों को तम्बाकू की खेती के व्यवहार्य विकल्प प्रदान किए जा सकते हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा हर्ष वर्धन ने कहा कि यह धारणा गलत है कि यदि सरकार लोगो की तम्बाकू सेवन की लत छुड़वाने में कामयाब हो गई तो तम्बाकू की खेती करने वाले क्षेत्रों में किसान गरीब हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत हमारे पास ऐसे साक्ष्य हैं कि यदि उन्हें साहूकारों के चंगुल से छुटकारा दिला दिया जाये तो उनकी आमदनी बढ़ सकती है।
उन्होंने कहा कि तम्बाकू उत्पादों पर शुल्क बढ़ने से सरकारी खजाने में महत्वपूर्ण इजाफा होगा लेकिन तम्बाकू के सेवन से होने वाली कैंसर और टीबी जैसी जान लेवा बीमारियों की लागत उससे कहीं अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार भारत में धुंए वाले तम्बाकू से होने वाली बीमारियों के उपचार की प्रत्यक्ष लागत 90.7 करोड़ अमरीकी डालर और बिना धुंए वाले तम्बाकू के उपचार की लागत 28.5 करोड़ अमरीकी डालर आती है।
फोटो कैप्शन
[फाइल]विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर एन सी सी की रैली में डॉ हर्षवर्धन
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