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पी एम ने आतंकवाद के खात्मे के लिए स्‍वामी विवेकानंद के विश्‍व बंधुत्‍व के संदेश का स्‍मरण कराया

भारत के प्रधान मंत्री ने आतंकवाद के खात्मे के लिए स्‍वामी विवेकानंद के विश्‍व बंधुत्‍व के संदेश का स्‍मरण कराया |
भारत के १५ वें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व में आतंकवाद के खात्मे के लिए स्‍वामी विवेकानंद द्वारा १२१ वर्ष पूर्व दिए विश्‍व बंधुत्‍व के संदेश का स्‍मरण कराया |
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा” अगर हमने स्‍वामी विवेकानंद जी के संदेश का अनुसरण किया होता, तो इतिहास में वैसी कायरतापूर्ण घटना कभी घटित नहीं होती जैसी 11 सितंबर, 2001 में आतंकी हमले में दिखाई दी थी”
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने आज स्‍वामी विवेकानंद के विश्‍व बंधुत्‍व के संदेश की याद दिलायी है।
आज ही के दिन 11 सितंबर, 1893 को स्‍वामी जी ने शिकागो में विश्‍व सर्वधर्म सम्‍मेलन में सबको चकित कर देने वाला भाषण दिया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘’स्‍वामी विवेकानंद ने अपने संबोधन के जरिए दुनिया भर का ध्‍यान हमारे राष्‍ट्र के समृद्ध इतिहास और गहरी सांस्‍कृतिक नींव की ओर आकर्षित किया था।

Swami [Rock]Viveka Nand

Swami [Rock]Viveka Nand

‘अमरीका के भाइयों और बहनों’ …, इन शब्‍दों के साथ स्‍वामी वि‍वेकानंद ने भारत का विश्‍व बंधुत्‍व का संदेश दुनिया तक पहुंचाया और सारे संसार में उसकी गूंज सुनायी दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 11 सितंबर की दो छवियां हैं – एक तो 2001 में ध्‍वंस के निशान और दूसरी १२१ वर्ष पूर्व 1893 में स्‍वामी विवेकानंद का शिकागो में संदेश। अगर हमने स्‍वामी जी के संदेश का अनुसरण किया होता, तो इतिहास में वैसी कायरतापूर्ण घटना कभी घटित नहीं होती जैसी 11 सितंबर, 2001 में अमरीका में दिखाई पड़ी थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आइये हम सब स्‍वामी विवेकानंद के शब्‍दों स्‍मरण करे और उनके एकता, विश्‍व बंधुत्‍व और शांति संदेश के प्रसार के लिए काम करें।
World Trade Centre Attack On 9/11

World Trade Centre Attack On 9/11


प्रधानमंत्री ने स्‍वामी विवेकानंद के जिस भाषण का जिक्र किया है वह निम्‍नलिखित लिंक पर उपलब्‍ध है:-
http://www.belurmath.org/swamivivekananda_works.htm

शिकागो एयर पोर्ट पर अनावश्यक वनस्पति को अब बकरियों से चरवाया[GRAZING] जाएगा

शिकागो के उड्डयन विभाग[CDA ]द्वारा ओ हारे [OHARE]इंटरनॅशनल एयर पोर्ट के लिए सेंट्रल कोम्मिस्सरी होल्डिंग्स [CentralCommissaryHoldings]को ग्रेज़िंग[घास चराने ] सर्विसेज [GrazingServices]के लिए 100000 $ के क्षति पूर्ती का ठेका दिया गया है|इसका पायलट प्रोग्राम ऋतू राज बसंत[Spring ] से शुरू होगा|छेत्र को मेन्टेन करने के लिए इसे सस्ता और टकाऊ प्रयास बताया जा रहा है|
शिकागो के मीडिया विभाग द्वारा ८ मई को जारी विज्ञप्ति के अनुसार ऋतू राज में पर्याप्त चारा होने पर एयर पोर्ट के लगभग १२० एकड़ भूमि में चराने के लिए २५ बकरी[Goats]या भेड़ों की व्यवस्था की जानी है|यह एरिया एयर फील्ड से अलग बताय गया है| संकरी खाड़ी + पानी के एकट्ठ या सड़क के किनारों पर वनस्पतिक पेड पौधों की भरमार हो जाती हैइसके रख रखाव के लिए पारंपरिक व्यवस्था को लागू करना कठिन होजाता है| और महँगा भी साबित होता है इसीलिए यह चरवाहे की व्यवस्था की गई है|सी डी ऐ के अनुसार ये सारे पशु और चरवाहों के पर्यावेक्षण [ Supervision ] एयर पोर्ट के नियमो के अनुसार ही होगा|
सी डी ऐ की कमिशनर रोसेमरी एस अंदोलिनो [ RosemarieSAndolino ]ने भूमंडल और मानवीय आवश्यकताओं के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए इस चरवाहे की यौजना को बहुपयोगी बताया है|कमिशनर के अनुसार [१]यह आर्थिक रूप से लाभकारी होगा[२]व्यवहारिक होगा[३]पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित होगा|

एकांत वास में रहने वाले बुजुर्ग भी आधुनिक तकनीक अपना कर अपनी देखभाल स्वयम कर सकते हैं:प्रो. एच आर सिंह

[शिकागो]एकांत वास में रहने वाले बुजुर्ग भी आधुनिक तकनीक अपना कर अपनी देखभाल स्वयम कर सकते हैं|इसके लिए भारतीय प्रो.एच आर सिंह ने रिमोट पेशेंट मोनिटरिंग डिवाईस नाम से एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है|इसे विशेष रूप से हृदय रोगियों के लिए लाभ कारी माना जा रहा है|
राधा गोबिंद इंजनियरिंग कालेज[मेरठ] के प्रो.एच आर सिंह ने अमेरिका के शिकागो में आयोजित थर्ड क्लिनिकल एवं एक्सपेरिमेंटल कार्डियालोजी सम्मलेन में अपने शोध को पड़ते हुए बताया कि वर्तमान में भारतीय प्रतिभाएं भविष्य सुधारने के लिए विदेशों का रुख कर रहे हैं |इसमें पैसा तो ढेरो आ रहा है लेकिन नेटिव प्लेस में उनके बुजुर्गों के लिए आवश्यक सहायता का अभाव होने लगता है|ऐसे में उन्हें संकट की किसी भी घडी में चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए टेक्नोलोजी को विकसित किया गया है|इसका प्रयोग करने सेददोर बैठा डाक्टर स्वयम मरीज के रोग के विषय में जानकारी प्राप्त कर लेता है और उसका समय पर इलाज संभव होपाता है|१५ से १७ अप्रैल को आयोजित इस सम्मलेन में विश्व के १० वैज्ञानिक और डाक्टरों ने भाग लिया जबकि भारत से एक मात्र प्रो. एच आर सिंह को ही आमंत्रित किया गयाथा |