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बाल देखभाल संस्थानों के पंजीकरण की अनिवार्यता के लिए केंद्र ने कठोरता से निबटने के संकेत दिए

[नई दिल्ली]बाल देखभाल संस्थानों के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने के लिए केंद्र सरकार ने डिफाल्टर संस्थाओं से कठोरता से निबटने के संकेत दिए | बाल देखभाल संस्थानों के लिए अनिवार्य रूप से पंजीकरण करवाने और इसका अनुपालन न होने पर कठोर दंड दिए जाने का प्रावधान है। इस विधेयक में एक साल तक का कारावास और कम से कम एक लाख रुपए का जुर्माना या दोनों सज़ाएं देने का प्रस्ताव है|यह जानकारी केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी ने में एक प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा के पटल पर रखी |
श्रीमती मेनका संजय गांधी ने बताया कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000 के अधीन बाल गृहों, आश्रय घरों आदि सहित ऐसे बाल देखभाल संस्थानों के लिए जहां बच्चों की आवासीय देखभाल सुविधाएं हैं, पंजीकरण का प्रावधान है। इस अधिनियम के अधीन पंजीकृत 1389 बाल देखभाल संस्थान हैं, जो एकीकृत बाल संरक्षण योजना (आईसीपीएस) के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त कर रहे हैं। सरकार को यह पता है कि अनेक आवासीय देखभाल सुविधाओं में इसका अनुपालन नहीं हो रहा है और उन्हें दंडित नहीं किया जा रहा है, क्योंकि किशोर न्याय अधिनियम में 6 महीने की अवधि के अंदर पंजीकरण न कराने पर कोई दंड देने का प्रावधान नहीं है। इस अधिनियम के तहत छह महीने की अवधि के अंदर संस्थान का पंजीकरण होना चाहिए।
इसीलिए सरकार ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2014 संसद में पेश किया है, जिसमें अधिनियम लागू होने की तिथि से छह महीने के अंदर पंजीकरण को अनिवार्य बनाया गया है
फाइल फोटो