नई आव्रजन नीति क्या भारत पर अमेरिकी दबाब की राजनीती है?भारतीय वित्त मंत्री पी चिन्द्रम +वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा रतन टाटा आदि ने आज कल अमेरिका में डेरा डाला हुआ है।
इन्होने बेहद आशावान होकर अपने काउंटर पार्ट्स से मांग की है कि इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी और हाइली स्किल्ड प्रोफेशनल को नई आव्रजन नीति से अलग रखा जाये वर्ना इससे भारतीय प्रतिभाओं को हानि होगी ।
इसके ठीक विरुद्ध अमेरिका के प्रेजिडेंट बराक ओबामा ने आज फिर कांग्रेस से आग्रह किया है कि उनकी नई महत्त्व कांक्षी आव्रजन नीति को तत्काल मंजूरी दे दी जाये ताकि इसे कानून की शक्ल दी जा सके ।
अमेरिकन व्हाईट हाउस और भारतीय सूचना विभाग द्वारा जारी दो प्रेस रिलीज इस प्रकार निम्न है :
अपने साप्ताहिक संबोधन में बराक ओबामा ने कहा कि दो सप्ताह पूर्व द्विदलीय सीनेट ने बड़ी संख्या में अप्रवासन नीति[ commonsense imm igration reform, ] को मजूरी देकर इसे कांग्रेस को भेजा थाi इस नीति से देश की आर्थिक स्थिति +सामाजिक सुरक्षा में सुधर तो आयेगा ही इसके साथ ही अप्रवासन कानून को हमारे सिद्धांतों के अनुरूप आधुनिक जामा पहनाया जा सकेगा| इसीलिए ब्रोकन अप्रवासन नीति के सुधारों के लिए कांग्रेस को भी अब तत्काल अपनी मंजूरी दे देनी चाहिए| यह अमेरिका के उज्जवल भविष्य के लिए जरुरी भी है|
उन्होंने बताया कि अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले अप्रवासियों की संख्या ११ मिलियन पर पहुँच गई है|इन्हें राष्ट्र की मुख्य धारा में लाने से चौमुखी विकास होगा| राष्टपति ने बीते दिनों जारी एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यदि सीनेट का यह प्लान कानून बन जाता है तो देश कि इकोनोमी में ५% की वृद्धि होगी और मात्र दो दशकों में ही १.४ ट्रिलियन डॉलर्स की अतिरिक्त आय होगी |उन्होंने स्मरण करते हुए कहा कि अमेरिका हमेशा से ही आप्रवासियों का देश रहा है| इन सब ने मिल कर अमेरिका को विश्व का सिरमौर देश बनाया है लेकिन वर्तमान में ऐसी अनेको प्रतिभाओं को राष्ट्र की मुख्य धारा से दूर रखा जा रहा है|इन्हें कानूनी अधिकार देने से ये लोग भी देश के विकास में यौग्दान दे सकेंगे|उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि जब पूर्व प्रेजिडेंट बुश और वोह[बराक ओबामा ] इस मसले पर सहमत हो सकते हैं तब कांग्रेस के डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स को एक जुट होकर राष्ट्र हित में अप्रवासन बिल को मंजूरी दे देनी चाहिए ताकि इसे कानून बनाने के लिए उन्हें [ओबामा]को हस्ताक्षर करने का सुअवसर मिल सके|
[२]भारत के केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री से प्रस्तावित अमरीकी आव्रजन कानून के प्रतिबंधात्मक प्रावधानों पर चिंता प्रकट कीहै
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री शर्मा ने बीते दिन अमरीका की वाणिज्य मंत्री से वाशिंगटन में मुलाकात की। श्री शर्मा ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री सुश्री पैनी प्रित्ज्कर[ Ms. Penny Pritzker] को अमरीकी वाणिज्य मंत्री नियुक्त होने के लिए बधाई दी। इस बैठक के दौरान श्री आनंद ने सुश्री प्रित्ज्कर से कहा कि प्रौद्योगिकीय सेवाएं देने वाले अत्यधिक प्रशिक्षित प्रोफेशनल को आव्रजक नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने अमरीकी कांग्रेस में फिलहाल विचाराधीन अमरीकी आव्रजन कानून में कुशल प्रोफेशनल के आवागमन पर प्रतिबंधात्मक प्रावधान शामिल करने संबंधी भारतीय आईटी उद्योग की चिंताएं प्रकट की।
श्री शर्मा ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री को भारत की पेटेंट व्यवस्था की भी जानकारी दी जो पूरी तरह टीआरआइपीएस के अनुकूल कानून पर आधारित है तथा उसे लागू करने की ठोस व्यवस्था है।
श्री शर्मा ने विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर उदार रवैया अपनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने भारत-अमरीकी व्यापार एवं आर्थिक सहयोग में वृद्धि के परिप्रेक्ष्य में इन मुद्दों पर विचार करने पर बल दिया।
श्री शर्मा ने भारतीय राष्ट्रीय विनिर्माण नीति में अमरीकी कारोबारियों के लिए अवसरों की भी जानकारी दी। उन्होंने अमरीकी वाणिज्य मंत्री से कहा कि भारत ने राष्ट्रीय निवेश एवं विनिर्माण के 13 क्षेत्रों की स्थापना को मंजूरी दे दी है जिनमें से आठ को दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे के पास अनुमोदित किया गया है।
श्री शर्मा और अमरीकी वाणिज्य मंत्री ने दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय संवाद बनाए रखने पर भी सहमति प्रकट की। सुश्री प्रित्ज्कर ने भारत आने का श्री शर्मा का निमंत्रण भी स्वीकार कर लिया।श्री शर्मा ने वॉलमार्ट एशिया के सीइओ श्री स्कॉट प्राइस से भी मुलाकात की तथा मल्टी-ब्रैंड खुदरा व्यापार संबंधी विभिन्न
मुद्दों पर चर्चा की। श्री शर्मा ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी के लिए अमेज़न डॉट कॉम के उपाध्यक्ष श्री पॉल मिजेनर से भी मिले तथा ई-कॉमर्स सेंबंधी मुद्दों पर चर्चा की
उपरोक्त के मध्य नजर अब सवाल यह उठाया जा रहा है कि बेशक अमेरिका द्वारा अपने हित में यह कार्यवाही की जा रही हैइससे वहां मात्र दो दशकों में ही १.४ ट्रिलियन डालर की अतिरिक्त आय होगी अवैध अप्रवासी मुख्य धारा में आ जायेंगे लेकिन इसके साथ ही भारत की प्रतिभाओं को वहां अप्रवासी की तरह ट्रीट किया जाएगा, जिसके फलस्वरूप भारतीय हाईली स्किल्ड प्रतिभाओं को भी हानि होगी |इससे अनेकों प्रश्न उठ रहे हैं
।[१]पहला प्रश्न यह उठता है कि अमेरिका में कार्यरत भारतीय कंपनियों और उनके प्रोफेशनल्स का क्या होगा ?
[२]क्या यह भारत पर अपनी बहु राष्ट्रीय कम्पनियों के लिए अमेरिकी दबाब की राजनीती है?
[३] वाल मार्ट जैसी अमेरिकन कंपनियों को भारत में व्यापार की इजाजत देने से क्या अमेरिका के रुख में कुछ सकारात्मक परिवर्तन हो पायेगा ?अमेरिका के उज्जवल भविष्य के लिए अप्रवासन बिल पर कांग्रेस को तत्काल मंजूरी दे देनी चाहिए:बराक ओबामा|
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