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Who After Gandhis ,Congress Working Committee Yet To Decide

[New Delhi] Who After Gandhis ,Congress Working Committee Yet To Decide
Sonia, Rahul have recused themselves from CWC meet
As the Congress Working Committee began consultations on Saturday to find its next president, UPA chief Sonia Gandhi and outgoing party head Rahul Gandhi left the meeting midway, saying they couldn’t be part of the process.
“We cannot be part of this process,” Sonia Gandhi said after she recused herself from the deliberations.
Rahul Gandhi left soon after, saying he would be visiting his parliamentary constituency Wayanad in Kerala, which is currently ravaged by heavy rains.
Sonia Gandhi said her name was included by default in the region-wise committees formed for wider consultations on selecting a new party chief.
The CWC has decided to have consultations with leaders from across the country and the party’s top decision-making body then was divided into five groups for different regions — northeast, east, north, west and south.
Rahul Gandhi, while resigning as the party president on May 25, had asked the CWC to elect a president from outside his family. His sister Priyanka Gandhi Vadra is a Congress general secretary.

Congress Blows Conch Shell From Modi’s Home State :LS Polls 2019

[Ahmedabad,Guj]Cong kicks off LS poll campaign from PM’s home state
Top Congress leadership Tuesday paid their respect to Mahatma Gandhi at the Sabarmati Ashram
Party leaders led by its chief Rahul Gandhi,
UPA chairperson Sonia Gandhi,
Congress general secretary Priyanka Gandhi Vadra,
former prime minister Manmohan Singh
sought to give a symbolic message to the people of the country ahead of the general elections by remembering Mahatma and his ideals of non-violence and tolerance.
Rahul while addressing Congress booth workers in Delhi on Monday had said the upcoming general elections will be a battle between Mahatma Gandhi’s India and Nathuram Godse’s India with love on one side and hate on the other.
Tuesday also marks the anniversary of the famous ‘Dandi March’ started by Mahatma Gandhi from Sabarmati Ashram on March 12, 1930 with a group of Satyagrahis.
The CWC meeting is being held in Gujarat after a gap of 58 years. It was last held in the state at Bhavnagar in 1961.

यूं पी ऐ और सी डबलू सी ने प्रथक तेलंगाना राज्य को हरी झंडी दी: देश में मिली जुली प्रतिक्रिया

अलग तेलंगाना राज्य की स्थापना को लेकर आज अनेकों बैठकें हुई जिनमे यूं पी ऐ समन्वय समिति + कांग्रेस कार्य समिति ने अलग तेलंगाना राज्य को हरी झंडी दे दी.| बैठक के पश्चात दिग्विजय सिंह और अजय माकन ने प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी देते हुए बताया कि अगले 10 वर्ष के लिए हैदराबाद , आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की, संयुक्त राजधानी रहेगी|।आंध्र प्रदेश की 294 विधानसभा सीटों में से 117 विधानसभा सीट तेलंगाना में हैं, तथा तेलंगाना क्षेत्र से लोकसभा में 17 सांसद हैं।इस फैसले की मिली जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं| [१] तेलंगाना में तो स्वाभाविक ख़ुशी का माहौल छा गया. आन्दोलनों और 56 वर्ष के इंतज़ार के बाद आज सरकार ने अलग तेलंगाना राज्य को मजूरी दे दी|
[२]एकीकृत आंध्र प्रदेश की मांग कर रहे लोगो ने भी गैर तेलंगाना प्रान्तों में आन्दोलन तेज़ कर दिया है. + धरने प्रदर्शन शुरू कर दिए गए हैं+. सुरक्षा के लिए १००० अतिरिक्त सैनिक भेजे जा चुके हैं|इनमे . सी आर पी ऍफ़ +आर ऐ ऍफ़ की ३० कम्पनियाँ भी शामिल हैं|
[३]. प्रथक गोरखालैंड की मांग करने वाले आंदोलनकारियो ने 3 दिन के बंद का ऐलान किया है.
[४] उत्तर प्रदेश में चौ.अजीत सिंह ने प्रथक हरित प्रदेश की मांग की.है
[५] महाराष्ट्र से विदर्भ को अलग करने की मांग भी उठने लग गयी है.
[६]जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि आंदोलन के आधार पर नए राज्य के गठन से ‘खतरनाक परिपाटी’ बनेगी। अब्दुल्ला ने कहा कि इससे देश के अन्य हिस्सों में उपद्रवों को प्रोत्साहन मिलेगा।
[७]आप पार्टी ने इस फैसले का स्वागत किया है|
यूं पी ऐ के इस निर्णय से तेलुगूभाषी लोगों के लिए दो राज्य बन जाएंगे।
आंध्र स्टेट और तेलंगाना (तब का हैदराबाद स्टेट) को मिलाकर एक नवंबर 1956 को गठित किए गए राज्य आंध्र प्रदेश के गठन के बाद से ही चले आ रहे इस मुद्दे का संप्रग के इस निर्णय के साथ ही पटाक्षेप हो गया।
आंध्र प्रदेश के ही कुछ कांग्रेस सांसद भी पृथक तेलंगाना राज्य के गठन का विरोध कर रहे हैं, और इस संबंध में पिछले सप्ताह उन्होंने प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की थी और राज्य को विभाजित न करने की मांग की थी।थक तेलंगाना राज्य के गठन के फैसले का श्रेय भले ही कांग्रेस ले, किन्तु अन्य राजनीतिक दलों ने इस पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। वाम दलों ने सावधानी बरतते हुए कहा है कि तेलंगाना के बाद पथक राज्य के निर्माण की ऐसी और मांगें जोर पकड़ेंगी।
वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि जहां तक हमारा संबंध है, हमारी पार्टी का संबंध है तो जब हमने तीन नए राज्य बनाए थे तब तेलंगाना राज्य इसलिए नहीं बन पाया था क्योंकि हमने हमारे गठबंधन के एक सहयोगी का सम्मान किया था। अन्यथा हम तब ही पथक राज्य बना चुके होते।
शिवसेना ने फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा हमें आंध्रप्रदेश के विभाजन के फैसले पर अफसोस है। हम एकीकत महाराष्ट्र के पक्ष में हैं और किसी अन्य फैसले का सवाल ही नहीं उठता। राउत का इशारा पृथक विदर्भ राज्य की मांग की ओर था। शिवसेना हालांकि भाजपा की सबसे पुरानी वैचारिक सहयोगी है लेकिन तेलंगाना और विदर्भ पर दोनों की राय अलग अलग है। भाजपा जहां तेलंगाना और विदर्भ दोनों की पक्षधर है वहीं शिवसेना इनके विरोध में है।
विपक्ष इसे लोक सभा के होने वाले चुनावों में राजनितिक लाभ प्राप्त करने के लिए उठाया गया कदम बता रहा है जबकि कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने इससे इंकार किया है|कुछ भी हो हरियाणा और पंजाब के विभाजन के समय चंडीगढ़ को दोनों प्रदेशों की राजधानी बनाया गया था जिसका फैसला अभी तक नही हो पाया है तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी हैदराबादको बना कर पुरानी गलती की पुनरावर्ती की गई है | कहा जा रहा है के तेलंगाना की स्थापना की मांग को लेकर अपनी पार्टी को दो फाड़ होने से बचाने और टी आर एस को कांग्रेस में शामिल करने के लिए कांग्रेस द्वारा प्रदेश का विभाजन किया जा रहा है यह कहाँ तक कांग्रेस को चुनावी लाभ दे पायेगा इस यक्ष प्रश्न का उत्तर तो चुनावों में ही मिल पायेगा|
फोटो कैप्शन
The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh at the UPA Coordination Committee Meeting, in New Delhi on July 30, 2013.