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जम्मू-कश्मीर के बाढ़ पीड़ितों की सहायतार्थ कॉर्पोरेट सेक्टर ने कोऑपरेट किया

जम्मू-कश्मीर के बाढ़ पड़ितों की सहायतार्थ कॉर्पोरेट सेक्टर ने कोऑपरेट किया |
जम्मू-कश्मीर के बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए कॉर्पोरेट सेक्टर आगे आया है।
[१]महिंद्रा एंड महिंद्रा [२]सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में क्रमश: 2 करोड़ + 3 करोड़ रुपए की मदद दी है।
बीते रोज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मुसीबत के समय में जम्मू-कश्मीर के लोगों की मदद के लिए प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष में उदारता से दान करने की अपील की थी।

समाजवादी पार्टी ने मोदी सरकार के पहले बजट प्रस्ताव को महंगाई फ्रैंडली बजट बताया

उत्तर प्रदेश में सत्ता रुड समाजवादी पार्टी ने मोदी सरकार के पहले बजट प्रस्ताव पर टीका टिपण्णी करते हुए महंगाई फ्रैंडली बजट बताया |
समाजवादी पार्टी के अनुसार अपने चुनाव भाषणों में मंहगाई को बड़ा मुद्दा बनानेवाले मोदी की सरकार के पहले बजट में इसकी अनदेखी ही की गई है। मंहगाई रोकने का कोई कारगर उपाय सरकार को नहीं सूझ रहा है बल्कि उसके तौर तरीके तो यही जता रहे हैं कि मंहगाई की आग और भड़केगी। लालफीताशाही की तर्ज पर 27 और 32 रूपए से कम प्रतिदिन खर्च करनेवाले को गरीब माननेवाली सरकार को मंहगाई का एहसास नहीं हो सकता है। नव उदारवाद में गरीब का ही विनाश होना है। जमाखोरों और कालाबाजारियों पर लगाम लगाने की कोई मंशा भी नहीं दिखाई देती है। मानसून की गड़बड़ी से सूखे की आशंका है किन्तु केन्द्रीय बजट में इस पर ध्यान नहीं है। किसान को उचित दर पर फसल की कीमत मिले, इसकी व्यवस्था के बजाय उसे 7 सात प्रतिशत ब्याज पर कर्ज दिलाकर एक तरह से उसे आत्महत्या करने के लिए ही उकसावा दिया जा रहा हैं। गावों और शहरों में बढ़ती बेरोजगारी दूर करने की दिशा में कुछ भी नहीं है।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि महामहिम राष्ट्रपति के अभिभाषण में मोदी सरकार ने दावा किया था कि यह गरीबों की सरकार है और इस पर पहला हक गरीबों का है। लेकिन केन्द्रीय वित्तमंत्री ने अपने बजट में कारपोरेट घरानों को साढ़े पांच लाख करोड़ से ऊपर रियायातें देने के साथ कई क्षेत्रों में पीपीपी के नाम पर निजी कम्पनियों के लिए नए चरागाह खोलने का काम किया है जबकि जनसाधारण की जरूरत की चीजों पेट्रोल, डीजल, केरोसिन और घरेलू गैस पर सब्सिडी घटाने का काम बजट से ठीक पहले शुरू कर दिया गया है। वित्तमंत्री कह रहे हैं कि राजकोषीय घाटा कम करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है इसलिए जनसामान्य को अभी और कडुवी दवाएं पीने के लिए तैयार रहना है। बजट से कहीं यह संकेत नहीं मिलता है कि सरकार अपनी फिजूलखर्ची पर रोक लगाने की सोच रही है।
सपा ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार का यह बहाना चलनेवाला नहीं है कि अभी तो 45 दिन की ही सरकार है इसलिए किसानों, गरीबों, बेरेाजगारों एवं महंगाई पर नियंत्रण के लिए नीतियां बनाने में समय बनेगा। सवाल यह है कि तब फिर बड़े पूजीपतियों के पक्ष में इन 45 दिनों में नीतियां कैसे बना कर बजट में शामिल कर ली गई।
भाजपा को कांग्रेस की कॉपी केट बताते हुए राजेंद्र चौधरी ने कहा कि सच तो यह है कि मोदी सरकार अपने काम काज और निर्णयों में यूपीए की ही कार्बनकापी बन रही है। नवउदारवाद की पिटी पिटाई लकीर पर अर्थव्यवस्था को चलाकर भाजपा देश को बर्बादी की ओर ढकेल रही है।