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१९७५ की इमरजेंसी के विरुद्ध लोकतंत्र की रक्षा को समर्पित सेनानियों को यूंपी में अनेकों सुविधाएँ

[लखनऊ]उत्तर प्रदेश में ६ हजार लोकतंत्र सेनानियों को चिकित्सा सुविधाएँ भी मिलेंगी| १९७५ की इमरजेंसी के खिलाफ लोकतंत्र की रक्षा को समर्पित सेनानियों को यूंपी में अनेकों सुविधाएँ मिलेंगी
उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार ने ६ हजार लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान में उन्हें अनेकों सुविधाएँ देने की घोषणा की है
पूरे देश में १९७५ की इमरजेंसी की याद में अनेकों कार्यक्रम हुए ऐसे में समाजवादी पार्टी के सीएम अखिलेश यादव ने लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान में एक बड़ा कदम उठाते हुए उन्हें पेंशन तथा अन्य सुविधाएं देने के लिए अधिनियम बनाने की घोषणा की है।
मालूम हो के उत्तर प्रदेश में लगभग 6 हजार लोकतंत्र सेनानी हैं।जिन्होंने लोक तंत्र की रक्षार्थ इमरजेंसी के दंश सहे थे |
अब पार्टी प्रवक्ता +वरिष्ठ समाजवादी नेता राजेंद्र चौधरी ने प्रेस रिलीज में बताया के लोक तंत्र रक्षकों को सम्मान देने के लिए अब स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तरह लोकतंत्र सेनानियों के लिए भी अधिनियम बनाने का निर्णय लिया गया है |
गौरतलब है के पूर्व में मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 2006 में पांच सौ और बाद में एक हजार रूपए तक पेंशन लोकतांत्रिक सेनानियों को दी थी।
प्रदेश में समाजवादी सरकार बनने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रारम्भ में तीन हजार फिर बढ़ाकर 6 हजार रूपए और फिर 10 हजार रूपए पेंशन देने की व्यवस्था की। अब लोकतंत्र सेनानियों की पेंशन और चिकित्सा+परिवहन में एक सहयोगी के साथ यात्रा आदि की व्यवस्था भी हो जाएगी।

ला कृ आडवाणी के आपातकाल की स्मृति में दिए गए ब्यान को लेकर राजनीतिक अटकलें तेज

[नई दिल्ली] वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी के आपातकाल की स्मृति में दिए गए ब्यान को लेकर राजनितिक अटकलें तेज हो गई हैं|भारत में [अब स्वर्गीय] श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा २५-२६ जून को इमरजेंसी लगाई गई थी जिसकी स्मृति में इंडियन एक्सप्रेस ने वयोवृद्ध नेता एल के अडवाणी का इंटरव्यू छापा है |इसमें स्वाभाविक रूप से उन्होंने इमरजेंसी लगाये जाने और उससे बचने के अनेको पहलुओं पर राजनीतिक चर्चा की है|यदपि उन्होंने वर्तमान पीएम या व्यवस्था पर कोई प्रत्यक्ष टिपण्णी नहीं की है लेकिन कांग्रेस द्वारा उसे नरेंद्र मोदी के संदर्भ में प्रचारित किया जा रहा है |
अंग्रेजी के एक अखबार में दिए इंटरव्यू में अडवाणी ने कहा कि इमरजेंसी के पश्चात से अभी तक यह सुनिश्चित नहीं किया जा सका है कि १९७५-७७ की भांति लोक तंत्र दोबारा कुचला नहीं जाएगा जबकि लोक तंत्र को कुचलने वाली ताकतें प्रबल हुई है |
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा इस इमरजेंसी के बयान को हाथो हाथ लेकर इसे पीएम नरेंद्र मोदी केंद्रित बताने का प्रयास किया जा रहा है|
पूर्व उपप्रधानमंत्री और अभी बीजेपी के मागदर्शक मंडल के सदस्य श्री आडवाणी ने यदपि इमरजेंसी को दोबारा लगाये जाने की संभावनाओं को बल नहीं दिया मगर यह जरूर कहा कि वास्तव में, कोई आसानी से ऐसा नहीं कर सकता है,मगर दोबारा ऐसा नहीं होगा यह नहीं कहा जा सकता ।१९७५-७७ में लगाईं गई इमरजेंसी में श्री आडवाणी सहित विपक्ष के कई दिग्गज नेताओं को जेल में कैद करके रखा गया था।भाजपा और समर्थक दल इसे सामान्य बता कर संस्था केंद्रित अभिव्यक्ति बता रहे हैं जबकि कांग्रेस+आप+जे डी यूं +वाम पंथी आदि द्वारा अडवाणी की इस नवीनतम संशा को पीएम नरेंद्र मोदी का संदर्भ दिया जा रहा है |वरिष्ठ भाजपा के एक नेता ने अपना नाम नहीं बताने कि शर्त पर चुटकी ली है कि ये कांग्रेस यहीं नहीं रुकेंगे शीघ्र ही अडवाणी के बयान को सुषमा स्वराज से जोड़ते हुए भाजपा में दो गुट साबित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया जा सकता है |

एक महीने में ही नेशनल हेराल्ड को लेकर हसाड़ी हाई कमान को जेल भेजने के षड्यंत्र रचने लग गए

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झल्लेया ये मोदी सरकार तो एक महीने में ही अपने कहे से पीछे हट गई |नेशनल हेराल्ड अख़बार को लेकर हसाड़ी हाई कमान को जेल भेजने के षड्यंत्र रचने में लग गई है |ओये यहां तक कि हसाडे सोणे राहुल गांधी को भी सड़क से संसद तक बदनाम करने में जुटी है|ओये यही ये मोदी का सुराज ?ओये हसाड़ी हाई कमान ने भी कह दिया है कि जितना उत्पीड़न करोगे उतनी जल्दी हम सत्ता में आएंगे

झल्ला

ओ मेरे चतुर सुजाणा |मत हो परेशाणा+हैराणा | बेशक ये है सियासी ताणा बाणा लेकिन फैसला तो जनता को ही है सुनाना |भूल गए बीती सदी के सातवें दशक में श्रीमती इंदिरा गांधी के खिलाफ रोजाना कोई न कोई आयोग+कमीशन बैठाये जाते रहे जिन्होंने मीडिया में पहाड़ खोदे मगर निकला चूहा भी नही| जनता पार्टी की इसी उठापटक से इंदिरा गांधी दोबारा सत्ता में आ गई थी|