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आरबीआई नकली करेंसी को पहचानने की जिम्मेदारी भी हम पर ही डालेगा


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

भाजपाई अर्थशास्त्र लीडर

औए झल्लेया मुबारकां! औए हसाड़े मुल्क में अब नकली करेंसी का चलन बंद होने जा रहा है|नकली नोटों की पहचान के लिए आर बी आई एक विशेष [MobileApp]अप्प बनाने जा रही हैं जिसके माध्यम से अपने मोबाइल पर ही नकली नोटों की पहचान तत्काल की जा सकेगी| औए इससे हसाड़े व्यवस्थाओं में भी सुधार आएगा

झल्ला

मेरे भोले सेठ जी! आपके बैंक कुछ भी मुफ्त में नहीं दे रहे ,उलटे नोट पहचानने की अपनी जिम्मेदारी भी हम पर ही डालने जा रहे हैं |काश अच्छा होते के आर बी आई के साथ साथ चुनाव आयोग नेताओं को स्कैन करने का अप्प तैयार करवा कर हमें अव्यवस्थाओं से निजात दिलवाये |वार्ना आरबीआई नकली करेंसी को पहचानने की जिम्मेदारी भी हम पर ही डालेगा और हमसे उसके पैसे भी वसूलेगा |

नए नोटों के नकलीकरण को रोकने के लिए जनता को अभी से जागरूक भी करना होगा

bank-sbi[नई दिल्ली] नए नोटों के नकलीकरण को रोकने के लिए जनता को अभी से जागरूक भी करना होगा|
बढे नोटों के प्रचलन को रोकने के पीछे दिए जा रहे तर्कों में से एक तर्क यह भी है के यह साहसिक कदम नकली नोटों के अपराधियों पर सर्जिकल स्ट्राइक है| बोरियों में भरे पढ़े पुराने नोटों को रद्दी की टोकरी या फिर कूड़ेदानों में डालना मजबूरी हो सकती है लेकिन काले धन का यह स्थाई समाधान नही कहा जा सकता |
एक करन्सी बंद करके दूसरी करन्सी चलाने से करप्शन की फुंसी तो फोड़ी जा सकती है लेकिन इससे नासूर बन चुकी व्यवस्था पर कुठाराघात के दावे पर प्रश्न चिन्ह लगता है|
नकली नोटों की तस्करी के लिए पड़ोसी मुल्कों पर निशाना बनाया जाता है \आये दिन “समझौता एक्सप्रेस”से लेकर बंगला देश और नेपाल आदि सीमाओं पर नकली नोटों की खेप पकड़ी जाती है |इसके बावजूद यह काला धंधा दिन रात फलता फूलता रहा है |
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के इस साहसिक कदम से हो सकता है फिलहाल वहां प्रिंटिंग मशीने नकली नॉट उगलना बंद कर दें लेकिन नए नोटों के प्रति उनकी भूख शांत हो पायेगी? यह यक्ष प्रश्न चिन्ह है |
सरकारी दावों के अनुसार भारतीय करेंसी में सिक्योरिटी कोड्स डाले जाते हैं, जिन्हें देख कर नकली और असली नोटों की पहचान की जा सकती है |bank-p-nb
असली और नकली नोटों की पहचान के लिए बैंकों या फिर बढ़ी व्यवपारिक संस्थाओं में ही मशीन लगी हुई हैं |
ऐसी संस्थाओं द्वारा पकड़े गए नकली नोटों के आंकड़े कभी भी उत्साहजनक नहीं रहे |
इसके पीछे अनेकों कारण हो सकते हैं|
[१]नकली नोटों के प्रति कानूनी प्रक्रिया जटिल बताई जाती है
[२]नकली नोटों के बदले असली नोटों के परिवर्तन की कोई व्यवस्था नही है
[३]बैंक भी नकली नोटों के प्रति घोषित प्रक्रिया से गुजरने से बचते हैं
[४]आम आदमी नकली नोटों को बैंकों में ले जाने के बजाये कहीं और चलाना ज्याद पसन्द करते हैं |
बेशक नए नोटों में पहले से ज्यादा सिक्योरिटी कोड्स डाले जा सकते हैं
जिन्हें तोड़ने के लिए पडोसी मुल्क जी जान से जुट चुके होंगे
इनके प्रति भी प्रक्रिया तो वोही पुरानी ही रहेगी
आम आदमी द्वारा नकली नोटों को पहचानना टेडी खीर साबित होगा |
नकली नोटों को रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित नहीं होंगे
बैंक भी कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के प्रति उत्साहित नही होंगे
इसीलिए उद्देश्य की पूर्ती के लिए सरकार+आर बी आई द्वारा अभी से जन जाग्रति अभियान चलाया जाना उपयुक्त होगा
फोटो कैप्शन
बैन नोटों को मेरठ के बैंकों में जमा करवाने वालो की भीड़

जाली मुद्रा पकड़ने के लिए भारत अब बांग्लादेश पुलिस को प्रशिक्षित करेगा

[नयी दिल्ली]जाली भारतीय मुद्रा पकड़ने के लिए भारत अब बांग्लादेश के २०० पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित करेगा
यह प्रशिक्षण एनआईए द्वारा दिया जाएगा|देश में किसी भी एक समय पर 4,000 करोड़ रु मूल्य की जाली मुद्रा चल रही होती है
आतंकवादी घटनाओं की जांच करने वाली एजेंसी एनआईए जाली भारतीय करेंसी नोटों [एफआईसीएन] को पकड़ने के लिए बांग्लादेश के करीब 200 पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण देगी। भारत में करीब 80 % जाली नोट इस पड़ोसी देश के रास्ते भारत आते हैं।
एनआईए, भारतीय रिजर्व बैंक तथा आर्थिक मामलों के विभाग और गृह मंत्रालय के साथ सहयोग से बांग्लादेश के अधिकारियों को प्रशिक्षण देगी। इसमें खुफिया जानकारी को तत्काल आधार पर साझा करना भी शामिल है।
भारतीय बाजार में प्रचलन में जारी नोटों के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं होने की वजह से एनआईए ने 2012-13 में कोलकाता के संस्थान को इसके बारे में अध्ययन को कहा था।
इस अध्ययन के अनुसार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और देश के बाहर से यहां परिचालन कर रहे अंडरवर्ल्ड गैंग ने यहां करीब 70,000 करोड़ रपये की जाली मुद्रा झोंकी हुई है। इसमें से सिर्फ एक-तिहाई को ही विधि प्रवर्तन एजेंसियों ने पकड़ा है।
अध्ययन में कहा गया था कि किसी भी समय पर 4,000 करोड़ रु मूल्य की जाली मुद्रा चल रही होती है। एनआईए सूत्रों ने कहा कि बांग्लादेश द्वारा सहयोग बढ़ाने के बाद इसमें कमी आई है।
फाइल सिंबॉलिक फोटो