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कश्मीर में कुदरती कहर से कराहते ७६५००पीड़ितों को रक्षा बलों ने बचाया:लाखों अभी भी फंसे

कश्मीर में कुदरती कहर से कराहते ७६५०० पीड़ितों को बचाया जा चूका है लेकिन अभी लाखों की संख्या में बढ़ पीड़ित लोग राहत को तरस रहे हैं |
भारतीय रक्षा मंत्रालय की सशस्त्र सेनाओं ने अब तक जम्‍मू-कश्‍मीर में 76,500 लोगों को बचा लिया है
भारत की सशस्‍त्र सेनाओं ने युद्ध स्‍तर पर जम्‍मू-कश्‍मीर में बहुत बड़ा राहत और बचाव कार्य शुरू किया हुआ है और राज्‍य में अब तक 76,500 लोगों को सशस्‍त्र बलों और एनडीआरएफ ने बचाया है।
भारतीय वायु सेना और थल सेना की आर्मी एवियेशन कोर ने
79 परिवहन विमान और हेलीकॉप्‍टर बचाव कार्यों में लगा दिए हैं। सेना ने
329 टुकड़ि‍यां राहत और बचाव कार्यों में लगाई हैं जिनमें से
244 श्रीनगर क्षेत्र में और
85 जम्‍मू क्षेत्र में तैनात की गई हैं।
8,200 कंबल और 650 तंबू वितरित किए हैं।
सेना ने 1,50,000 लीटर पानी,
2.6 टन बिस्‍कुट,
07 टन बेबी फूड और
28,000 खाद्य पदार्थों के पैकेट बाढ़ वाले इलाकों में वितरित किए हैं।
इसके अलावा चंडीगढ़ और दिल्‍ली से पानी की बोतलें मंगाई गई हैं।
लोगों को तेजी से डॉक्‍टरी सहायता पहुंचाने के उद्देश्‍य से
80 मेडिकल टीमें चिकित्सा कार्यों में लग गई हैं। अधिक राहत सामग्री आज इन क्षेत्रों को पहुंचाई जा रही हैं। इनमें अस्‍पताल के बिस्‍तरों में काम आने वाली
2,000 चादरें, कंबल, तंबू, पानी की बोतलें और तैयार भोजन आज विमान से भेजा जा रहा है।
अब तक सशस्‍त्र बलों की तरफ से हेलीकॉप्‍टरों और
विमानों ने 613 उड़ानें भरी हैं तथा
715 टन राहत सामग्री भारतीय वायुसेना द्वारा गिराई गई हैं।
सेना की 135 नावें और एनडीआरएफ की तरफ से 148 रबड़ की नावें बचाव कार्यों में लग गई हैं।
सड़क यातायात फिर से शुरू करने के लिए बॉर्डर रोड आर्गनाइजेशन BRO ने पांच टु‍कडि़यां बनाई हैं
जिनमें 5,700 कार्मिक शामिल हैं। इन्‍हें राहत कार्य में लगा दिया गया है।
ताजा स्थिति के अनुसार इन्‍होंने बटोट-किश्‍तवाड़ और किश्‍तवाड़-सिंथन दर्रे के बीच सड़क यातायात बहाल कर दिया है।
सिंथन दर्रे और अनंतनाग के बीच काम चल रहा है और
जम्‍मू की तरफ 172 किमी. तक हल्‍के वाहनों का आना-जाना शुरू है।
जम्‍मू-पुंछ रोड को यातायात के लिए खोल दिया गया है।
इजीनियरिंग टास्‍क फोर्स की 15 टीमें नावों के साथ जान बचाने वाले उपकरण लेकर बाढ़ वाले इलाकों में पहुंच गई हैं और इन्होंने बचाव कार्य शुरू कर दिया हैं।