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न्यायपालिका को भी स्वयं के लिए लक्ष्मण रेखा खींचनी होगी:जेटली

[नयी दिल्ली]न्यायिक सक्रियता पर चिंता जताते हुए जेटली ने न्यायपालिका के लिए भी लक्ष्मण रेखा को आवशयक बताया
न्यायिक सक्रियता पर एक बार फिर चिंता व्यक्त करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि सक्रियता के साथ संयम का मिश्रण होना चाहिए और न्यायपालिका की स्वतंत्रता के नाम पर संविधान के बुनियादी ढांचे के अन्य आयामों के साथ समझौता नहीं किया जा सकता।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘ न्यायिक समीक्षा न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र का वैध पहलू है लेकिन फिर सभी संस्थाओं को स्वयं लक्ष्मण रेखा खींचनी होगी । लक्ष्मणरेखा महत्वपूर्ण है। ’’ उन्होंने जोर दिया, ‘‘ सरकारी निर्णय :एक्जक्यूटिव: कार्यपालिका द्वारा ही लिये जाने चाहिए और न्यायपालिका द्वारा नहीं । ’’ जेटली ने इसका विस्तार से कारण बताते हुए कहा कि अगर कोई सरकारी निर्णय कार्यपालिका लेती है तब उसमें विभिन्न स्तरों पर जवाबदेही तय की जा सकती है। इसे चुनौती दी जा सकती है, इसकी न्यायिक समीक्षा की जा सकती है और जनता भी अगर पाती है कि ये जनहित में नहीं है तो वोट के माध्यम से उस सरकार के खिलाफ जनादेश दे सकती है। अदालतंे भी इसे कानून सम्मत नहीं पाने पर रद्द कर सकती हैं। लेकिन अगर अदालत की ओर से सरकारी फैसला लिया जायेगा तक ये सभी विकल्प उपलब्ध नहीं होंगे ।
इंडियन वुमन प्रेस कोर में जेटली ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ अदालतें, कार्यपालिका का स्थान नहीं ले सकतीं और यह नहीं कह सकती कि वह कार्यकारी शक्ति का उपयोग करेंगी । वित्त मंत्री से उनकी पूर्व की उस टिप्पणी के बारे में पूछा गया था जिसमें उन्होंने न्यायपालिका द्वारा विधायिका और कार्यपालिका के अधिकारों का अतिक्रमण करने से जुड़ी बात कही थी