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मोदी भापे ब्लैक मनी तो आती रहेगी फिलहाल “अपने बराक”से एनआरआई की वाइट मनी ही ले लो

[नई दिल्ली]मोदी भापे ब्लैक मनी तो जब आयेगी तब आयेगी फिलहाल तो अपने बराक से एनआरआई की करोड़ों डॉलर्स की वाइट मनी ही ले लो
भारत के पीएम श्री नरेंद्रमोदी और अमेरिका के प्रेजिडेंट मिस्टर बराक ओबामा की परदे पर आ रही पर्सनल रिलेशंस की गर्मी से अनेकों महत्वपूर्ण मुद्दों पर बरसों से जमी बर्फ पिघल रही है |न्यूक्लीयर+रक्षा+आतंकवाद+व्यवसाय जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर दूसरे की भावनाओं+जरूरत को समझा जाने लगा है |दोनों देश नजदीक आ रहे हैं और विश्व के सबसे शक्तिशाली डेमोक्रेसी की जनता की दूरी भी कम होने का कूटनीतिक दावा किया जा रहा है |यह अपने आप में एक शुभ संकेत है और दोनों देशों के विकास के साथ ही शासनाध्यक्षों का राजनीतिक शक्ति वर्धक भी है |बराक ओबामा ने राजघाट पर भारतीयता का प्रतीक पीपल का पौधा रौंप कर दोनों देशों के रिश्ते को नई ऑक्सीजिन दी है जिसकी आने वाले वर्षों में मेहमान शासनाध्यक्ष को ज्यादा जरूरत भी होगी |
इस सब के बावजूद अभी भी अनेकों ऐसी समस्याएं हैं जिनके उत्तर+समाधान अपेक्षित हैं|इनपर फिलहाल चर्चा बेहद जरूरी है |
नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान प्रवासी भारतीयों के साथ एशियन्स ने भी एक रॉक स्टार की भांति श्री मोदी का स्वागत किया, सम्मान दिया |इसे वहां की राजनीती में स्वीकार भी किया गया |उस समय श्री मोदी को अनेकों समस्यायों से अवगत कराया गया और भारत के प्रधान मंत्री ने इन समस्यायों को दूर करने का आश्वासन भी दिया |भारत लौट कर पी आई ओ +वीजा+आदि नीति गत फैंसलों में सकारात्मक बदलाव भी किये जा चुके हैं |
बराक ओबामा ने भी अपने भाषण में मेडिसन के रॉक स्टार के रूप में अपने मेजबान को सम्बोधित किया उन्होंने भारत के साथ रिश्तों की गरमी को अपनी विदेश नीति में विशेष स्थान देने की बात भी कही है
कांग्रेस ने भी कहा कि ओबामा के इस दौरे में अमेरिका से होने वाली द्विपक्षीय वार्ताओं में भारतीय हित सबसे उपर रखे जाने चाहिये और गुटनिरपेक्षता की विदेश नीति को भी बरकरार रखा जाना चाहिये।
वाशिंगटन: विशेषज्ञों का भी मानना है कि दस साल तक वीजा प्रतिबंध झेलने का कटु अनुभव होने के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिए हैं कि वह अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को एक नई दिशा में लेकर जाना चाहते हैं
अपने जॉइंट डिक्लेरेशन में साथ साथ चलने की घोषणा की गई है “साँझा प्रयास सबका विकास”
सबका साथ सबका विकास के इस नारे में एनआरआई प्रवासी भारतीयों की वहां मूल समस्याएं अनछुई रह गई हैं |
[१]भारत का टेलेंट अमेरिका के विकास में जी जान से जुटता है|इसकी एवज में उसे पर्याप्त आर्थिक लाभ भी होता है लेकिन वहां के नियमों के अनुसार एन आर आई को अधिकतम छह साल में लौटा दिया जाता है
इस अवधि में उसके वेतन से १०% तक काटा गया सोशल सिक्योरिटी के नाम से फंड लौटाया नहीं जाता | यह करोड़ों डॉलर्स में है | यह भारतीयों के खून पसीने की कमाई है जिसे लौटाया ही जाना चाहिए |भारत सरकार आये दिन विदेशों से ब्लैक मनी लाने के दावे करती है मगर इस वाइट मनी को लाने के विषय में कोई चर्चा नहीं हुई है |आशा है प्रधान मंत्री अपनी “मन की बात” में इसे तरजीह देंगें|
[२] अपने वतन से दूर+अपनों से[ BloodRelations ] दूरी का अहसास कहीं न कहीं प्रत्येक एनआरआई को कटोचता रहता है| उसके अपने रिश्तेदार चाह कर भी उससे मिलने वहां नहीं जा पाते | अगर जाते हैं तो केवल छः महीने के लिए |इसमें खर्चा भी बहुत होता है जिसे हर किसी के लिए वहन करना असम्भव होता है
अपना गुजर करने के लिए इन्हें वर्क वीजा नहीं दिया जाता यहाँ तक कि एन आर आई की पत्नी तक को काम करने कि इजाजत नहीं है
[३]टूरिस्ट वीजा पर इन्शुरन्स बेहद महंगा है |खुदा न खास्ता अगर कोई बीमार पढ़ जाये तो उसके मेजबान का दिवालिया होना लाजमी है |
प्रेजिडेंट बराक ओबामा चूंकि अफोर्डेबल हेल्थ इन्शुरन्स देने की वकालत कर रहे हैं ऐसे में एनआरआई के ब्लड रिलेशंस को भी तरजीह दी जाने चाहिए

फोटो कैप्शन
The US President, Mr. Barack Obama planting a sapling, at Rajghat, in Delhi on January 25, 2015.
The Minister of State (Independent Charge) for Power, Coal and New and Renewable Energy, Shri Piyush Goyal is also seen.