झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ
आम नागरिक
ओये झल्लेया ये क्या हो रहा है? ओये दुनिया भर में अपनी संस्कृति को जीवित रखने के लिए १९७७ से संग्रहालय दिवस मनाया जा रहा है| ओये पाँचों कॉन्टिनेंट्स के १४३ देशों के ३५००० संग्राहलयों द्वारा लोगों को संग्रहालय तक लाने के लिए तरह तरह के कन्सेशन्स दिए जा रहे हैं लेकिन हसाडे मुल्क में तो सरकार ही भाम्भड भूसे में पड़ी हुई है|केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने कोई नया संग्राहलय बनाना तो दूर रहा ,भारतीयों को पुराने संग्राहलय तक लाने के लिए कोई हरकत तक नहीं की है |यहांतक की मंत्रालय की वेबसाइट भी इस विषय में खामोश ही है
झल्ला
ओ मेरे भापा जी परेशान होने की गल नहीं है| कहा गया है कि संग्रहालय के कलेक्शन से कनेक्शन बनता है सो अब की बार के आम चुनावों में गैर एन डी ऐ दलों की जो दुर्गति हुई है उसके फलस्वरूप अगले साल की १८ मई तक यही दल और इनके नेता अनेकों संग्रहालयों के शानदार कलेक्शन बनेंगे और उनसे फिर सोसायटी के प्रति कनेक्शन बही बढ़ेगा
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