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छावनी परिषद में अलोकतांत्रिक प्रणाली का बोलबाला :सभाासद जगमोहन शाकाल

[मेरठ]छावनी परिषद के सभासद जगमोहन शाकाल ने परिषद में लोक तांत्रिक प्रणाली को ताक पर रखे जाने के आरोप लगाये हैं|जग मोहन के अनुसार सी ई ओ यादव द्वारा अनाधिकृत विशेषाधिकारों का प्रयोग करके बोर्ड में असंवैधानिक प्रक्रिया अपनाई जा रही है |
इस विषय में सभासद शाकाल ने अधिशासी अधिकारी को एक विरोध पत्र लिखा है |इसकी प्रतिलिपि रक्षा मंत्रालय के अनेकों अधिकारीयों को भी प्रेषित की गई है|
सभासद का आरोप है कि छावनी अधिनियम २००६ के नियमों के अंतर्गत उनके और अन्य सभासदों द्वारा समय समय पर जताए गए विरोध+प्रस्ताव+आपत्तियां+आदि परिषद की बैठक के कार्यवृत में जानबूझ कर शामिल नहीं किये जाते | उन्होंने कुछ निम्न उदहारण भी दिए हैं
[१] अधिकारीयों के खिलाफ भ्र्ष्टाचार
[२]सोफिया कान्वेंट स्कूल में पार्किंग
[३] असंवैधानिक परिसीमन
[४]कार्यवृत की अनुपलब्धता

कैंट में जनता के उपयोग की सडकों पर सेना की दीवारों के विरुद्ध बोर्ड बैठक में प्रस्ताव लाया जाये:पार्षद जग मोहन शाकाल

[मेरठ]कैंट में आम जनता के उपयोग की सडकों पर सेना की दीवारों को हटाने के लिए बोर्ड बैठक में प्रस्ताव लाया जाये:पार्षद जग मोहन शाकाल |
सुरक्षा के नाम पर छावनी के सिविल एरिया की सेना द्वारा की जारही घेरा बंदी से सेना और सिविलयंस आमने सामने आने लग गए हैं इससे आम नागरिकों को असुविधा हो रही है और सेना के इस कृत्य के खिलाफ अंसंतोष भी व्याप्त हो रहा है छावनी परिषद[ CantonmentBoard के निर्वाचित युवा पार्षद और छायापत्रकार जग मोहन शाकाल ने छावनी परिषद् के मुख्य अधिशासी अधिकारी [CEO]को एक पत्र लिख कर जनहित के इन मुद्दो को आगामी बोर्ड की बैठक में लाने की मांग की है|

Meerut Cantonment Board Office

Meerut Cantonment Board Office


पत्र में सेना पर जनता के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुएपार्षद ने कहा है कि छावनी छेत्र में जगह जगह रास्तों में अवरोध पैदा करना और सार्वजानिक मार्गों पर गेट+दीवार लगाया जाना दुर्भाग्य पूर्ण और जनता का उत्पीड़न के साथ ही संविधान का उल्लंघन भी है| पत्र में छावनी अधनियम २००६ की धारा २५८ का उल्लेख करते हुए रास्ता बंद करने के लिए बोर्ड की सहमति के उपरान्त जी ओ सी कमांडिंग इन चीफ /प्रधान निदेशक की अनुमति आवश्यक बताई गई है जबकि इसके लिए जनता से सुझाव तक नहीं मांगे गए|
अंग्रेजों के जमाने के कैंटोनमेंट लैंड एडमिनिस्ट्रेशन रूल १९३७ के आधार पर सेना को क्लास १ लैंड पर बैरक+डिपो+स्टोर आदि बनाने का अधिकार दिया गया है इसमें किसी रोड को बाधित करने का अधिकार नहीं है सी एल ऐ आर [CLAR]१९३७ के अंतर्गत सड़क पर आवागमन के लिए जनता का अधिकार होता है बेशक वोह सड़क क्लास १ पर बनी हो|
इसके आलावा माननीय सुप्रीम कोर्ट के अनुसार भी कोई रास्ता बेस वर्षो से उपयोग किया जा रहा हो तो उसे पब्लिक स्ट्रीट माना जायेगा|लेकिन दुर्भाग्य से आजादी से पूर्व के रास्तों पर आजकल दीवारें बनाई जा रही है |
जग मोहन शाकाल ने कहा कि देश की सुरक्षा के साथ सेना का कर्त्तव्य बनता है कि जनता के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाये लेकिन आज कल सुरक्षा के नाम पर जनता के निजी और स्वतंत्र जीवन में हस्तक्षेप किया जा रहा है|कैंटोनमेंट बोर्ड और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए आम जनता के उपयोग में आ रही सडकों पर लगाए जा रहे अवरोधों को तत्काल हटा दिया जाए