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Tag: JanardanDwivedi

कांग्रेस ने रणदीप सिंह सुरजेवाला को पार्टी का कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट सौंपा

[नई दिल्ली ]कांग्रेस ने रणदीप सिंह सुरजेवाला को कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट सौंपा कांग्रेस ने आज रणदीप सिंह सुरजेवाला को पार्टी के कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट का प्रभारी बनाया |इससे पूर्व अजय माकन इस दायित्व को देख रहे थे श्री माकन को दिल्ली में अरविंदर सिंह लवली के स्थान पर प्रभारी बनाये जाने से यह रिक्ति हुई है |पीटीआई द्वारा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जनार्दन द्विवेदी के हवाले से यह सूचना दी गई है

“अजय”और”जनार्दन”एक दूसरे के पर्यायवाची ही हैं इसीलिए एक म्यान में नहीं समा सकते

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

चिंतित कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झल्लेया ये हसाडे कांग्रेसी कुनबे को किस भेड़े की भेड़ी नजर लग गई जाने का नाम ही नहीं ले रही ओये अजय माकन के आने से दिल्ली फतह की उम्मीद बनी थी लेकिन ये तो पुराने जनार्दन द्विवेदी से ही भिड़ बैठे और उन्हें ही भारतीयता का पाठ पढ़ाने लग गए |और तो और दूसरों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले स्वयं ही आपस में बात करके मामले को सुलटाने के बजाय प्रेस कांफ्रेंस में एक दूसरे पर गंदगी उछालने में लग गए हैं | भाजपा के जाल में फंसते हुए हिन्दू विरोधी बयान देने पर उतर आये हैं ओये पहले माकन ने शशि थरूर और शीला दीक्षित का तख्त खींचा अब द्विवेदी का भी पत्ता कांटने पर तुल गए हैंक्या ऐसे ही दिल्ली में हसाड़ी वापिसी कराएँगे ?

झल्ला

ओ मेरे भोले चतुर सुजाण “अजय” और “जनार्दन” एक दूसरे के पर्यायवाची ही हैं इसीलिए एक म्यान में नहीं समा सकते जनार्दन जो होता है वो अजय होता है और जो अजय होता है वोह्ही तो जनार्दन है |अब आपने यह तो सुना ही होगा के एक म्यान में केवल एक ही तलवार रह सकती हैं|

जाति आधारित आरक्षण को समाप्त करने के लिए राहुल के किसी निर्णय के पीछे “यूं पी ऐ”खड़ी रह पायेगी?

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झल्लेया मुबारकां ओये हसाडे नॅशनल महासचिव जनार्दन द्विवेदी जी ने देश में जाति के अधर पर रिजर्वेशन को खत्म करने के लिए मुहीम छेड़ दी है अब देखना हसाडे सोणे राहुल गांधी जी चुनावी मेनिफेस्टो में इसे शामिल कर ही लेंगे फिर हम लोग मोदी+मुलायम+माया+ममता+नितीश+++ सभी को देख लेंगे

JamosJhalla

JamosJhalla

झल्ला

चतुर सुजाण जीआप जी की पार्टी में इंदिरा गांधी ही एक ऎसी पर्सनालिटी थी जो चुनावों में जनता का रुख अपनी तरफ मोड़ने के लिए हर बार एक नया क्रांतिकारी कदम उठानेका हौंसला और क़ाबलियत रखती थी वोह बेचारी तो अब स्वर्गीय हैं और वर्त्तमान नेताओं ने पिछले दस सालों में किसी चमत्कार का ट्रैलर भी नहीं दिखाया है ऐसे में राहुल गांधी के हौंसलों के पीछे पार्टी खड़ी रह पायेगी इसमें झल्ले को तो संदेह है+शक है+संशय है+बिलकुल डाउट ही है जी