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प्रेस काउंसिल के चेयरमैन जस्टिस मार्कंडेय काटजू और बीजेपी नेताओं में मीडिया पर तू -तू मै- मै शुरू हो गई है

प्रेस काउंसिल के चेयरमैन जस्टिस मार्कंडेय काटजू और बीजेपी नेताओं में न्यूज चैनलों और सोशल साईट्स पर जुबानी जंग शुरू हो गई है| कांग्रेस भी काटजू के बचाव में आ गई है| काटजू ने बिहार के बाद अब भाजपा के राज्यसभा के नेता अरुण जेटली औरगुजरात के मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ एक साथ मोर्चा खोल दिया है|काटजू के अनुसार नरेन्द्र मोदी प्रधान मंत्री और अरुण जेटली राजनीति के लिए सुपात्र नहीं हैं|इसके जवाब में भाजपा नेताओं ने काटजू को कांग्रेस का एजेंट करार देते हुए उन्हें प्रेस काउंसिल से तत्काल हटाने की मांग कर दी है| जेटली ने उनपर गैर कांग्रेसी राज्यों से पक्षपात करने के आरोप मढ़े हैंकाटजू के आरोप हैं |[१]बिहार में प्रेस की आजादी नहींहै[२].देश के लोग सोच-समझकर प्रधानमंत्री चुनें [३] जस्टिस काटजू ने कहा है कि उन्होंने कभी कोई पक्षपात नहीं किया| .
पिछले दिनों जस्टिस काटजू ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक अखबार में आर्टिकल लिखा जिससे बीजेपी बिफर गयी.

.जेटली ने बीजेपी की वेबसाइट

पर लेख लिख कर मांग की है कि या तो जस्टिस काटजू खुद प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दें या फिर उन्हें हटा दिया जाए. जेटली ने आरोप लगाया है कि जस्टिस काटजू का अखबार में लिखा लेख पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है. आरोप ये भी मढ़ा की वो उनलोगों को खुश करने के लिए गैर कांग्रेसी राज्यों पर निशाना साध रहे हैं जिन्होंने उन्हें ये अहम जिम्मेदारी सौंपी है.जेटली की चिट्ठी के बाद

बीजेपी प्रवक्‍ता रविशंकर प्रसाद

ने कहा कि जस्टिस काटजू को गैर कांग्रेसी राज्यों में हीं गलतियां क्यों दिखतीं हैं. उनकी नजरें बिहार, गुजरात और पश्चिम बंगाल से आगे क्यों नहीं जातीं..दरअसल काटजू ने एक अखबार में लिखे अपने लेख में नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए देश के लोगों से अपील की थी कि वे सोच-समझकर प्रधानमंत्री चुनें. उन्होंने मोदी को गुजरात दंगों का गुनहगार तक ठहरा दिया था.इससे पहले जस्टिस काटजू की अध्यक्षता में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें बिहार की नीतीश कुमार सरकार पर भी प्रेस की स्वतंत्रता कुचलने के आरोप लगाए थे.. 2014 के होने वाले चुनावों में छवि .को नुकसान पहुंचा सकती है शायद यही वजह है कि बीजेपी ने भी सीधा हमला काटजू की छवि पर कर दिया है.|
ताजा विवाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में एक अंग्रेजी दैनिक में जस्टिस मार्कंडेय काटजू के लिखे लेख के बाद पैदा हुआ। काटजू ने लेख में नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए देश के लोगों से अपील की है कि वे सोच-समझकर प्रधानमंत्री चुनें। जेटली ने कहा कि काटजू का बयान पूर्वाग्रह से ग्रसित है।उल्लेखनीय है कि काटजू ने हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी हमला करते हुए कहा था कि बिहार में प्रेस की आजादी नहीं है
इसके जवाब में नरेन्द्र मोदी ने एक कहावत के माध्यम से काटजू को सावन का अँधा[jaundiced eye.] बता कर हरियाली देखने वाला बता कर कटाक्ष किया| मीनाक्षी लेखी ने कहा है कि काटजू अर्ध न्यायिक और अर्ध प्रशासनिक एथोरिटी है इसीलिए उन्हें राजनीतिक ब्यान बाजी से बचना चाहिए|कांग्रेस यदपि अभी तक खुल कर सामने नहीं ऐई है मगर कांग्रेस के एक प्रवक्ता और पत्रकार जुझारू संजय झा ने ट्विटर पर अरुण जेटली को ऐसा बेचारा चिड़चिड़ा+तुनकमिजाज़ बता दिया है जो भाजपा के ६४ वर्षीय पोस्टर बॉय की जमीनी हकीकत को स्वीकार नहीं कर रहा है|