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पेंशनभोगियों को ज़िंदा साबित करने के लिए पेंशन कार्यालय में पर्सनली हाजरी जरूरी नहीं

पेंशनभोगियों को अपनी पेंशन लेने के लिए स्वयं को ज़िंदा साबित करने के लिए प्रतिवर्ष पेंशन वितरण कार्यालय में जाना नहीं पढ़ेगा |यह सुविधा देने के लिए पीएम ने निशुल्क डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट ‘जीवन प्रमाण’ लांच किया |इससे एक करोड़ पेंशनर लाबान्वित होंगे
पेंशनरों के लिए पेंशन लगातार पाने के लिए हर साल पर्सनली लाइफ सर्टिफिकेट पेश करना पड़ता है,बीमार+विकलांग+जिसमें वरिष्ठ नागरिकों को आज बड़ी राहत मिली है|
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस दिशा में गवर्नेंस का नमूना पेश करते हुए आज पेंशनभोगियों के लिए ‘आधार’ पर आधारित डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट ‘जीवन प्रमाण’ लांच किया। जिससे एक करोड़ से भी ज्यादा पेंशनभोगी लाभान्वित हो सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्व-प्रमाणन का रास्ता साफ करने के बाद यह डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट एक और सक्षम एवं कारगर व्यवस्था है जिससे आम आदमी लाभान्वित होगा।
प्रस्तावित डिजिटल प्रमाणन से पेंशनभोगियों के लिए वह अनिवार्यता खत्म हो जाएगी जिसके तहत उन्हें हर वर्ष नवम्बर में खुद जाकर लाइफ सर्टिफिकेट पेश करना पड़ता है, ताकि उनके खाते में पेंशन राशि आने का क्रम जारी रह सके।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी विभाग ने एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन विकसित किया है जिसके तहत एक बायोमीट्रिक रीडिंग डिवाइस लगाई जाएगी और फिर इसकी मदद से पेंशनभोगी के आधार नम्बर एवं बायोमीट्रिक ब्यौरे को उसके मोबाइल अथवा कंप्यूटर से दर्ज किया जा सकेगा। पेंशनभोगियों से जुड़े महत्वपूर्ण विवरण को वास्तविक समय में एक केन्द्रीय डाटाबेस पर अपलोड किया जाएगा, जिसमें तारीख, समय और बायोमीट्रिक सूचनाएं शामिल होंगी। इस व्यवस्था से पेंशन वितरण करने वाली एजेंसी के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट हासिल करना संभव हो जाएगा। इससे निष्कर्ष के तौर पर इस तथ्य की पुष्टि हो जाएगी कि सत्यापन के समय पेंशनभोगी जिंदा था।
इससे पहले जो अनिवार्यता थी उसके तहत पेंशनभोगियों को या तो व्यक्तिगत तौर पर पेंशन वितरण करने वाली एजेंसी के समक्ष खुद को पेश करना पड़ता था या केन्द्रीय पेंशन लेखांकन कार्यालय (सीपीएओ) द्वारा निर्दिष्ट किये गये प्राधिकरणों की ओर से जारी लाइफ सर्टिफिकेट पेश करना पड़ता था।
मौजूदा समय में 50 लाख लोग केन्द्र सरकार से पेंशन लेते हैं। इतनी ही संख्या में लोग राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकारों से पेंशन लेते हैं। कई सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) भी पेंशन लाभ मुहैया कराते हैं। 25 लाख से भी ज्यादा सेवानिवृत्त कार्मिक सशस्त्र बलों से पेंशन ग्रहण करते हैं। आधार पर आधारित डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट से वरिष्ठ नागरिकों की एक बड़ी परेशानी दूर हो जाएगी, जिन्हें हर साल लाइफ सर्टिफिकेट खुद जाकर पेश करना पड़ता है।
सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन प्रणाली पेंशनभोगियों एवं अन्य पक्षों को बड़े पैमाने पर किसी अतिरिक्त खर्च के बगैर ही उपलब्ध कराई जाएगी। सस्ती बायोमीट्रिक रीडिंग डिवाइस के साथ इसका संचालन पर्सनल कंप्यूटर अथवा स्मार्टफोन पर किया जा सकता है। राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के तहत संचालित किये जा रहे साझा सेवा केन्द्रों पर भी यह सुविधा सुलभ कराई जाएगी, ताकि दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले पेंशनभोगी इससे लाभान्वित हो सकें।
फोटो कैप्शन
The Prime Minister, Shri Narendra Modi launching “Jeevan Pramaan” – an “Aadhar-based Digital Life Certificate” for pensioners, in New Delhi on November 10, 2014.
The Union Minister for Communications & Information Technology, Shri Ravi Shankar Prasad and other dignitaries are also seen.