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Tag: Kamla Beniwal

गुजरात फेम कमला बेनीवाल से मिजोरम की भी गवर्नरशिप छिनी

आखिरकार मिजोरम की राज्यपाल डॉ. (श्रीमती) कमला बेनीवाल को मिजोरम के राज्यपाल के पद से भी अलग कर दिया गया| बेनीवाल को मिजोरम की गवर्नर शिप छोड़ने के लिए कह दिया गया है |
राष्ट्रपति ने डॉ. (श्रीमती) कमला बेनीवाल को बीती रात मिजोरम के राज्यपाल के पद से मुक्त करने और उनकी जगह इस पद पर मणिपुर के राज्यपाल श्री विनोद कुमार दुग्गल को नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं।
मिजोरम के गवर्नर ऑफिस में नियमित व्यवस्था किए जाने तक श्री विनोद कुमार दुग्गल को मिजोरम के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। मिजोरम की बर्खास्त राज्यपाल बेनीवाल कल संभवत: मिजोरम से जयपुर के लिए रवाना हो सकती हैं। बेनीवाल को उनका कार्यकाल इस वर्ष के नवम्बर तक था |
सर्वविदित है कि गुजरात के राज्यपाल के रूप में उनके और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी [अब पी एम] के रिश्ते कड़वाहट भरे थे ।बेनीवाल ने लोकायुक्त के पद पर आर ऐ मेहता की नियुक्ति भी मुख्य मंत्री के सुझाव के विपरीत जा कर की थी|इसके अलावा स्थानीय निकायों में महिलाओं को ५०% आरक्षण तथा कुछ अन्य विधेयकों को लेकर भी दोनों के बीच टकराव हुआ था।रविवार की शाम को पहले बेनीवाल को गुजरात से मिजोरम में वक्कोम पुरुषोतमन के स्थान पर .ट्रांसफर किया गया अब बर्खास्त किया गया है| बेनीवाल की ना केवल ह्यूफंग टूरिस्ट रिजॉर्ट की यात्रा को रद्द गया है वरन उनके लिए औपचारिक विदाई भोज का आयोजन भी खटाई में पढ़ा हुआ हैं|
कांग्रेस ने इसे बदले कि भवन से किया गया कार्य बताया है राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने मिजोरम की राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल की बख्रास्तगी को असंवैधानिक करार देते हुए उन्हें पद से मुक्त किये जाने की कड़े शब्दों में निन्दा की है।जबकि भाजपा के कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने इसे न्याय संगत बतायागौरतलब है कि बेनीवाल पर भ्र्ष्टाचार के आरोप लगे हैं|
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तीसरी बार विजय पताका फहराने वाले नरेन्द्र मोदी राज्यपाल के हाथों सुप्रीम कोर्ट में हार गए

तीसरी बार विजय पताका फहराने वाले नरेन्द्र मोदी राज्यपाल के हाथों सुप्रीम कोर्ट में हार गए

गुजरात में तीसरी बार विजय पताका फहराने वाले नरेन्द्र मोदी आज राज्यपाल के हाथों सुप्रीम कोर्ट में हार गए| सर्वोच्च न्यायलय ने जस्टिस आर ऐ मेहता को गुजरात का लोकायुक्त बनाए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है |राज्यपाल कमला बेनीवाल ने जस्टिस मेहता की न्युक्ति की थी .
सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि बेशक राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह के काम करने के लिए बाध्य है लेकिन जस्टिस मेहता की नियुक्ति सही थी क्योंकि गुजरात हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से सलाह के बाद उन्हें लोकायुक्त बनाया गया था .|
इससे पूर्व जनवरी 2012 में हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति वीएम सहाय ने एक खंडपीठ द्वारा राज्यपाल के निर्णय की वैधता पर बंटा हुआ फैसला आने के बाद लोकायुक्त की नियुक्ति को बरकरार रखा था। न्यायमूर्ति सहाय ने संवैधानिक संकट पैदा करने को लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की खिंचाई करते हुए कहा गया था कि राज्यपाल को नियुक्ति का विवेकाधीन अधिकार होता है। मुख्यमंत्री द्वारा लोकायुक्त मुद्दे को लेकर की जा रही उछलकूद- नौटंकी लोकतंत्र के विखंडन को दर्शाती है। हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने दलील दी थी कि अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए राज्य सरकार की सलाह लिए बिना लोकायुक्त की एकतरफा नियुक्ति अवैध है। साथ ही हाई कोर्ट द्वारा मोदी के खिलाफ इस्तेमाल किए गए कड़े शब्दों पर एतराज जताते हुए टिप्पणियों को हटाने की मांग की गई है। राज्यपाल ने आठ वर्ष से खाली पड़े लोकायुक्त के पद पर 25 अगस्त 2011 को सेवानिवृत्त न्यायाधीश मेहता की नियुक्ति कर दी थी।