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स्मार्ट सिटी के नाम पर २०० करोड़ रुपये और मिल जायेंगे तो ही कौन सा पहाड़ खोद लोगे?

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झल्लेया ये मेरठ में क्या कुफ्र कमाया जा रहा है?ओये सबसे ज्यादा इनकम टैक्स देने वाले हसाडे गोल्डन+हिस्टोरिकल शहर +स्पोर्ट्स गुड्स और म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स से लेकर एजुकेशन+मेडिकल+मीडिया हब है |यहाँ के संत्री से लेकर मंत्री लखनऊ से दिल्ली तक सीना ठोकते फिरते हैं |इस सबके बावजूद स्मार्ट शहर बनाये जाने वाली सूची से बाहर करके इसे ९९ के फेर में डाल दिया गया है

झल्ला

ओ मेरे चतुर सुजान जी इस ऐतिहासिक शहर के रखरखाव के लिए प्रतिवर्ष ३०० करोड़ रुपयों का बजट हैं |उसके बावजूद नगर निगम के साथ ही छावनी परिषद के भी ट्रक बिना कवर के सडकों पर कूड़ा बरसाते जाते हैं |डेढ़सौ कालोनियों से टैक्स वसूल नहीं रहे हो+निगम की दुकानों का किराया अनदेखा कर रहे हो+सडकों को गढ़ों से निकाल नहीं पा रहे हैं |ऐसे में स्मार्ट सिटी के नाम पर अगर २०० करोड़ रुपये और मिल जायेंगे तो कौन सा पहाड़ खोद लोगे