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मेरठ की सड़कों पर जलभराव! जलाशयों में जलसंग्रहण वाकई सराहनीय है

[मेरठ,यूपी]मेरठ की सड़कों पर जलभराव! जलाशयों में जलसंग्रहण वाकई सराहनीय है उत्तर प्रदेश में जलाशयों की स्थिति सुधरने का दावा किया जा रहा है इस दावे की पुष्ठि करने के लिए बेशकीमती सडकों पर पानी का जमाव जरुरी है| सम्भवत मेरठ की यह व्यस्तम सड़क पर जलभराव तो यही साबित कर रहा है|मेरठ शहर की यह व्यस्तम सड़क है |नगर निगम के सामने हैं |इस के रखरखाव पर अच्छा ख़ासा बजट खर्च किया जाता है इस सबके बावजूद आये दिन बिना बरसात+तूफ़ान+सुनामी के ही पानी जमा होता रहता है| पानी की बर्बादी का यह भौंडा प्रदर्शन व्यपारियों को भी कुछ मिनटों के लिए चेताता है उसके पश्चात् सब कुछ पहले जैसा चलता रहता है|
मालूम हो के मध्य क्षेत्र में
उत्तर प्रदेश,
उत्तराखंड,
मध्य प्रदेश तथा
छत्तीसगढ़ आते हैं।
इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं।
इन जलाशयों में कुल उपलब्धक संग्रहण 34.23 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 81 प्रतिशत है।
पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 63 प्रतिशत थी।
पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 60 प्रतिशत था।
इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है लेकिन ये आंकड़े साबित करने के लिए बसावट वाले इलाकों की बहुमूल्य सडकों पर जल भराव पर हर किसी को एतराज करने का हक है |प्रधान मंत्री द्वारा एक वेबसाइट के द्वारा ख़राब सडकों की शिकायत की जा सकती है लेकिन उत्तर प्रदेश में ऐसे कोई व्यवस्था नहीं है शायद इसीलिए नगर निगम के अधिकारियों की आय और संपत्ति पर नजर जरुरी है|
फोटो कैप्शन
रिक्शा वाले भैया सामने देखो वरना हो जायेगा ४० का ३६

गड्डो में गिरने वालों के लिए खुश खबरी,गड्डो के निकट सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल

[मेरठ,यूपी]गड्डो में गिरने वालों के लिए खुश खबरी,गड्डो के निकट बनवा दिए गए हैं सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल
मेरठ को स्मार्ट बनवाने में असफल हुए मेरठ के शासन+प्रशासन ने नागरिकों की सुविधा के लिए एकनया मार्ग खोज लिया है |भारी भरकम हाउस टैक्स देने वाली पॉश कालोनियों में गड्डो में सड़क तलाशते नागरिकों को आये दिन दुर्घटनाओं का शिकार होना पड़ता है|
जख्मी हालत में उन्हें हॉस्पिटल में लेजाने में देर होती है और गम्भीर परिणाम आते हैं | इसीलिए अब मेयर+नगर आयुक्त+प्रशासन +शासन ने गड्ढों के किनारों पर ही नर्सिंग होम+हॉस्पिटल बनवा दिए हैं |नव निर्मित सडकों के धंसने से गड्ढे दिनों दिन गहराते जाते हैं|इससे फायदा सभी का है ,क्योंकि गड्ढे गहरे होंगे तभी उनमे कोई “प्रिंस” फंसेगा और सड़क के किनारे लगवाए गए जनरेटरों से कोई टकराएगा तभी मीडिया का कैमरा भी चमकेगा |जहां मीडिया का कैमरा चमकता है ,वहां मेयर+विधायक+सांसद का पहुंचना तो बनता है |इसके अलावा आयुक्त+मंडलायुक्त +जिलाधिकारी को भी हेलमेट लगा कर घटना स्थल तक आने का सौभाग्य मिल जाता है |
ऐसा ही एक हॉस्पिटल गंगानगर में बनवाया गया है |शिक्षण संस्थान के लिए प्राप्त जमीन के उद्देश्य को बदलवा कर उस पर महंगी सुपर स्पेशलिटी अस्प्ताल का निर्माण करवा दिया गया है|
यहां २४ घंटे इमरजेंसी की सुविधा है |अर्थात गड्ढों में गिरे तो तत्काल सुपर स्पेशिलिटी में पहुंचे |