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पोलिटिकली+कल्चरली सेंसरशिप स्वीकार्य है : सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से

एन डी ऐ इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने अपने नवीनतम ब्लॉग के पश्च्य लेख[ TAILPIECE ] के माध्यम से इन्टरनेट के माध्यम से व्यक्त किये जा रहे विचारों पर लगाई जा रही सेंसरशिप का उल्लेख किया है | उन्होंने सी आई ऐ [CIA ]के पूर्व निदेशक MichaelHayden के हवाले से पोलिटिकली+कल्चरली [ POLITICALLY AND CULTURALLY ] सेंसरशिप को बेहतर बताया है| श्री आडवाणी ने माइकल हेडेन [ MichaelHayden ] की पुस्तक के हवाले से विश्व में तीन प्रकार की सेंसरशिप का उल्लेख किया है|
[१]

खुल्लमखुल्ला

सेंसर शिप के लिए दबंग चाइना का ज्वलंत उदहारण दिया जा सकता है| चाइना में फेस बुक+ट्विटर+टुम्बिर आदि सोशल साईट्स को थियमनन चौक कांड के बाद [ Tianenmen Square ] सरकार द्वारा खुल्लम खुल्ला बैन कर दिया गया| दलाई लामा के तिब्बत आन्दोलन पर चर्चा पर पूर्णतया पाबंदी है|
[२]

शर्मनाक भेड़ छननी

[ SHEEPISH:Filter ]इसके सपोर्ट में टर्किश सरकार का उदहारण दिया गया है| टर्किश सरकार स्वयम को इंटरनेट यूसर्स के साथ असहज मानती है| बेशक यहाँ चीन की तरह खुल्लम खुल्ला दबंगई नही है फिर भी सूचना या चेतावनी दिए बगैर ही लगभग ८००० वेबसाइट ब्लाक कर दी गई है|
[३]

पोलिटिकली+कल्चरली स्वीकार्य

[POLITICALLY AND CULTURALLY ]इस फ़िल्टर को सबसे भिन्न बताया गया है| इसके लिए साउथ कोरिया+ जर्मनी + मलेशिया के उधारण हैं| यह सेंसर शिप चुनिन्दा और कानूनन कुछ स्पेशल केसों पर ही लागू होती है| जिसे छुपाया नहीं जाता +जबरदस्ती थोपा नही जाता+चोरी छुपे लागू नहीं किया जाता| हेडेन की पुस्तक में इस तरीके की सेंसरशिप की कामना की गई है|
सर्व विदित है के भारत में इमरजेंसी के कारण श्री आडवाणी आदि राजनीतिज्ञों ने जेलों में कष्ट सहे थे|और उस उत्पीडन से उबरने के लिए जनता पार्टी का गठन किया गया था| अब फिर से देश में सोशल मीडिया पर पाबन्दी लगाने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं ऐसे में यह लेख आई ओपनर हो सकता है|