Ad

Tag: Minister of State for Home Affairs

44546 Cyber Crime Cases Booked in 2019;MoHA

(New Delhi) 44546 Cyber Crime Cases Booked in 2019
As per data maintained and published by NCRB,
21796,
27248 and
44546 cyber crime cases have been registered during the years
2017,
2018 &
2019 respectively.
The motives behind cyber crime in the country inter-alia include personal revenge, fraud, sexual exploitation, inciting hate, spreading piracy, stealing information etc.
“Police” and “Public Order” are State subjects as per Seventh Schedule of the Constitution of India and States are primarily responsible for the prevention, detection, investigation, prosecution of crimes including cyber crimes.To strengthen the mechanism to deal with cyber crimes in a comprehensive and coordinated manner, the Central Government has taken steps for spreading awareness about cyber crimes; issuance of alerts/advisories; capacity building/training of law enforcement personnel/prosecutors/judicial officers; improving cyber forensic facilities; etc. The Central Government has also launched National Cyber Crime Reporting Portal, www.cybercrime.gov.in to enable citizens to report complaints pertaining to all types of cyber crimes with special focus on cyber crimes against women and children.
The Government is operating the Cyber Swachhta Kendra (Botnet Cleaning and Malware Analysis Centre) which is providing detection of malicious programs and free tools for cleaning malicious code as well as tools such as M- Kavach for addressing threats related to mobile phones. Indian Computer Emergency Response Team (CERT-In) coordinates with its counterpart agencies in foreign countries on cyber incidents originating outside the country.

This was stated by the Minister of State for Home Affairs, Shri G. Kishan Reddy in a written reply to question in the Rajya Sabha today.

49 Cases Of Anti-Sikh Riots[1984] Identified For re-investigation

[New Delhi] 49 Cases Of Anti-Sikh Riots [1984]Identified For re-investigation
The Special Investigation Team probing the 1984 anti-Sikh riots has identified 49 cases for re-investigation, Rajya Sabha was informed today.
In response to a question, Minister of State for Home Affairs, Hansraj Gangaram Ahir said the Government has, constituted a Special Investigation Team (SIT) for investigating/re-investigating the appropriately serious criminal cases which were filed in the National Capital Territory of Delhi in connection with the 1984 riots and have since been closed.
“Out of the 650 cases registered in connection with anti-Sikh riots, 1984 in Delhi, 49 cases have been identified for re-investigation by SIT as on July 29, 2016,”

Centre Opens Restricted Areas For TOURISM

[New Delhi] Centre Opens Restricted Areas For TOURISM
Under the Foreigners (Protected Areas) Order, 1958 and the Foreigners (Restricted Areas) Order, 1963, some areas have been declared as Protected and Restricted Areas for entry and stay of foreigners. However, with a view to promote tourism, some areas within the Protected/ Restricted Areas have been opened for tourism purpose, from time to time, which can be visited by foreign tourists, either in groups of two or more or as a couple in the case of husband and wife, or by individuals, after obtaining a special permit from the designated competent authority.
The entire area of the States of Manipur, Mizoram and Nagaland is excluded from the Protected Area Regime and this relaxation is presently valid till 31.12.2017.
This was stated by the Minister of State for Home Affairs, Shri Kiren Rijiju in a written reply to question by Shri Dhananjay Mahadik in the Lok Sabha today.

मीडियाकर्मियों की हो रही हत्याओं के आंकड़ों से गृहमंत्रालय और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया अनजान

[नई दिल्ली]मीडियाकर्मियों की हो रही हत्याओं के आंकड़ों से गृहमंत्रालय और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया अनजान| पत्रकारों की हत्‍या के आंकड़े अलग से नहीं रखे जाते हैं।
मीडिया कर्मियों पर आये दिन हमले हो रहे हैं लेकिन इसकी जानकारी गृह मंत्रालय और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में नहीं है
गृह राज्‍य मंत्री हरिभाई परथीभाई चौधरी ने आज लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो (एनसीआरबी) ने वर्ष 2014 से गंभीर चोट के अंतर्गत मीडियाकर्मियों पर हमले के आंकड़े इकट्ठे करना शुरू किए हैं। पत्रकारों की हत्‍या के आंकड़े अलग से नहीं रखे जाते हैं। उपलब्‍ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2014 के दौरान मीडियाकर्मियों पर हमले (गंभीर चोट) के अंतर्गत कुल 113 मामले दर्ज किए गए थे और 30 व्‍यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था।
श्री हरिभाई परथीभाई चौधरी ने बताया कि गृह मंत्रालय को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से ”पत्रकारों की सुरक्षा” पर कोई रिपोर्ट प्राप्‍त नहीं हुई है और पत्रकारों पर हमले की जांच के लिए विशेष कार्य बल के गठन का कोई प्रस्‍ताव नहीं है। किसी व्‍यक्ति को सुरक्षा देने का प्रावधान उस राज्‍य सरकार की मुख्‍य जिम्‍मेदारी है, जिसके क्षेत्राधिकार में आम तौर पर वह व्‍यक्ति निवास करता है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा खतरे के मूल्‍यांकन के आधार पर सुरक्षा प्रदान की जाती है। पत्रकारों/मीडियाकर्मियों के लिए सुरक्षा प्राप्‍त करने वालों का अलग से कोई वर्गीकरण नहीं है, हालांकि सुरक्षा कवर के लिए आवेदन देने वालों में पत्रकार/मीडियाकर्मी भी शामिल हैं। पत्रकारों/ मीडियाकर्मियों सहित सभी व्‍यक्तियों से प्राप्‍त अभ्‍यावेदनों को उनके ऊपर खतरे का मूल्‍यांकन करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को भेज दिया जाता है। उनके ऊपर खतरे के मूल्‍यांकन के अनुसार सुरक्षा प्रदान करने के लिए संबंधित राज्‍य सरकरों/पुलिस को उपयुक्‍त परामर्शी पत्र जारी किए जाते हैं।

राज्यों के “वीआईपी” वर्ग को मुहैय्या करवाई जा रही सुरक्षा का खर्च उपलब्ध नही है

[नई दिल्ली]राज्यों द्वारा अपने “वीआईपी” वर्ग को मुहैय्या करवाई जा रही सुरक्षा का खर्च केंद्र के पास उपलब्ध नही है यह स्वीकारोक्ति आज गृह राज्य मंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी ने की |श्री चौधरी ने लोकसभा में ओम बिरला के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी है|
देश के २७५ माननीयों को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मुहैय्या करवाई जा रही है वीआईपी सुरक्षा|
वर्तमान में महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान व्यक्तियों जैसे- राष्ट्रपति+उपराष्ट्रपति+प्रधानमंत्री+केन्द्रीय मंत्रियों+उच्चतम न्यायालय +उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश/जजों+लोकसभा अध्यक्ष +र राज्य सरकार की व्यवस्था में इन के समकक्षों और राष्ट्रीय सुरक्षा महत्व के संवेदनशील विषयों को देखने वाले कुछ वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारियों को सुरक्षा कवर प्रदान किया जाता है।
संविधान के अधीन कानून और व्यवस्था क्योंकि राज्य का विषय है इसलिए किसी राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के अधीन रहने वाले किसी निवासी को सुरक्षा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से संबंधित राज्य सरकार की होती है। खतरे का आकलन करने, सुरक्षा उपलब्ध कराने और सुरक्षा की समीक्षा करने के लिए राज्य सरकारों का अपना-अपना तंत्र है।
केन्द्र सरकार भी कुछ व्यक्तियों को खतरे के आकलन के आधार पर सुरक्षा कवर उपलब्ध कराती है। यह उपलब्ध कराए जाने वाली सुरक्षा समीक्षा के आवधिक आकलन जैसे- सुरक्षा जारी रखी जाए/वापिस ली जाए/कम की जाए/बढ़ाई जाने के आकलन पर आधारित होती है इसलिए केन्द्रीय सूची में सुरक्षा पाये व्यक्तियों की संख्या समय-समय पर बदलती रहती है। आज की तारीख के अऩुसार केन्द्रीय सूची में 275 व्यक्तियों को खतरे के आधार पर सुरक्षा प्रदान की गयी है। चार प्रकार की सुरक्षा का विवरण इस प्रकार हैः-
[१]’जेड’ प्लस श्रेणी- 31
[२]’जेड’ श्रेणी – 77
[३]’वाई’ श्रेणी – 136
[४]’एक्स’ श्रेणी- 31
‘योग’ – 275
राज्य सरकार द्वारा संरक्षित व्यक्तियों और उनकी सुरक्षा पर आने वाले व्यय के विवरण के विषय में गृहमंत्रालय ने अनभिग्यता जाहिर की है |
जहां तक सुरक्षा व्यय का संबंध है उसका संक्षेप में निर्धारण करना बहुत कठिन हैं क्योंकि इसमें सुरक्षा कर्मियों के वेतन + भत्ते+ संचार+यातायात वाहनों के खर्च को शामिल करना होगा। इनकी सुरक्षा कवर उपलब्ध कराने में लगी राज्य सरकार एजेंसियों सहित विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के संबंधित बजट शीर्षकों में गणना की जाती है। ऐसा विवरण केन्द्रीय रूप से संकलित नहीं किया जाता है इसलिए इसे उपलब्ध नहीं कराया जा सकता। यह जानकारी आज लोकसभा में गृह राज्य मंत्री श्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी ने श्री ओम बिरला के प्रश्न के लिखित उत्तर में दी थी।

विश्‍व की सबसे बड़ी आबादी किशोर और युवा है जिसमे निवेश स्पर्धी लाभकारी है:विश्‍व जनसंख्‍या दिवस- 2014

[नई दिल्ली]
केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने विश्‍व जनसंख्‍या दिवस- २०१४ के अवसर पर बताया कि भारत के पास विश्‍व की सबसे बड़ी किशोर और युवा आबादी है और इसमें निवेश स्पर्धी लाभकारी सिद्ध होगा| उन्होने युवाओं की समस्‍याओं के तत्‍काल समाधान पर भी बल दिया |
केंद्रीय गृह मंत्री ने आज विश्‍व जनसंख्‍या दिवस-2014 समारोह का उद्घाटन किया। यह समारोह भारत के महापंजीयक तथा जनगणना आयुक्‍त के कार्यालय तथा संयुक्‍त राष्‍ट्र जनसंख्‍या कोष (यूएनएफपीए) द्वारा संयुक्‍त रूप से आयोजित किया गया था। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जनसंख्‍या संगठन डाटा प्रसार की ऐसी रणनीति का पालन कर रहा है जिसका उद्देश्‍य सभी वर्गों के डाटा उपयोगकर्ताओं के साथ मजबूत भाईचारा विकसित करना है।
श्री राजनाथ सिंह ने यूथइंफो इंडिया, सेनससइंफो इंडिया तथा सेंसस डिजिटल लाइब्रेरी को सीडी पर साफ्टवेयर आधारित माड्यूल के जरिये लांच किया।
गृह मंत्री ने बताया कि 10-24 वर्ष के आयु वर्ग में युवाओं की कुल आबादी 36.50 करोड़ है। इस तरह देश में प्रत्‍येक तीसरा व्‍यक्ति युवा है। आंकड़ा यह भी दिखाता है कि 10-19 वर्ष के आयु वर्ग में प्रत्‍येक पांचवां व्‍यक्ति किशोर है। उन्‍होंने कहा कि विश्‍व जनसंख्‍या दिवस- 2014 का विषय ‘भारत के युवाओं में निवेश’ देश के लिए स्‍पर्धी लाभ लेने के लिए बेहतर मार्ग है। उन्‍होंने युवाओं की समस्‍याओं की ओर तत्‍काल ध्‍यान देने की आवश्‍यकता पर जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है यहां युवा अपना लक्ष्‍य जारी रख सकें और पसंद के क्षेत्रों में उत्‍कृष्‍टता हासिल कर सकें।
श्री राजनाथ सिंह ने साफ्टवेयर आधारित माड्यूल सेंससइंफो इंडिया तथा यूथइंफो इंडिया पोर्टल संयुक्‍त रूप से बनाने के लिए यूएनएफपीए तथा यूनीसेफ जैसी एजेंसियों की सराहना की।
गृह राज्‍य मंत्री श्री किरण रिजुजू ने जनगणना आंकड़ों को ‘भारत के युवाओं में निवेश’ विषय से जोड़ने के महत्‍व पर प्रकाश डाला। उन्‍होंने कहा कि सरकार ई-शासन तथा उपयोगकताओं के लिए डाटा डिजिटलीकरण के प्रति प्रतिबद्ध है।
केंद्रीय गृह सचिव श्री अनिल गोस्‍वामी, भारत में यूएनएफपीए तथा यूनीसेफ के प्रतिनिधि, भारत के महापंजीयक तथा जनगणना आयुक्‍त ने भी अपनी राय रखी। संयुक्‍त राष्‍ट्र एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने भारत में युवा और विकास विषय पर उन्‍हें साथ लाने के लिए भारत सरकार को धन्‍यवाद दिया।
फोटो कैप्शन
The Union Home Minister, Shri Rajnath Singh released two publications on adolescents and youth in India at the inauguration of the world population day celebrations, in New Delhi on July 17, 2014.
The Minister of State for Home Affairs, Shri Kiren Rijiju and the Union Home Secretary Shri Anil Goswami are also seen.