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दागी नेताओं को बचाने वाले अध्यादेश की वापिसी के लिए राष्ट्रपति श्रेय के वास्तविक हकदार हैं ,राहुल गाँधी नही: सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से

[नई दिल्ली] दागी नेताओं को बचाने वाले अध्यादेश की वापिसी के लिए राष्ट्रपति श्रेय के वास्तविक हकदार हैं ,राहुल गाँधी नही: सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पत्रकार लालकृष्ण आडवाणी ने दागी नेताओं को बचाने वाले अध्यादेश की वापिसी के लिए , अपने नवीन ब्लॉग में,राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को क्रेडिट दिया | ब्लॉगर अडवाणी ने अध्यादेश पर केंद्र की कांग्रेस नीत सरकार के यूटर्न लेने का कारण राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को बताया है। उन्होंने इसके पीछे राहुल के विवादास्पद बयान को दरकिनार करते हुए लिखा है कि इस विषय में राहुल गाँधी को श्रेय देने की कोई जरूरत नहीं है। आडवाणी ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को एक बार फिर से सरकार की साख को बचाने का श्रेय दिया है।
अडवाणी के अनुसार राहुल के बयान के बाद मुश्किल में फंसे प्रधानमंत्री ने देश वापसी के बाद केबिनेट में इस पर चर्चा की बात कही थी। राहुल ने अपने साडे तीन मिनट के बयान में इसको बकवास करार देते हुए अध्यादेश को फाड़कर फेंक देने की बात तो जरूर कही, लेकिन यह नहीं बताया कि यह क्यों बकवास है और उन्हें यह क्यों नामंजूर है।
24 सितंबर को दागी नेताओं की कुर्सी को बचाने वाला अध्यादेश सरकार ने पास किया था तभी लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्य सभा के नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने इसका विरोध करने की जानकारी ट्वीट आदि के जरिए दी थी जिसके पश्चात वह अपने पार्टी के सदस्यों के साथ राष्ट्रपति से मिले भी थे। राष्ट्रपति से हुई 45 मिनट की बातचीत में वह खुद इस बात को लेकर आशांवित थे कि राष्ट्रपति इस पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे और एक और रबर स्टाम्प राष्ट्रपति नहीं बनेंगे
उन्होंने लिखा है कि राष्ट्रपति के चेहरे से यह जाहिर हो रहा था कि वह उनकी बात से पूरी तरह से सहमत हैं।

बकवास अध्यादेश तो वापिस हो गया अब इसके लिए क्रेडिट लेने के होड़ लगी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम[दागी सांसदों से सम्बंधित] से संबंधित अध्यादेश और विधेयक वापस लेने का फैसला किया है इससे एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट को सम्मान और लोकतंत्र पर लगे काले धब्बों को कुछ हद तक धोया जा सकेगा लेकिन अब एक नई बहस शुरू हो गई है इसके लिए क्रेडिट लेने के बहस |यह स्वाभाविक भी है राजनीतिक श्रेय लेने के लिए अपने ढंग से दलीले देने में जुट गए है|जनता तो शायद क्रेडिट तभी देगी जब पार्टियाँ चुनावों में टिकट बांटने में अपनी विचार धारा को प्रकट करेंगी |
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन के उद्देश्य से प्रस्तावित अध्यादेश के बारे में व्यक्त की गई विभिन्न चिंताओं को देखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यह अध्यादेश और तत्संबंधी विधेयक वापस लेने का निर्णय किया है। प्रस्तावित अध्यादेश की वैधता और उपयुक्तता को लेकर व्यक्त की जा रही इन चिंताओं के मध्य नजर सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों की सदस्यता बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश को कैबिनेट ने वापस लेने की घोषणा कर दी गई है|
बुधवार की शाम 6 बजे सिर्फ 15 मिनट के लिए केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक में यूपीए के सहयोगी दलों की नराजगी को भी नजरअंदाज कर दिया गया। इतना ही नहीं,अब दागी नेताओं को बचाने वाले बिल को भी वापस लिया जाएगा|
कैबिनेट की बैठक के बाद बताया गया कि यह फैसला कैबिनेट की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। चूंकि यह बिल फ़िलहाल संसद की धरोहर है इसीलिए संसद के अगले सत्र के दौरान संबंधित बिल भी तय प्रक्रिया के मुताबिक वापस ले लिया जाएगा|अब कांग्रेस और भाजपा इसके लिए क्रेडिट लेने में जुट गए हैं जिसका विरोध भी शुरू हो चुका है|गौरतलब है की कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने इस अध्यादेश को बकवास बता कर इसे फाड़ने की मांग की थी जिसके पश्चात कांग्रेस और सरकार ने आर्डिनेंस को वापिस लेने की कवायद शुरू की|उधर भाजपा और आप पार्टी भी इसे अपनी सफलता बता रही हैं|एक महत्वपूर्ण भूमिका प्रेजिडेंट प्रणब मुखर्जी ने भी निभाई हैउन्होंने इस बिल पर अनेको सवाल उठा कर इसे वापिस लौटाने का निर्णय लिया संबवत जिसके पश्चात राजनीतिक हलचल तेज हुई| |
उत्तर प्रदेश में सत्ता रुड समाज वादी पार्टी [सपा] के नेता नरेश अग्रवाल ने तो अध्यादेश और बिल की वापिसी को ही लोक तंत्र के लिए खतरा बता दिया है|
इस नए घटना क्रम के फल स्वरुप एनसीपी नेता डी.पी. त्रिपाठी राहुल गांधी के बयान पर नाराजगी जताते हुए कह चुके हैं कि उनकी पार्टी सरकार की सहयोगी है और वे राहुल गांधी के अनुयायी नहीं हैं। नैशनल कॉन्फ्रेंस ने इस मसले पर यूपीए समन्वय समिति की बैठक बुलाने की मांग की है।
हालांकि, सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की बैठक में शरद पवार ने इसका थोडा़ विरोध किया, लेकिन आखिरकार बैठक में सर्वसम्मति से अध्यादेश वैपस लेने का फैसला किया गया।
बताते चलें के वाच डॉग एसोशिएशन [ watchdog Association of Democratic Reforms (ADR) ] के अनुसार फिलहाल ७० से अधिक सांसद [एम् पी]दागी की श्रेणी में आते हैं और अपनी सदस्यता खो सकते हैं|| इनमे से १८ भाजपा के हैं+कांग्रेस के १४ दागी सांसद हैं+ समाजवादी पार्टी के ८ + बहुजन समाज वादी पार्टी [BSP ] के ६+ऐ आई डी एम् के के ४+ जे दी यूं के ३+ वामपंथी ३ के अलावा १७ अन्य दलों से बताये गए हैं|

डॉ मन मोहन सिंह ने सरकार के आर्डिनेंस की आलोचना कर रहे अपनी ही पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के विरोधी स्वरों को शक्ति प्रदान करते हुए पुनर्विचार का आश्वासन दिया

डॉ मन मोहन सिंह ने सरकार के आर्डिनेंस की आलोचना कर रहे अपनी ही पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के विरोधी स्वरों को शक्ति प्रदान करते हुए इस पर पुनर्विचार का आश्वासन दिया |प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह ने अपनी सरकार द्वारा जारी आर्डिनेंस की आलोचना कर रहे अपनी ही पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के विरोधी स्वरों को शक्ति प्रदान की और स्वीकार किया कि कैबिनेट से स्वीकृति प्राप्त जन प्रतिनिधित्व कानून पर अध्यादेश और अधिक सार्वजनिक बहस का विषय है।
अमेरिका में अपने प्रवास के दौरान पी एम् ने कहा ” कांग्रेस उपाध्यक्ष ने भी मुझे लिखा है और एक बयान भी जारी किया है। सरकार ने इन सभी घटनाक्रम को समझा है। इस उठाए गए मुद्दे पर मेरे भारत लौटने के बाद कैबिनेट में उपयुक्त विचार-विमर्श के बाद विचार होगा”
गौरतलब है कि दोषी सांसदों+विधायकों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उलटने वाले यूं पी ऐ के अध्यादेश को कांग्रेस ने स्वयम ही बकवास बताया तो भाजपा ने इसे नाटक कहा है|इस विवादास्पद अध्यादेश पर अब राजनीती शुरु हो गई है|प्रेजिडेंट प्रणब मुखर्जी ने भी अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने से पूर्व इसके ओचित्य पर कुछ प्रश्न उठाये हैं जिसे लेकर केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली हास्यास्पद बन कर रह गई है|पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में इसके नकारात्मक असर को बेअसर करने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने इस विवादित अध्यादेश को ‘बिल्कुल बकवास’ करार दिया है और अपनी ही सरकार की आलोचना भी कर डाली है जिसे अब पार्टी की लाइन बतया जा रहा है|

दोषी सांसदों+विधायकों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उलटने वाले यूं पी ऐ के अध्यादेश को कांग्रेस ने बकवास बताया तो भाजपा ने इसे नाटक कहा

दोषी सांसदों+विधायकों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उलटने वाले यूं पी ऐ के अध्यादेश को कांग्रेस ने बकवास बताया तो भाजपा ने इसे नाटक कहा दोषी ठहराए गए सांसदों+ विधायकों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उलटने के लिए लाए जा रहे विवादास्पद अध्यादेश पर राजनीती शुरु हो गई है| भाजपा ने जहाँ अपने आप को इससे अलग कर लिया है और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस पर हमले तेज कर दिए हैं तो कांग्रेस ने अपने को घिरा महसूस करते हुए अपनी ही यूं पी ऐ सरकार के निर्णय की आलोचना शुरू कर दी है|इस विषय में कांग्रेस को नितीश कुमार और सोम नाथ चटर्जी के रूप में समर्थक भी मिल गए हैं|
कांग्रेस अपने आप को घिरा महसूस कर रही है इसीलिए अपने को सरकार से अलग दिखाने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज आर्डिनेंस पर अलग रुख अख्तियार कर लिया|उन्होंने दोषी ठहराए गए सांसदों+ विधायकों पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए लाए जा रहे विवादास्पद अध्यादेश को ‘बिल्कुल बकवास’ करार दिया और कहा कि उनकी यूं पी ऐ सरकार ने जो कुछ किया है, वह गलत है।इससे कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन [ UPA ] सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा होना स्वाभाविक है| इसके फल स्वरुप भाजपा ने जहां प्रधान मंत्री का इस्तीफा मांग लिया है तो पी एम् के पूर्व सलाहकार ने आगे आ कर पी एम् को इस असहज स्थिति से बाहर निकलने के लिए स्वयम इस्तीफ़ा देने की सलाह दे डाली है| अध्यादेश को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा गलत बताए जाने को भाजपा ने विलंबित डेमेज कंट्रोल के लिए ड्रामा बताया |भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज नाथ सिंह ने इसे कांग्रेस और सरकार में टकराव बताते हुए पूछा कि सरकार के एनी कदमो पर कांग्रेस पार्टी का क्या रुख है? राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने कहा कि सरकार में इस कदम के लिए जिम्मेदार लोगों को त्यागपत्र दे देना चाहिए ।,लोक सभा के पूर्व स्पीकर सोम नाथ चटर्जी ने राहुल गाँधी के स्टेंड को प्रिंसिपल स्टेंड बताया तो बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार ने .राहुल का समर्थन करते हुए बिल को पार्लियामेंट में पास नहीं कराये जाने पर टिपण्णी की| आम आदमी पार्टी[आप] ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात करके बिल को पुनर्विचार के लिए लौटाने का आग्रह किया है|
प्रेजिडेंट प्रणब मुखर्जी ने दोषी ठहराए गए सांसदों+ विधायकों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उलटने के के लिए लाए जा रहे अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने से पूर्व इसके ओचित्य पर कुछ प्रश्न उठाये हैं जिसे लेकर केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली हास्यास्पद बन कर रह गई है|पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में इसके नकारात्मक असर को बेअसर करने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने इस विवादित अध्यादेश को ‘बिल्कुल बकवास’ करार दिया और अपनी ही सरकार की आलोचना भी कर डाली जिसे अब पार्टी की लाइन बतया जा रहा है|