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राष्ट्रपति ने उभरती हुई चुनौतियों का सामना करने के लिए सीपीडब्लूडी को आगाह किया

[नई दिल्ली]राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने सतत शहरी विकास के लिए स्‍थाई परिवास और ऊर्जा संरक्षण की आवश्‍यकता पर बल दिया। महानिदेशक श्री जीएस तवरमलानी को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्‍कार प्रदान किया गया|
देश के प्रमुख इंजीनियरी संगठन (के.लो.नि.वि.), केंद्रीय लोक निर्माण विभाग[ CPWD ]की स्‍थापना के 160 वर्ष पूरे होने के अवसर पर उसके योगदान की सराहना की गई लेकिन प्रतिस्‍पर्धा में बने रहने के लिए उसे आगाह भी किया गया।
राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी और शहरी विकास एवं आवास और गरीबी उन्‍मूलन मंत्री और भाजपा के मुख्य सचेतक श्री एम. वेंकैया नायडू ने के.लो.नि.वि. के योगदान का स्‍मरण करते हुए इस विशाल निर्माण संगठन को आगाह किया कि उसे उभरती हुई चुनौतियों का सामना करने के लिए सजग रहना चाहिए।
आज के.लो.नि.वि. की 160वीं वर्षगांठ समारोह का उदघाटन करते हुए राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने इस संगठन से कहा कि विश्‍व के सर्वोत्‍कृष्‍ट संगठनों के बीच स्‍थान पाने के लिए उसे अधिक चुस्‍त, अधिक गतिशील और अत्‍यंत व्‍यावसायिक संगठन के रूप में विकसित होने के लिए काम करना चाहिए। श्री मुखर्जी ने सुझाव दिया कि के.लो.नि.वि. को उन क्षेत्रों पर ध्‍यान केंद्रित करना चाहिए जहां नवाचार और आधुनिकता की बदौलत आर्थिक विकास में तेजी लाई जा सकती है। उन्‍होंने कहा कि विभाग को ग्रामीण सड़क संचार, स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा सुविधाओं, जलापूर्ति और स्‍वच्‍छता पर अधिक ध्‍यान देना चाहिए।
उन्‍होंने कहा कि स्‍थाई परिवास आज समय की आवश्‍यकता है और सतत शहरी विकास के लिए ऊर्जा सक्षम भवनों का निर्माण एक महत्‍वपूर्ण कार्यनीति है। उन्‍होंने के.लो.नि.वि. कि उसे निर्माण के लिए नए डिजाइनों और पद्धतियों का इस्‍तेमाल करना चाहिए। श्री मुखर्जी ने परिसंपत्तियों के रख रखाव के लिए अत्‍याधुनिक प्रक्रियाएं अपनाने की आवश्‍यकता पर बल दिया।
राष्‍ट्रपति ने रण का कच्‍छ, थार रेगिस्‍तान, हिमालय के ऊंचाई वाले स्‍थानों, पूर्वोत्‍तर क्षेत्र और विदेश में अफगानिस्‍तान में किए गए निर्माण कार्यों के लिए के.लो.नि.वि. को बधाई दी। उन्‍होंने कहा कि मुझे व्‍यक्तिगत रूप से राष्‍ट्रपति भवन में विभिन्‍न परियोजनाएं कार्यान्वित करने वाली के.लो.नि.वि. की टीम के प्रयासों को देखने का अवसर मिला है।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री नायडू ने कहा कि 160 वर्ष के लंबे और घटनापूर्ण सफर के बाद के.लो.नि.वि. को भविष्‍य में आगे बढ़ने के लिए आत्‍ममंथन करने की आवश्‍यकता है। मंत्री महोदय ने हाल ही में निर्माण भवन में रख रखाव कार्यों का निरीक्षण किया था। उन्‍होंने के.लो.नि.वि. से कहा कि उसे एक ऐसे कार्य वातावरण पर ध्‍यान केंद्रित करना चाहिए जिसमें कार्य सक्षमता उजागर हो। उन्‍होंने कहा कि के.लो.नि.वि. को धारणा, प्रतिस्‍पर्धा और संपूर्णता को लक्ष्‍य बनाते हुए कौशल, आकार और गति को कार्यनीति का हिस्‍सा बनाना चाहिए।
श्री नायडू ने के.लो.नि.वि. के महानिदेशक श्री जीएस तवरमलानी को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्‍कार प्रदान किया। उन्‍हें के.लो.नि.वि. के विभिन्‍न पहलुओं में योगदान के लिए सम्‍मानित किया गया। संगठन में बेहतर योगदान करने वाले अन्‍य अधिकारियों को भी महानिदेशक के पदक और प्रशंसा प्रमाणपत्रों से सम्‍मानित किया गया।
इस अवसर पर सुश्री अनीता अग्निहोत्री, सचिव (आवास एवं शहरी गरीबी उन्‍मूलन तथा शहरी विकास विभाग), श्री वी के गुप्‍ता, महा निदेशक, के.लो.नि.वि., वरिष्‍ठ अधिकारी और के.लो.नि.वि. के कई पूर्व महानिदेशक भी मौजूद थे।
गौरतलब है कि सीपीडब्‍ल्‍यूडी की स्‍थापना 12 जुलाई 1854 को की गई थी। इस विभाग को देश की आजादी के बाद बीसवीं शताब्‍दी के प्रारंभ में अन्‍य भारी निर्माण कार्यों के अलावा राष्‍ट्रपति भवन, नार्थ और साउथ ब्‍लॉक, संसद भवन, लुटियंस दिल्‍ली जैसे प्रतिष्ठित भवनों को बनाने का श्रेय प्राप्‍त है। वर्ष 2013-14 में सीपीडब्‍ल्‍यूडी ने 10,000 करोड़ रुपए की लागत से कार्य संपन्‍न कराए। गांधीनगर, भुवनेश्‍वर, मंडी, पटना, जोधपुर में भारतीय तकनीकी संस्‍थान (आईआईटी), विभिन्‍न राज्‍यों में केंद्रीय विश्‍वविद्यालयों, नई दिल्‍ली में संसद एनेक्‍सी भवन और सुप्रीम कोर्ट भवन का विस्‍तार इत्‍यादि बड़े निर्माण कार्य प्रगतिशील स्थिति में हैं।
सीपीडब्‍ल्‍यूडी के सभी निर्माण कार्यों में ‘ग्रीन फीचर्स’ को अपनाया जा रहा है।
वर्तमान में सीपीडब्‍ल्‍यूडी में कुल 32,000 कर्मचारी कार्यरत हैं। इसमें 5,400 सिविल इंजीनियर, 2,100 इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियर, 360 वास्‍तुविद और 170 उद्यान विशेषज्ञ शामिल हैं।
फोटो कैप्शन
The President, Shri Pranab Mukherjee and the Union Minister for Urban Development, Housing and Urban Poverty Alleviation and Parliamentary Affairs, Shri M. Venkaiah Naidu releasing a book at the 160th Annual Day of Central Public Works Department (CPWD), in New Delhi on July 12, 2014.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति ने स्त्री शक्ति पुरस्कार प्रदान किए

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति ने प्रतिष्ठित महिलाओं के नाम पर स्त्री शक्ति पुरस्कार प्रदान किए महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश को दो दो ओडिसा और दिल्ली को एक एक पुरुस्कार मिला
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज छह महिलाओं को विशिष्ट उपलब्धियों के लिए स्त्री शक्ति पुरस्कार प्रदान किए। स्त्री शक्ति पुरस्कार पाने वालों को राज्य सरकारें, सांसद, अति विशिष्ट व्‍यक्ति और स्व प्रेरणा पर मनोनित करते है और राष्ट्र स्तरीय एक स्क्रीनिंग कमेटी उनका चुनाव करती है । भारत की प्रतिष्ठित महिलाओं के नाम पर छह पुरस्कारों की शुरुआत की गई थी। पुरस्कार के तौर पर तीन लाख रुपये नकद और सम्मान-पत्र दिया जाता है। इस वर्ष की पुरस्कार विजेताओं का विवरण-
[1]ओडिशा की श्रीमती मानसी प्रधान को महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कार्य करने के लिए रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार 2013 से सम्मानित किया गया।
[2]आंध्र प्रदेश की डॉ. एम. वेंकैया को महिलाओं के स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान के लिए रानी रुद्रम्मा देवी पुरस्कार 2013 से सम्मानित किया गया।
[3]महाराष्ट्र की श्रीमती बीना शेठ लश्करी को शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में योगदान के लिए माता जीजाबाई पुरस्कार 2013 से सम्मानित किया गया।
[4]आंध्र प्रदेश की श्रीमती टी. राधा के. प्रशांति को अनाथों, दृष्टिबाधितों, विकलांगों और बेसहारा महिलाओं की सहायता करने के लिए कन्नगी पुरस्कार 2013 से सम्मानित किया गया।
[5.]दिल्ली की डॉ. वर्तिका नंदा को मीडिया के माध्यम से महिलाओं से जुड़े मुद्दों के विषय में जागरूकता पैदा करने के लिए रानी गायडिन्ल्यू ज़ेलियांग पुरस्कार 2013 से पुरस्कृत किया गया।
[6] महाराष्ट्र की डॉ. सीमा सखारे को महिलाओं और लड़कियों को महिला अधिकार, लैंगिक मुद्दों, कानूनी परामर्श और संस्थागत सहायता के लिए देवी अहिल्याबाई होल्कर पुरस्कार 2013 प्रदान किया गया।
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने इस अवसर पर कहा कि महिलाएं गृहणी, माता और शिक्षक के रूप में देश की भावी पीढ़ी तैयार करती हैं। वे कॉरपोरेट वर्ल्ड में व्यवसायी और सहायक रूप में कार्य करती हैं। वे अपने प्रयासों से राष्ट्र निर्माण में बड़े और छोटे योगदान देती हैं। जीवन के सभी क्षेत्रों में एक सम्मानित पेशेवर के रूप में महिलाएं किसी से कम नहीं हैं। वे विज्ञान, अंतरिक्ष और अनुसंधान सभी क्षेत्रों में योगदान दे रही हैं। राष्ट्रपति ने खाद्य सुरक्षा सहित कृषि क्षेत्र में महिलाओं के योगदान का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि देश में निर्माण क्षेत्र में पुरुष से कंधे से कंधा मिलाकर भी महिलाएं अपना योगदान दे रही हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि नए कानूनों को हमें उचित रूप से लागू करना होगा। कानून अकेले महिलाओं को बंधन मुक्त नहीं कर सकता है। इसलिए हमें अपने मानसिक और नैतिक मूल्यों में आधारभूत परिवर्तन करना होगा। हमें हमारी नागरिक सूझबूझ और सामाजिक व्यवहार में भी बदलाव लाना होगा। इसके लिए हमारी माताओं और बहनों को हमारी परम्परा के अनुसार सम्मान और इज्जत देनी होगी। इस तरह हम खुद भी सम्मानित होंगे।
इस मौके पर महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती कृष्णा तीरथ, योजना आयोग की सदस्य श्रीमती सईदा हामिद, समाज सेविका श्रीमती मोहिनी गिरि और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।