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Tag: Press Council of India

Press Council Demands Special Law For The Safety Of Scribes

[New Delhi] Press Council Demands Special Law For The Safety Of Scribes.Murders Of Three Journalists In Just Four Months Rued The Journos
The Press Council of India (PCI) has demanded that a special law be enacted to ensure safety of scribes and cases of attacks on them be tried by fast-track courts.
In a statement issued PCI chairman Justice (retd) Chandramouli Kumar Prasad “strongly condemned” the killings and also rued the fact that in 96 per cent of such cases, the matter is not taken to logical conclusion.
“It is a matter of grave concern that three journalists were killed in the country in the last four months and another died in a tragic accident while on the line of duty,”
Akhilesh Pratap Singh working for news channel, was shot dead by some unknown assailants in Chatra district of Jharkhand and yesterday armed miscreants shot dead the News Bureau Chief of Dainik Hindustan Rajdev Ranjan in Siwan, Bihar.
Earlier Karun Mishra, working with a local newspaper, was killed in Sultanpur district of Uttar Pradesh.
Four days earlier on Monday, 9 May, Ravi Kanojia, a PCI Awardee in 2014, was killed while taking pictures of water train at Jhansi, he added.
“The killing of nine journalists last year and three journalists this year so far, does not bode well for the freedom of media and safety of journalists in the country.
It is sad that such incidents happen in the largest democracy in the world,” Prasad said.
He noted that 96 per cent of the cases of killing of journalists have not been taken to logical conclusion and are either languishing in the courts or in some cases, investigation reached dead-end in the last two decades, as reported by a Committee of the PCI.
He called upon editors, managements and working journalists in the country to launch a campaign to sensitize the civil society on the dangers of killing of journalists with impunity.
Prasad expressed “deep sympathy” with the members of the bereaved families and urged the state governments to pay adequate compensation to them.I& B Minister Arun Jaitely also condemned the murders of these journalists and demanded investigation

Press Council Issues Notice to ,Close To RSS, Organiser

[New Delhi]Press Council Issues Notice to Weekly Organiser
The Press Council of India has issued a show-cause notice to Organiser weekly on a complaint alleging that its article related to Kerala showed the state in “poor light”.
The notice was issued to the Organiser weekly, considered close to the RSS, on December 16 and it has been given 14 days time to respond from the date it is served.
The complaint filed by one Nidheesh P, a resident of Delhi and a member of the Kerala Shastra Sahitya Parishad, alleged that the article titled “Kerala; God’s own Country or Godless Country” defamed and demoralised the culture and civilisation of the citizens of Kerala.
It further alleged that the article is false with the intention of creating communal riots in the name of religion and food habits among peacefully living people in the state.
The article had kicked up a furore in the state with parties across the political spectrum condemning it.

मीडियाकर्मियों की हो रही हत्याओं के आंकड़ों से गृहमंत्रालय और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया अनजान

[नई दिल्ली]मीडियाकर्मियों की हो रही हत्याओं के आंकड़ों से गृहमंत्रालय और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया अनजान| पत्रकारों की हत्‍या के आंकड़े अलग से नहीं रखे जाते हैं।
मीडिया कर्मियों पर आये दिन हमले हो रहे हैं लेकिन इसकी जानकारी गृह मंत्रालय और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में नहीं है
गृह राज्‍य मंत्री हरिभाई परथीभाई चौधरी ने आज लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो (एनसीआरबी) ने वर्ष 2014 से गंभीर चोट के अंतर्गत मीडियाकर्मियों पर हमले के आंकड़े इकट्ठे करना शुरू किए हैं। पत्रकारों की हत्‍या के आंकड़े अलग से नहीं रखे जाते हैं। उपलब्‍ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2014 के दौरान मीडियाकर्मियों पर हमले (गंभीर चोट) के अंतर्गत कुल 113 मामले दर्ज किए गए थे और 30 व्‍यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था।
श्री हरिभाई परथीभाई चौधरी ने बताया कि गृह मंत्रालय को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से ”पत्रकारों की सुरक्षा” पर कोई रिपोर्ट प्राप्‍त नहीं हुई है और पत्रकारों पर हमले की जांच के लिए विशेष कार्य बल के गठन का कोई प्रस्‍ताव नहीं है। किसी व्‍यक्ति को सुरक्षा देने का प्रावधान उस राज्‍य सरकार की मुख्‍य जिम्‍मेदारी है, जिसके क्षेत्राधिकार में आम तौर पर वह व्‍यक्ति निवास करता है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा खतरे के मूल्‍यांकन के आधार पर सुरक्षा प्रदान की जाती है। पत्रकारों/मीडियाकर्मियों के लिए सुरक्षा प्राप्‍त करने वालों का अलग से कोई वर्गीकरण नहीं है, हालांकि सुरक्षा कवर के लिए आवेदन देने वालों में पत्रकार/मीडियाकर्मी भी शामिल हैं। पत्रकारों/ मीडियाकर्मियों सहित सभी व्‍यक्तियों से प्राप्‍त अभ्‍यावेदनों को उनके ऊपर खतरे का मूल्‍यांकन करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को भेज दिया जाता है। उनके ऊपर खतरे के मूल्‍यांकन के अनुसार सुरक्षा प्रदान करने के लिए संबंधित राज्‍य सरकरों/पुलिस को उपयुक्‍त परामर्शी पत्र जारी किए जाते हैं।

Journos to Knock Doors Of Press Council Of India on HC order in Meghalaya

Journos to Knock Doors Of Press Council Of India on HC order in Meghalaya
As per High Court Bandhs infringe on the fundamental rights of the citizens,
Working journalists in Meghalaya today decided to move the Press Council of India and other higher authorities against the recent High Court order which restrained the media from publicising the statement by organisations calling bandhs+strike+hartals+road blockade and also holding rallies. This Decision was unanimously taken at an emergent meeting convened by the Club
Shillong Press Club president D Laitphlang said “We have unanimously decided to move the Press Council of India and the other higher authorities available against the High Court ruling which will have a greater ramification in the role and functions of the media in a democratic state,”
A full bench of the High Court comprising Chief Justice Uma Nath Singh, Justice T Nandakumar Singh and Justice S R Sen banned the media from carrying statements on agitations with “unlawful design” while responding to a plea made by the Director General of Police, Rajiv Mehta, to restrain media from carrying statements of outlawed HNLC and other organisations calling bandhs and other forms of agitations.
Stating that calling of bandhs infringe on the fundamental rights of the citizens, inter alia, under Articles 19 and 21 of the Constitution, the court held the organisers and sponsors of such bandh be held liable under the law to recoup and make good the loss and damages.
The Court was hearing a writ petition filed by the Registrar General of the Court against the state government on the effect of a bandh called by HNLC, an outlawed militant outfit, last week

स्वतंत्र+जिम्मेदार प्रेस की मजबूती सशक्त लोकतंत्र के लिए बेहद आवश्यक:सूचना+प्रसारणमंत्री

[नई दिल्ली]स्वतंत्र+जिम्मेदार प्रेस की मजबूती सशक्त लोकतंत्र के लिए बेहद आवश्यक:राष्ट्रीय प्रेस दिवस में सूचना+प्रसारणमंत्री
केंद्र सरकार ने एक बार फिर भारत में सशक्त लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र एववं जिम्मेदार प्रेस की मजबूती की आवश्यकता को स्वीकारा
सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा है कि भारतीय लोकतंत्र की सफलता बहुत हद तक स्वतंत्र एववं जिम्मेदार प्रेस के कारण है जिसने जनता को शिक्षित करने और सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पत्रकारों ने कलम के हथियार और अखबारों के कॉलम के उपयोग से सैनिकों की तरह काम किया है। श्री राठौर ने आज यहां भारतीय प्रेस परिषद की ओर से आयोजित राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर समारोह में यह बात कही।
श्री राठौर ने प्रेस के संरक्षण, सुरक्षा और प्रोत्साहन देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दुहराई। उन्होंने पत्रकारों से सच्चाई की राह में अपनी पेशेवर सत्यनिष्ठा और नैतिक मानकों को बनाए रखने का आहवान किया। श्री राठौर ने पत्रकारिता में निष्पक्ष परिपाटी सुनिश्चित करने में भारतीय प्रेस परिषद की भूमिका को रेखांकित करने वाली स्मारिका भी जारी की
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि प्रेस की आजादी लोकतंत्र में अलंघनीय थी और यह आजादी जिम्मेदारियों के साथ आई। मीडिया को राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न मुद्दों पर सक्रिय चर्चा और बहस सुगम बनानी होती हैं। इस अवसर पर मुख्य अतिथि और भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति वेंकटचलैया ने कहा कि भारत में प्रौद्योगिकी और आजादी की धारणा में बदलाव के साथ लोकतांत्रिक एवं मानवीय मूल्यों में संतुलन बनाते हुए उन्हें संरक्षित, बहाल और प्रसा-प्रचार करने में बड़ी भूमिका है।
इस अवसर पर भारतीय प्रेस परिषद ने पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए | विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण योगदान के लिए प्रिंट मीडिया के पत्रकारों को विभिन्न श्रेणियों में राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान किए गए। इन श्रेणियों में ग्रामीण पत्रकारिता, विकासात्मक रिपोर्टिंग, स्त्री शक्ति (महिला सशक्तिकरण), सिंगल न्यूज पिक्चर, फोटो फीचर और उर्दू पत्रकारिता शामिल थीं।
इस अवसर पर भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू और भारतीय प्रेस परिषद की सचिव श्रीमती विभा भार्गव भी उपस्थित थे।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना के दिन की याद में मनाया जाता है। परिषद वैधानिक एजेंसी है जो प्रेस की आजादी और जवाबदेही सुनिश्चित करती है।
फोटो कैप्शन
The Minister of State for Information & Broadcasting, Col. Rajyavardhan Singh Rathore and the Chairman, Press Council of India, Justice Markandey Katju with the winners of National Awards for Excellence in Journalism, at the National Press Day function, in New Delhi on November 16, 2014.

जस्टिस काटजू ने १० साल पुराने केस पर हथौड़ा चला कर पूर्व पी एम को विलेन साबित करने का प्रयास किया

सुप्रीम कोर्ट के जज और मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे प्रेस कौंसिल आफ इंडिया के मौजूदा चेयरमैन तेज तर्रार मार्कंडेय काटजू ने अपने ब्लॉग में एक १० साल पुराने केस पर हथौड़ा चला कर बहुउद्देशीय तीर चलाये| १० साल पुराने इस रहस्योद्घाटन के साथ काटजू ने १० जनपथ को बचाते हुए [१]पूर्व प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह को यूं पी ऐ सरकार का मुख्य विलेन साबित करने का प्रयास किया है | क्योंकि दस साल पहले के इस भ्र्ष्टाचार को उजागर करने के पीछे की मंशा देखी जाये तो साफ दिखाई देता है कि इसका उद्देश्य केवल और केवल सनसनी पैदा करके डॉ मन मोहन सिंह को कांग्रेस का विलेन साबित करना ही है|क्योंकि अगर काटजू साहब दोषी जस्टिस को सजा दिलाना चाहते तो दोषी जज का नाम और उसकी सरंक्षक पार्टी का नाम जरूर बताते लेकिन उन्होंने इसे जानने के लिए मीडिया को यह होम वर्क दे दिया लेकिन उनका सहयोग करते हुए”आप”पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रमुख वकील प्रशांत भूषण ने दोषी जज का नाम अशोक कुमार बताया है
[२] दस साल पुराना कोई स्कोर अब सेटल किया जा रहा है
[३]मौजूदा सरकार पर दबाब बना है
इस मुद्दे को लेकर राज्यसभा में एआईएडीएमके [AIADMK ]सांसदों ने जमकर हंगामा किया गाजा पट्टी पर चर्चा को लेकर फंसी हुई केंद्र सरकार पर साउथ की पोलिटिकल पार्टी के विरुद्ध कार्यवाही का दबाब बढ़ा |इसीके फलस्वरूप सदन की कार्यवाही दोपहर तक रोकनी पड़ी।
लोकसभा के बिजनेस को भी प्रभावित किया गया |गौरतलब है कि जस्टिस काटजू को यूं पी ऐ की सरकार के कार्यकाल में प्रेस कौंसिल आफ इंडिया का चेयरमैन बनाया गया था और उन्होंने और तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने बखूबी मीडिया पर दबाब भी बनाये रखा |इस नजदीकी पर सम्भवत पर्दा डालने के लिए कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने बिना देर लगाए कहा,कि पूर्व जस्टिस काटजू एनडीए से नजदीकी बढ़ाना चाहते हैं। मनीष तिवारी ने भी एकचैनल को बाइट देकर काटजू पर निशाना साधा है|
जस्टिस काटजू ने एक चैंनल पर दावा किया कि यूपीए सरकार को गिरने से बचाने के लिए एक भ्रष्ट जज[ई अशोक कुमार] का प्रमोशन किया गया था। जस्टिस काटजू के मुताबिक, जब वह जिला जज थे तो मद्रास हाईकोर्ट के कई जजों ने प्रतिकूल टिप्पणियां[ ACR] की थीं, उसके बावजूद वोह जज हाईकोर्ट में एडिशनल जज बन गए।
जस्टिस काटजू का आरोप है कि नवंबर 2004 में उनके मद्रास हाईकोर्ट के जज बनकर जाने तक वह जज इसी पद पर रहे। इस जज को तमिलनाडु के एक बड़े नेता का समर्थन हासिल था। जस्टिस काटजू का कहना है कि इस जज के बारे में भ्रष्टाचार की कई रिपोर्ट्स मिलने के बाद उन्होंने भारत के चीफ जस्टिस आरसी लोहाटी से इस जज के खिलाफ गुप्त जांच की गुजारिश की थी। आईबी को उस जज के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले हैं फिर भी एडिशनल जज के उनके कार्यकाल को एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया। जस्टिस काटजू का कहना है कि सरकार को समर्थन दे रही तमिलनाडु की एक पार्टी ने जज को हटाये जाने का जोरदार विरोध किया और उस पार्टी के मंत्रियों ने मनमोहन सिंह को उनकी सरकार गिराने की धमकी भी दी थी। इसके साथ जस्टिस काटजू ने राजनितिक रूप से एक रोचक किस्सा सुनाया जिसके अनुसार एयर पोर्ट पर डॉ मन मोहन सिंह को सरकार गिराने के लिए ब्लैक मेल किया गया जिसके फलस्वरूप डॉ सिंह ने दोषी जज के कार्यकाल को आगे बढ़वाने के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया | लेकिन इसके समर्थन में वोह कोई प्रमाण नहीं दे पाये केवल सूत्रों के हवाले का जिक्र कर कर ही रह गए