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दिल्ली की बनिया सरकार ने लगाया पंजाबियत को तड़का,क्या स्वाद पहुंचेगा पंजाब तक?

[नई दिल्ली]दिल्ली की बनिया सरकार ने लगाया पंजाबियत को तड़का,क्या स्वाद पहुंचेगा पंजाब तक
दिल्ली की बनिया सरकार हुन होई पंजाबियां दे नाल
आज की अखबारों में छपे पूरे पेज के विज्ञापन यही बोल रहे हैं|आधे पेज पर केजरीवाल की फोटो और शेष में पांच लाइन के विज्ञापन में बताया गया है के पंजाबी भाषा को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली सरकार के अहम फैसले [२ लाइंस]
अब हर सरकारी स्कूल में कम से कम एक पंजाबी शिक्षक जरूर होगा[2 लाइन ]
[२] पंजाबी शिक्षकों का वेतन बढ़ाया [१ लाइन]
शेष स्पेस में सीएम अरविन्द केजरीवाल का फोटो लगा है|
इससे पूर्व बीते दिनों बारापुला फ्लाईओवर का नाम पहले सिख जनरल बाबा बन्दा सिंह बहादुर के नाम पर रखने की घोषणा की जा चुकी है | चूंकि आज कल सरकारें ट्विटर+फेसबुक के अलावा विज्ञापनों के बल पर ही चल रही है इसीलिए आप सरकार से भी कोई अपवाद की आशा नहीं की जासकती|
अपने आप को अग्रवाल [बनिया] साबित करके दिल्ली की सत्ता हथियाने वाले केजरीवाल का हृदय यकायक पंजाबियत के प्रति कैसे परिवर्तित हो गया
यह चर्चा का विषय जरूर होना चाहिए और पंजाब तथा दिल्ली की म्यूनिसिपैलिटीज़ के चुनावों से पहले इस पर चर्चा होनी लाजमी है|
दिल्ली में पंजाबी भाषा को उर्दू के साथ राज्य भाषा का दर्जा मिला हुआ हैलेकिन दुर्भाग्य से इसे अभी तक रोजगारोन्मुख [जॉब ओरिएंटेड] नहीं बनाया जा सका है|
नियमानुसार दिल्ली सरकार और ऑटोनोमस बॉडीज केसाथ ही सरकार के अन्य सैकड़ों विभागों में प्रति बिभाग में एक भाषा अधिकारी+एक ट्रांसलेटर +एक टाइपिस्ट+का होना जरूरी है अर्थार्त एक उर्दू और एक पंजाबी भाषा जानने वाल जरूरी है| भाषा को रोजगारोन्मुख बनाने के लिए जो प्रयास किये जाने थे वह नहीं किये गए| संस्कृत भाषा को रोजगारोन्मुख नहीं बनाए जाने से आज वह डेड लैंग्वेज के श्रेणी की तरफ अग्रसर है |सिंधी भाषा को जिन्दा रखने के लिए संस्थाओं द्वारा धन मुहैय्या करवाया जा रहा है|
उर्दू के लिए मदरसों को जकात दी जाती है | पंजाबी की शान बनाए रखने के लिए गुरुद्वारा कमेटियां अनेकों आयोजन करती हैं उनमे से गुरुमुखी पढ़ाने के साथ ही प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं |इस सबके बावजूद ये भाषाएं पूरे देश क्या एक प्रदेश में भी[पंजाब को छोड़ कर] में रोजगारोन्मुख नहीं बन सकी है|अब सवाल उठना स्वाभविक है के अरविन्द केजरीवाल ने पंजाबियत का राग क्यूँ छेड़ा |पहले बारापुला फ्लाईओवर का नाम बाबा बन्दा सिंह बहादुर फ्लाईओवर किये जाने के पीछे की राजनीती को देखने से साफ़ दिखाई देता है के पंजाब सरकार पहले सिख जनरल बाबा बन्दा सिंह बहादुर की ३००वे शहीदी दिवस को बढे जोर शोर से मनाने की घोषणा कर चुकी है|चूंकि केजरीवाल की नजर गोवा के साथ ही पंजाब के चुनावों पर है इसीलिए अकाली सरकार द्वारा मनाए जाने वाले शहीदी दिवस के साथ ही अपन नाम जोड़ने का राजनितिक स्वार्थ हो सकता है|
दिल्ली में पंजबियत को तड़का लगाने से पंजाब तक हवा पहुंचनी लाजमी है इसके अलावा दिल्ली की तीनों म्यूनिसिपैलिटीज़ के होने जा रहे चुनावों में पंजाबी कार्ड से पंजाबी वोटों को कांग्रेस और भाजपा से खींचा जा सकता है जो पिछले चुनावों में असफलता मिली थी