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राहुल गाँधी ने अपने चुनावी तरकश से इमोशनल तीर चलाये,पारम्परिक लाइन का अनुसरण किया,गरीब समाज की भलाई के संकल्प को दोहराया

कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने आज अपने चुनावी तरकश से इमोशनल तीर चलाये और अपनी पार्टी की पारम्परिक लाइन का अनुसरण करते हुए गरीब +आदिवासी समाज की भलाई के लिए समर्पित भाव से कार्य करने के संकल्प को दोहराया |भावुक होकर यहाँ तक कह गए कि
अगर कोई महिलाओं, गरीबों की इज्जत नहीं करेगा, तो उसे वोह देख लेंगें |आदिवासियों और गरीबों से, दिल और प्यार के रिश्तों का हवाला दिया |मध्य प्रदेश में भाजपा के विकास के दावों का मखौल भी उड़ाया |
मध्य प्रदेश के शहडोल+ग्वालियर में राहुल गांधी ने चुनावी सभाओं को संबोधित किया|.
शहडोल में राहुल गाँधी बोले पेट में भूख की आग लगी हो, तो सड़क का कोई मतलब नहीं रहता .| यूनीसेफ नामक अन्तराष्ट्रीय संस्था के हवाले से उन्होंने मध्य प्रदेश के बारे में कहा कि जितनी भूख अफ्रीका में है, उतनी मध्य प्रदेश में है|इनको ये[भाजपा] समझ नहीं आता कि जब कोई भूखा रहता है, जब पेट में दर्द होता है, तो विकास की बात शुरू ही नहीं हो सकती. ये सोचते हैं कि सड़क बना दो. आदिवासियों को इस साइड खड़ा करो और उस सड़क में बड़ी बड़ी चमकती गाड़ियों को निकालो. आदिवासी उन गाड़ियों को देखें| इसको ये लोग विकास और प्रगति कहते हैं.तो सबसे पहले मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी की सरकार आए. चाहे कोई भी सीएम बने, एक बात की मैं गारंटी देता हूं. आदिवासी महिलाओं की, गरीबों की, युवाओँ की इज्जत होगी इस प्रदेश में और अगर कोई इज्जत नहीं करेगा, तो हम देखेंगे|
संसद में अपनी माता श्री मति सोनिया गांधी की बीमारी का किस्सा सुना कर श्रोताओं को भावुक किया |
उन्होंने कहा कि इज्जत का मतलब क्या होता है, मैं आपको बताना चाहता हूं. ये मेरी मां के बारे में है. इज्जत के बारे में सोच रहा था. भोजन के अधिकार की बात हो रही थी, सबसे पहले सालों के लिए, उसको रोकने की कोशिश की. बीजेपी के लोगों ने रोकने की कोशिश की. लड़ाई लड़े हम, आगे पीछे यहां-वहां. फिर दिन आया, जब पार्लियामेंट में बिल पास करना था. ऐतिहासिक बिल है. पहली बार हिंदुस्तान में कोई भूखा नहीं जाएगा.ये जो महिलाएं यहां बैठी हैं. आपको मालूम होना चाहिए कि आपके जो बच्चे हैं,बिल के बाद कभी भूखे नहीं जा सकते. चाहे कोई भी हो. दलित हो, आदिवासी हो, किसी भी जाति का या धर्म का हो. गारंटी करके उसे एक रुपये का अनाज दिया जाएगा, पूरे देश में और ये गारंटी कौन करेगा, कांग्रेस पार्टी करेगी. क्यों करेंगे. क्योंकि हम आपकी भूख को, आपकी लड़ाई को समझते हैं.
मैं पार्लियामेंट मैं पीछे बैठा था| आगे देख रहा था. मुझे मालूम था कि मेरी मां की तबीयत ठीक नहीं है.में उन्हें डाक्टर के पास लेजाना चाहता था लेकिन
मां बोलीं कि बिल जब तक पास नहीं होगा नहीं जाऊंगी.वो बोलीं कि कुछ भी कर लो. नहीं जाऊंगी. मैं सालों से इस बिल के लिए लड़ी हूं. जब तक वोटिंग के लिए बटन नहीं दबाऊंगी, नहीं जाऊंगी.मैंने आपको अंदर की बात बता दी, जो मुझे लग रही थी. वो मेरी एक मां है. हिंदुस्तान में लाखों मां हैं, जिनकी आंख में आंसू आता है, जब बच्चों को देखती हैं और अपने आप से पूछती हैं कि इसका होगा क्या. पेट भूखा है, रोजगार नहीं है और ये लोग विकास की बात करते हैं, सड़क की बात करते हैं. होटल की बात करते हैं. एसी कमरों से बात करते हैं.
मैं एक नए प्रकार की राजनीति शुरू करना चाहता हूं. जहां जो राजनेता है. वो पहले आपकी इज्जत की बात करे, आपके घर आए. आपके साथ खाना खाए. आपसे पूछे कि भइया क्या बात है.एक ऐसी राजनीति जिसमें आम आदमी लोकसभा के बंद कमरे में दिखे. विधानसभा के अंदर दिखे.ये लोग क्या चाहते हैं, मैं आपको बता देता हूं. अच्छी तरह सुनो. ये चाहते हैं कि गरीब, आम आदमी, दलित आदिवासी उन कमरों में, लोकसभा में, विधानसभा में पंचायत में न घुसे.इसमें नुकसान राहुल गांधी का नहीं, हिंदुस्तान का होता है.